सिंदरी में हर्ल ने लौटायी रौनक, देश को उर्वरक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में चल रहा काम

सिंदरी साल दर साल उदास होती चली गयी. जहां कभी लोग नौकरी की तलाश में पहुंचा करते थे, वहां पलायन शुरू हो गया. अब नजारा बदला है. देर से ही सही, औद्योगिक परिदृश्य में सिंदरी ने एकबार फिर अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 14, 2022 8:59 AM

याद कीजिए, वह तारीख 31 दिसंबर 2002 थी, जब सिंदरी स्थित आजाद भारत के पहले उर्वरक कारखाने पर अचानक ताला लटक गया. लगभग दो दशक हो गये. उससे पहले सिंदरी ‘सुंदर’ कहलाती थी. यहां की रौनक देखते बनती थी. उर्वरक कारखाना के बंद होते ही यह शहर देश के औद्योगिक मानचित्र से पूरी तरह बाहर हो गया था. सिंदरी साल दर साल उदास होती चली गयी. जहां कभी लोग नौकरी की तलाश में पहुंचा करते थे, वहां पलायन शुरू हो गया. अब नजारा बदला है. देर से ही सही, औद्योगिक परिदृश्य में सिंदरी ने एकबार फिर अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है. कहें तो हिन्दुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (हर्ल) के नये खाद कारखाना की स्थापना और वहां से यूरिया उत्पादन ने सिंदरी और यहां के लोगों का मिजाज बदल दिया है.

दो मार्च 1951 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सिंदरी इलाके में खाद कारखाने का उद्घाटन किया था. यह आजाद भारत का पहला सार्वजनिक उर्वरक उपक्रम था. इतना बड़ा कारखाना उस समय पूरे एशिया महादेश में नहीं था. हालांकि इसकी नींव साल 1934 में बंगाल में पड़े भीषण अकाल के बाद अंग्रेजी सल्तनत के समय पड़ गयी थी. ब्रिटिश ब्रिगेडियर कोक्स, जो पहले सीइओ थे, उन्होंने सिंदरी की परिकल्पना की थी. फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) के इस संयंत्र का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है.

Also Read: World Diabetes Day: धनबाद में 20 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को है मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली की है देन

हर्ल की सिंदरी इकाई की नींव 25 मई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी. प्लांट के निर्माण पर करीब 8500 करोड़ रुपये खर्च हुआ है. गेल इंडिया के सहयोग से सिंदरी कारखाना तक नेचुरल गैस पहुंचाने के लिए धंधवा से गैस पाइपलाइन बिछायी गयी है. करीब 9.5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन दामोदर नदी के नीचे-नीचे बिछायी गयी है. हर्ल के कारखाने से सालाना 12.70 लाख मीट्रिक टन नीमकोटेट यूरिया उत्पादन का लक्ष्य है, जबकि हर दिन 3850 टन उत्पादन होगा. नीमकोटेट होने के कारण यहां से उत्पादित यूरिया का इस्तेमाल अन्य कार्य में नहीं हो सकेगा.

हर्ल अधिकारी बोले

बेहतर माहौल मिला तो लगेगा एक और प्लांट : हर्ल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट दीप्तेन राय कहते हैं, ‘देश को उर्वरक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है. तमाम चुनौती के बावजूद हमने बेहतर क्वालिटी का यूरिया उत्पादन शुरू किया है. क्षमता के साथ उत्पादन हो, इसके लिए कम मैनपावर होने के बावजूद हर्ल के अधिकारी-कर्मी 12-12 घंटे काम कर रहे हैं, सिंदरी यूनिट से झारखंड सहित पूरे देश को यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित होगी. दो-तीन साल उत्पादन सही रहा और बेहतर औद्योगिक माहौल मिला तो हम सभी के सहयोग से एक ओर प्लांट लगाने की योजना है.’

बीती बातें

  • ब्रिटिश ब्रिगेडियर कोक्स ने की थी सिंदरी की प्लानिंग

  • दो मार्च 1951 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था उद्घाटन

  • 31 दिसंबर 2002 को बंद हो गया था कारखाना

नया दौर

  • सात नवंबर 2022 को शुरू हुआ नये प्लांट से उत्पादन

  • हर दिन 3850 टन व सालाना 12.70 लाख मीट्रिक टन

  • नीमकोटेट यूरिया उत्पादन का लक्ष्य

  • अमोनिया गैस का भी हो रहा उत्पादन

रिपोर्ट : मनोहर कुमार/अजय उपाध्याय, धनबाद

Next Article

Exit mobile version