Jharkhand news: धनबाद में मनरेगा में काम करने वाले गैर एससी, एसटी मजदूर के मजदूरी भुगतान पर रोक का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है. प्रभात खबर में गत 3 दिसंबर, 2021 को प्रकाशित खबर श्रमिकों के भुगतान में आरक्षण, एससी-एसटी को प्राथमिकता मामले को लेकर यहां से एनएचआरसी में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करायी है.
वादी ने आरोप लगाया है कि मनरेगा मजदूरों को काम के बाद लगभग दो माह बाद भी मजदूरी नहीं देना अन्याय है. यह मानवाधिकार का उल्लंघन है. आयोग से न्याय की गुहार लगायी गयी है. शिकायत ऑनलाइन दर्ज करायी गयी है. वादी ने खुद को मनरेगा मजदूर बताया है. इसमें मनरेगा के केंद्र एवं राज्य सरकार के अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया गया है.
मालूम हो कि धनबाद के मनरेगा के ओबीसी एवं सामान्य जाति के मजदूरों के मजदूरी पर 10 अक्तूबर से रोक है. वहीं, सिर्फ एससी-एसटी मजदूरों को ही मजदूरी मिल पा रही है. इधर, आवंटन के अभाव में यहां के मजदूरों को काम के बदले मजदूरी नहीं मिल पा रही है.
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मनरेगा के तहत धनबाद जिला में काम कर रहे सामान्य एवं अति पिछड़ी जाति (OBC) मजदूरों के मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है. सिर्फ अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) के मजदूरों का ही नियमित भुगतान हो रहा है. यहां मनरेगा में काम करनेवाले सामान्य एवं अति पिछड़ी जाति के मजदूरों के मजदूरी मद में 7 करोड़ रुपये से अधिक बकाया हो गया है. इससे मजदूरों की परेशानी बढ़ गयी है. मजदूरी के भुगतान पर 10 अक्टूबर से पाबंदी लगायी गयी है.
मनरेगा के मजदूरों को 3 श्रेणी में बांटा गया है. जिसमें SC-ST एवं सामान्य वर्ग के मजदूरों के लिए अलग-अलग राशि आवंटित हो रही है. धनबाद जिला में मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड मजदूरों की संख्या 3,59,398 है. जॉब कार्ड एक्टिव मजदूरों की संख्या 1,52,000 है.
रिपोर्ट: संजीव झा, धनबाद.