Varanasi News: गंगा में बाढ़ आने से मरीं सैकड़ों मछलियां? एक्सपर्ट ने बतायी सच्चाई
Varanasi News: गंगा नदी में कई दुर्लभ प्रजातियां मिलती हैं जैसे- डॉल्फिन (प्लाटोनिस्टा गंगेटिका), गंगा शार्क (ग्लेफिस गंगेटिकस), कछुए (अस्पिडरेट्स गंगेटिकस) और घड़ियाल (गविआलिस गंगेटिकस). इसके अलावा गंगा के किनारे तमाम तरह के पक्षी और दूसरे जीवजंतु भी रहते हैं.
Varanasi News: सोशल मीडिया पर वाराणसी के गंगा घाट का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो को भाजपा नेता वरूण गांधी ने भी ट्वीट कर सवाल उठाए थें. इसके पहले संकट मोचन के महंत और IIT-BHU के प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्रा ने इस वीडियो को ट्वीट कर इसे शिवाला घाट के सामने का बताया था. उन्होंने लिखा था कि गंगा पार हजारों मछलियां मरी पड़ी हैं. कारण क्या है. ये अच्छा लक्षण नहीं है और इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए. वहीं गंगा किनारे इन मछलियों के मौत की वजह की पता लगाने के लिए प्रभात खबर ने एक जीव वैज्ञानिक से बात की.
बीएचयू के जंतु विज्ञान में प्रोफेसर कृपाराम ने इस घटना पर प्रभात खबर से बात की. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जल स्तर का बढ़ने से जलीय जीवों के खतरे पर कोई असर नहीं पड़ता है. गंगा नदी में कई दुर्लभ प्रजातियां मिलती हैं जैसे- डॉल्फिन (प्लाटोनिस्टा गंगेटिका), गंगा शार्क (ग्लेफिस गंगेटिकस), कछुए (अस्पिडरेट्स गंगेटिकस) और घड़ियाल (गविआलिस गंगेटिकस). इसके अलावा गंगा के किनारे तमाम तरह के पक्षी और दूसरे जीवजंतु भी रहते हैं. गंगा में मछलियों की 265 प्रजातियां मिलती हैं. अक्सर सुनने में आता है बाढ़ के बढ़ते खतरों से गंगा नदी में रहने वाले जलीय जीव जंतुओं को भी नुकसान पहुंचता है.
प्रोफेसर कृपाराम ने बताया कि बाढ़ से जलीय जीवों को खतरा नहीं हो सकता है. क्योंकि जब बाढ़ का पानी आता है तो वाटर का फ्लो बहुत तेज होता है. इसके साथ कुछ पॉल्यूटेड सामग्री आती जरूर है, मगर डिपेंड इस बात पर करता है कि बारिश कितनी हो रही हैं और फ्लो कितना है. नदियों – नालों से आने वाले कचरों से तब तक कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता जबतक की चौथे और पांचवे स्तर तक कि बरसात न हो बल्कि कभी- कभी तो बाढ़ के तेज बहाव के कारण बहुत से जलीय जीवो को पर्यावरण की दृष्टि से फायदा भी मिल जाता है. जैसे जब हमारे शरीर को बुखार की अनुभूति होती हैं तो किसी भी दवाई को खाने से पहले ही हमारा शरीर खुद बीमारी से फाइटिंग करता है. वैसे ही जलीय जीव भी करते हैं इसलिए किसी तरह के नुकसान की संभावना को नहीं कहा जा सकता है.
गंगा हमारे लिए सिर्फ नदी नहीं, 'मां' है। करोड़ों देशवासियों के जीवन, धर्म और अस्तित्व का आधार है मां गंगा।
इसलिए नमामि गंगे पर 20,000 करोड़ का बजट बना। 11,000 करोड़ खर्च के बावजूद प्रदूषण क्यों?
गंगा तो जीवनदायिनी है, फिर गंदे पानी के कारण मछलियों की मौत क्यों? जवाबदेही किसकी? pic.twitter.com/fcSsO7VP0N
— Varun Gandhi (@varungandhi80) July 26, 2022
रिपोर्ट – विपिन सिंह