हर्ल सिंदरी का 93 फीसदी कार्य पूरा, जानें कब से शुरू होगा उत्पादन, झारखंड गठन के बाद का है सबसे बड़ा प्रोजेक्ट

हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड यानी कि हर्ल का कार्य लगभग 93 प्रतिशत तक पूरा चुका है, और संभवना जतायी जा रही है कि मार्च 2022 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा. दूसरे बॉयलर की टेस्टिंग आज ही होगी. ये झारखंड गठन के बाद का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | December 24, 2021 11:48 AM

धनबाद : हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) सिंदरी का कार्य लगभग 93 फीसदी पूर्ण हो चुका है. इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के पहले बॉयलर की टेस्टिंग हो चुकी है. दूसरे बॉयलर की टेस्टिंग 24 दिसंबर, शुक्रवार को होगी. अलग झारखंड बनने के बाद स्वीकृत राज्य के सबसे बड़े प्रोजेक्ट के मार्च 2022 तक पूर्ण होने तथा मार्च से ही 60 फीसदी क्षमता के साथ उत्पादन शुरू होने की संभावना है. यहां से उत्पादित यूरिया नीम कोटेड होगा. ताकि इसका नकली उत्पाद बाजार में नहीं आये. साथ ही खेतों को नुकसान न हो.

24 घंटे चल रहा कमीशनिंग का कार्य :

हर्ल सिंदरी का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. खास कर प्लांट से उत्पादन शुरू करने के लिए तकनीकी कार्य बहुत तेजी से चल रहे हैं. मुख्य यूरिया प्लांट का काम 97 फीसदी तक पूर्ण हो चुका है, जबकि कार्य भी 80 फीसदी से अधिक पूरे हो चुके हैं. निर्माण व कमीशनिंग का काम 24 घंटे चल रहा है. एक-एक कर मशीनों को इंस्टॉल किया जा रहा है. पहली बॉयलर की टेस्टिंग 13 दिसंबर को हुई थी. उसके बाद फिर पूरे बॉयलर को खोल कर जांच की गयी. जांच में सब सही पाया गया, तो उसको फिर से फिट किया गया.

कंपनी के दूसरे बॉयलर की टेस्टिंग 24 दिसंबर को करने की तैयारी हो चुकी है. अगर सब ठीक-ठाक रहा, तो 28 दिसंबर को एक साथ दोनों बॉयलर की टेस्टिंग होगी.

मार्च तक शुरू होगा 70 हजार टन यूरिया का उत्पादन :

हर्ल सिंदरी के समूह महाप्रबंधक (ग्रुप जीएम) कामेश्वर झा के अनुसार उनलोगों की योजना निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूर्ण करा कर उत्पादन शुरू कराना है. मार्च तक यहां से उत्पादन शुरू हो सकता है. कंपनी की क्षमता 12.7 एमटी प्रति वर्ष यूरिया उत्पादन की है. शुरुआती दौर में पहले तीन माह के दौरान क्षमता का 60 फीसदी तक उत्पादन होगा. यानी 70 हजार एमटी प्रति माह. चौथे माह से पूर्ण उत्पादन होगा. श्री झा ने कहा कि निर्माण कार्य में सिंदरी की जनता का भरपूर सहयोग मिल रहा है. सभी काम समय से पूर्ण कराने की कोशिश हो रही है.

7500 करोड़ रुपये का निवेश :

हर्ल एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी है. इसकी स्थापना भारत सरकार ने 15 जून 2016 को की थी. इसमें एनटीपीसी, कोल इंडिया, इंडियन ऑयल बड़ा साझेदार है. तीनों का बराबर-बराबर लगभग 30-30 फीसदी का शेयर है,जबकि फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, (एफसीआइएल) तथा हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) का 10 फीसदी शेयर है.

एफसीआइएल ने ही हर्ल को 690 एकड़ जमीन मुहैया करायी है. यह सारी भूमि अतिक्रमण मुक्त थी. स्थापना के समय हर्ल के लिए छह हजार करोड़ रुपये के प्राक्कलन को मंजूरी दी गयी थी, लेकिन बाजार में निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमत व अन्य लागत खर्च को देखते हुए इसके बजट को बढ़ा कर साढ़े सात हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है. अलग राज्य बनने की बाद झारखंड की यह सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है.

पाइपलाइन के जरिये पहुंच चुका है गैस :

75 सौ करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के लिए हल्दिया पोर्ट के जगदीशपुर से गैस पाइपलाइन के जरिये चंदनकियारी प्रखंड के डांगुवा लाया गया. डांगुवा से पाइपलाइन के जरिये प्राकृतिक गैस को सिंदरी स्थित प्लांट तक लाया गया है. एक बैग यूरिया का उत्पादन खर्च छह से सात सौ रुपये आने का अनुमान है. वैसे सरकार किसानों को इस पर सब्सिडी भी देती है.

क्या है नीम कोटेड यूरिया का लाभ :

ग्रुप जीएम श्री झा के अनुसार हर्ल से उत्पादित होने वाला यूरिया नीम कोटेड होगा. यानी खाद पर नीम का लेप होगा. इसके दो लाभ हैं. पहला इस खाद का बाजार में गलत इस्तेमाल नहीं हो सकेगा. नकली चीजें नहीं बनेंगी. दूसरा यह मिट्टी में धीरे-धीरे घुलता है. पौधों को लंबे समय तक पोषण तत्व मिलते हैं. इससे मिट्टी भी खराब नहीं होती. वर्तमान परिपेक्ष्य में नीम कोटेड खाद बहुत जरूरी है. फसल के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.

टाउनशिप निर्माण का काम टला

ग्रुप जीएम के अनुसार हर्ल कर्मियों के लिए टाउनशिप का निर्माण कार्य थोड़ा टला है. जिस कंपनी को सिंदरी, बरौनी व गोरखपुर में आवास निर्माण का काम मिला था. वह पीछे हट गयी है. टेंडर कैंसिल हो चुका है. अब नये सिरे से टेंडर होगा. उसके बाद यह काम शुरू होगा. फैक्ट्री के पास ही टाउनशिप निर्माण के लिए हर्ल को 90 एकड़ भूमि अलग से आवंटित की गयी है. यह भू-खंड भी एफसीआइएल की ही है.

डेढ़ हजार से अधिक लोगों को रोजगार

इस कंपनी के खुलने से यहां के डेढ़ हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. एफसीआइएल सिंदरी के बंद होने के बाद सिंदरी क्षेत्र में वीरानगी छा गयी थी. हर्ल का काम शुरू होने के बाद क्षेत्र में रौनक लौटी है. अभी भी यहां सैकड़ों मजदूर विभिन्न कंपनियों के माध्यम से काम कर रहे हैं.

पीएम मोदी ने किया था शिलान्यास

हर्ल का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई, 2018 को किया था. बलियापुर हवाईअड्डा से पीएम ने इसकी ऑनलाइन आधारशिला रखी थी. इसके बाद बंद एफसीआइएल प्लांट को तोड़ कर इसका निर्माण शुरू हुआ. पहले इस प्लांट का निर्माण कार्य नवंबर 2020 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन, कोरोना व अन्य कारणो से इसके निर्माण पूर्ण होने की तारीख टलती गयी. अब उम्मीद है कि अगले तीन माह में यहां से उत्पादन शुरू हो जायेगा.

रिपोर्ट- संजीव झा

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