झारखंड : धनबाद में अधिकारियों व कर्मियों की भारी कमी, अधिकांश दफ्तरों में अनुबंध कर्मियों से कराया जा रहा काम
धनबाद में अधिकारियों और कर्मियों की भारी कमी है. मुख्यालय से लेकर फील्ड तक कई पद खाली है. रेल, सिटी एसपी, जमाडा एमडी समेत कई महत्वपूर्ण पद प्रभार में चल रहे हैं. वहीं, डीईओ का काम डीएसई संभाल रहे हैं. तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के भी 50 फीसदी पद खाली हैं.
Jharkhand News: धनबाद में रेल एसपी, सिटी एसपी, जमाडा एमडी, जिला शिक्षा पदाधिकारी सहित कई महत्वपूर्ण पद लंबे समय से अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं. यही नहीं, समाहरणालय संवर्ग व राज्य सरकार के कई विभागों में तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के लगभग 50 फीसदी पद खाली हैं. अधिकांश दफ्तरों में अनुबंध कर्मियों से काम कराया जा रहा है.
जैप समादेष्टा देख रहे रेल एसपी का काम
धनबाद रेल एसपी का पद ढाई वर्ष से भी अधिक समय से खाली है. जैप तीन के समादेष्टा प्रियदर्शी आलोक रेल एसपी के प्रभार में हैं. इसी तरह सिटी एसपी का पद भी लगभग एक वर्ष से खाली है. ग्रामीण एसपी रिष्मा रमेशन को सिटी एसपी का अतिरिक्त प्रभार मिला है. झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार (जमाडा) में एमडी, सचिव सहित अधिकांश पद प्रभार में चल रहे हैं. नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार लंबे समय से जमाडा एमडी का अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए हैं. वहीं सहायक नगर आयुक्त प्रकाश कुमार को जमाडा के सचिव का प्रभार मिला है. जमाडा में टीएम का पद भी प्रभार में ही चल रहा है. इससे यहां का काम-काज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
कई वर्षों से स्थायी डीएलएओ का पद खाली
धनबाद जैसे जिला में जहां केंद्र एवं राज्य सरकार की कई बड़ी योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा है, में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी का पद पिछले तीन वर्ष से भी अधिक समय से रिक्त है. कभी डीसीएलआर तो कभी किसी कार्यपालक दंडाधिकारी को डीएलएओ का अतिरिक्त प्रभार मिलते रहा है. स्थायी डीएलएओ के नहीं रहने से भूमि अधिग्रहण, खासकर मुआवजा भुगतान का काम फंस जाता है. यहां जिला आपूर्ति पदाधिकारी का पद भी लगभग नौ माह से रिक्त है. एडीएम (आपूर्ति) ही डीएसओ के अतिरिक्त प्रभार में हैं. धनबाद में जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइओ) का पद भी एक लंबे समय से रिक्त चल रहा है. डीएसइ को ही डीइओ का अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है.
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कर्मियों के स्वीकृत 596 में से 299 पद खाली
धनबाद जिला में समाहरणालय संवर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ कर्मियों के कुल 596 पद स्वीकृत है. इसमें 299 पद रिक्त है, जिसमें समाहरणालय, अनुमंडल, बीडीओ, सीओ कार्यालय शामिल है. सूत्रों के अनुसार धनबाद में तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय पद पर अंतिम स्वीकृति वर्ष 1972 में मिली थी. यहां पर अंतिम बहाली भी 16 वर्ष पहले हुई थी. बीच-बीच में अनुकंपा समिति की अनुशंसा पर कुछ बहाली अनुकंपा के आधार पर होती रहती है. आउटसोर्स पर बहाल कर्मियों व संविदा पर काम कर रहे कंप्यूटर ऑपरेटर ही ज्यादातर काम कर रहे हैं. प्रखंड एवं अंचलों में तो एक-दो स्थायी कर्मी हैं. बाकी सारा काम संविदा कर्मी ही संभालते हैं. इसके चलते विकास एवं कल्याण की योजनाएं फंस जाती है. काम-काज के निष्पादन में समस्या आ रही है.