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Exclusive: मैं इंफ्लुएंसर या उदाहरण बनना नहीं चाहती हूं, जानिए ऐसा क्यों बोली हुमा कुरैशी

हुमा कुरैशी की फिल्म डबल एक्सएल 4 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. फिल्म में वो एक दमदार किरदार निभाते दिख रही है. एक्ट्रेस की फिल्म 'मोनिका ओ माय डार्लिंग' में जल्द ही रिलीज होने वाली है.

बॉलीवुड अभिनेत्री हुमा कुरैशी बीते कुछ समय से अपने अभिनय को लेकर लगातार सुर्खियां बटोर रही हैं. वेब सीरीज ‘महारानी’ और फिल्म ‘डबल एक्सएल’ में वे अपने अभिनय कौशल से सभी का दिल जीतने में कामयाब रही हैं. अब वे जल्द ही नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘मोनिका ओ माय डार्लिंग’ में नजर आयेंगी. यह फिल्म 11 नवंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर दस्तक देगी. इस फिल्म और करियर से जुड़े दूसरे पहलुओं पर हुमा कुरैशी से खास बातचीत.

आपको लगातार शीर्ष भूमिकाएं मिल रही हैं, ‘महारानी’ के बाद अब ‘मोनिका ओ माय डार्लिंग’. इसे आप किस तरह देखती हैं?

मैं इसे बहुत जिम्मेदारी के तौर पर देखती हूं. मुझे बहुत समय लग गया यहां तक पहुंचने में. ऐसा नहीं था कि पहले नहीं मिला तो कुछ गलत हो गया. मुझे बहुत सारी चीजें सीखनी थीं, अपने काम, क्राफ्ट और फिल्मों के बिजनेस को लेकर, जो कुछ हद तक मैं धीरे-धीरे सीख रही हूं. अब मैं प्रोड्यूसर बन गयी हूं, तो और ज्यादा सीख रही हूं. बहुत ही अच्छा फेज है. बस ऊपर वाले ऐसे ही चलाते रहना.

मोनिका का किरदार आपके लिए क्या चुनौतियां लेकर आया?

इस पूरे किरदार का क्रेडिट फिल्म के निर्देशक वासन बाला को जाता है. सीरीज में मोनिका एक हॉट गर्ल है. मैंने वासन बाला को कहा कि ऐसे किरदार को करने के लिए इंडस्ट्री भरी पड़ी है, जिसको लोग कंवेशनली हॉट मानते हैं, लेकिन, आपने मुझे चुना. इस पर उन्होंने कहा कि मुझे पर्दे पर कुछ अलग करना है, सिर्फ गाने और दो सीन नहीं करना है.

इस फिल्म में आपने डांस को कितना एन्जॉय किया?

मैं इतना अच्छा नाचती हूं, पता नहीं मुझे नचाते क्यों नहीं हैं. 90 के दशक में मैंने जो सिनेमा देखा, उसी को देखकर डांस सीखा है. फिल्मों में मुझे ज्यादा नाचने-गाने का अब तक मौका नहीं मिला है. मुझे डांस करना बहुत पसंद है.

हाल ही में आपकी फिल्म ‘डबल एक्सल’ रिलीज हुई है. करियर की शुरुआत में आपको बहुत कुछ अपने वजन को लेकर सुनना पड़ा था. क्या आप उन लड़कियों के लिए उदाहरण बनना चाहती हैं, जो बॉडी शेमिग से जूझ रही हैं?

मैं अपनी लाइफ जी रही हूं. मैं कोई इंफ्लुएंसर और उदाहरण नहीं बनना चाहती हूं, क्योंकि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. मैं सिर्फ एक इंसान हूं. हो सकता है कि मैं कल असफल हो जाऊं. हां, एक आर्टिस्ट के तौर पर मैं अच्छा काम करके जाना चाहती हूं. बस, इसी सोच से फिल्म बनायी. जब मेरी पहली फिल्म ‘गैंग ऑफ वासेपुर’ रिलीज हुई थी, तब सबने एक्टिंग की तारीफ की, लेकिन साथ में ये भी लिखा कि मेन स्ट्रीम हीरोइन से मेरा वजन पांच किलो ज्यादा है. किसी को तो बॉडी शेमिंग पर बात करनी होगी. फैमिली ऑडियंस के लिए मैं फिल्में प्रोड्यूस करना चाहूंगी. लोग थोड़ा बहुत हंसे, थोड़ा रोये और इसके साथ ही एक अच्छी सीख मिल जाये, तो इसमें परेशानी क्या है.

डबल एक्सल के ट्रेलर लॉन्च पर आपके माता-पिता भी आये थे?

उस पल को सोचते हुए अभी भी मेरी आंखें नम हो जाती हैं. मेरे माता-पिता मेरे लिए सबकुछ हैं, खासकर अपने पिता के साथ मैं बहुत ही स्पेशल बॉन्ड शेयर करती हूं. मां के साथ थोड़ा नोकझोंक वाला रिश्ता है. मैं बहुत हद तक अपने पिता की तरह हूं. जैसे वो परेशानियों से डील करते हैं. मैं काफी हद तक उनकी तरह ही हूं. ऐसे में वो मेरे काम और लाइफ चॉइसेज को लेकर क्या सोचते हैं. ये बात मेरे लिए बहुत मायने रखती है. वो उस वक्त मुंबई आए हुए थे. उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. कुछ टेस्टस करवाने थे. मैंने बोला- आप मुंबई में ही हो तो आओ ना, तो वो आये.

आपके भाई साकिब ने भी आपके साथ प्रोडक्शन कंपनी शुरू की है. आपकी क्या जिम्मेदारियां हैं?

हम दोनों ही कंपनी में प्रोड्यूसर हैं. हमारे ऑफिस में कोई ऐसा छोटा-बड़ा पोजिशन नहीं होगा, क्योंकि हम भाई-बहन किसी काम को छोटा-बड़ा नहीं मानते हैं. ये हमारे पिता से ही हमें सीख मिली है. उन्होंने हमारे आंखों के सामने अपना रेस्टोरेंट बिजनेस शुरू किया था. पहले एक बंदा था, जो कबाब लगाता था. अब तो बड़ी सारी ब्रांचेज हो गयी हैं. मुझे अभी भी याद है. मैं बहुत छोटी थी. एक बार सारे वेटर्स ने कहा कि हम स्ट्राइक कर देंगे. मेरे पापा किचन गये और उन्होंने सारे बर्तन खुद धोये. मेरे पिता सेल्फ मेड मैन हैं. उन्होंने जो ब्रांड ‘सलीम’ खड़ा किया है, अपने दम पर किया है. हमारे अलावा हमारे प्रोडक्शन हाउस में मुद्दसर भी हैं.

स्क्रिप्ट या किरदारों को लेकर आपकी प्राथमिकता में क्या बदलाव आया है, जिससे आपको लगातार सफलता मिल रही है?

दो साल पहले एक माइंड शिफ्ट हुआ था. लगा कि खुद में बदलाव लाओ, तो दुनिया बदल जायेगी. इतना कि खुद पर, अपने फैसलों पर आप सवाल नहीं कर सकते हो. फिल्म महारानी उसी की एक शुरुआत थी. उसके बाद जिस भी प्रोजेक्ट्स से जुड़ीं, मैंने उसे एन्जॉय किया. मैंने कुछ भी ओवर प्लान नहीं किया. चीजों को लेकर दूसरी बार नहीं सोचा. ये स्क्रिप्ट अच्छी है. लोग अच्छे हैं. चलो करते हैं. पहले थोड़ा ज्यादा सोचती थी.

आप फिल्म इंडस्ट्री की उन चुनिंदा आउटसाइडर्स में से हैं, जो कभी भी अपने आउट साइडर होने पर शिकायत नहीं करते हैं?

दुख और संघर्ष किसकी जिंदगी में नहीं है. अक्सर, लोग मुझसे पूछते हैं कि किस फिल्म से आपको निकाला गया? मुझे उससे क्या मिल जायेगा? ठीक है, कुछ चीजें आपने अचीव कीं, कुछ चीजें नहीं कीं, समय रहते वो भी हो जायेंगी. मुझे पता है कि बहुत बोरिंग डायलॉग है, लेकिन आपकी किस्मत कोई आपसे नहीं ले सकता है. मैं इसमें यकीन करती हूं. कभी आप किसी को बुरा बोलते हैं या उसके लिए चाहते हैं, तो वो आप पर भी पड़ता है.

आप एक सुपरहीरो वाली कहानी भी लिख रही हैं?

ये सारे कोरोना काल के काम हैं. मैंने एक नोट लिखा था, जिस पर मैं टीवी सीरीज बनाना चाहती थी. यह चार साल पुरानी बात है. बड़ा आइडिया था, बड़ा बजट था, तो सभी को पता है कि आसान नहीं था. कोविड में सोचा कि किसी कॉमिक और ग्राफिक नॉवेल वालों के साथ मिलकर ये प्रोजेक्ट करती हूं. फिर लगा कि किसी और को लो, फिर उसे अपना विजन समझाओ. मुझे लगा कि मेरे पास खुद भी तो दिमाग है, मां-बाप ने अच्छी तालीम भी दी है, तो खुद ही लिख लेते हैं. मैंने कई पब्लिशर्स को अपना आइडिया भेजा था. आखिरकार हार्पर कॉलिन्स इसके लिए राजी हो गया. अगले साल तक ये किताब आ जायेगी.

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