पत्नी की हुई मौत, तो पति को भी किया मृत घोषित, खुद को जिंदा साबित करने के लिए दौड़ रहे 70 वर्षीय दिव्यांग

खरगडीहा गांव के 70 वर्ष से अधिक के दिव्यांग हुरो हजाम पिछले तीन वर्ष से खुद को जीवित साबित करने के लिए कार्यालय-कार्यालय घूम कर बाबुओं से गुहार लगा रहे हैं कि वह जीवित हैं और उनका वृद्धा पेंशन उन्हें दिया जाये.

By Prabhat Khabar News Desk | August 3, 2023 9:05 AM
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गिरिडीह (बेंगाबाद), अशोक शर्मा : बोकारो जिले के कसमार प्रखंड स्थित बगदा गांव के खेदन घांसी का मामला अभी शांत हुआ ही है कि बाबुओं की लापरवाही का एक नया नमूना गिरिडीह जिले के बेंगाबाद प्रखंड में सामने आ गया है. प्रखंड के छोटकी खरगडीहा गांव के 70 वर्ष से अधिक के दिव्यांग हुरो हजाम पिछले तीन वर्ष से खुद को जीवित साबित करने के लिए कार्यालय-कार्यालय घूम कर बाबुओं से गुहार लगा रहे हैं कि वह जीवित हैं और उनका वृद्धा पेंशन उन्हें दिया जाये. दुर्भाग्य यह कि अभी तक ना तो उन्हें जीवित माना गया है और ना ही उनकी पेंशन शुरू की गयी है. प्रखंड कार्यालय व बैंक का चक्कर लगा थक चुके हुरो का कहना है कि अब शरीर में इतनी शक्ति भी नहीं रही कि इधर से उधर दौड़ लगा सकें. लोगों के भरोसे उनकी जिंदगी चल रही है.

क्या है मामला

छोटकी खरगडीहा के हुरो हजाम की उम्र 70 साल से अधिक है. तीन वर्ष पूर्व उनकी पत्नी विजया देवी की उम्र 65 वर्ष थी. दोनों को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ बेंगाबाद प्रखंड के माध्यम से मिल रहा था. इसी बीच वर्ष 2020 में विजया देवी की मौत हो गयी. हुरो हजाम ने नियमत: पत्नी के निधन की सूचना संबंधित सरकारी बाबू को दी. यहीं से उनकी समस्या शुरू हुई. उस बाबू ने हुरो की पत्नी विजया देवी के साथ-साथ हुरो हजाम काे मृत घोषित कर पेंशन सूची से दोनों का नाम हटा दिया. पत्नी के साथ हुरो को भी मृत घोषित कर देने के कारण उसको पेंशन की राशि मिलनी बंद हो गयी.

कैसे-कैसे बहाने : खुद की गलती मानी नहीं, दो खाते खुलवाये

हुरो बताते हैं कि जब वह पेंशन लेने तीन साल पहले बैंक गये तो बैंक वालों ने बताया कि पैसे नहीं आये हैं, तो उनको लगा कुछ दिन में आ जायेगा. पर कई माह पैसे नहीं आये तो उन्होंने प्रखंड कार्यालय में पेंशन से संबंधित बाबू से संपर्क स्थापित किया. वहां आश्वासन मिला कि गलती हो गयी है, इसे सुधार कर पुनः पेंशन राशि मिलने लगेगी. कुछ दिन बाद वह फिर बैंक ऑफ इंडिया की छोटकी खरगडीहा शाखा गये, पर वहां पता चला कि पेंशन की राशि आ ही नहीं रही है. चलने में असमर्थ हुरो हजाम पुनः प्रखंड गये. इस बार उन्हें बाबू ने बताया कि उनके बैंक खाते में गड़बड़ी है, इसलिए वह दूसरे बैंक में खाता खुलवायें. इस पर उन्होंने यूनियन बैंक की शाखा में खाता खुलवाया और फिर प्रखंड में इसकी जानकारी दी. खाता संख्या भी उपलब्ध कराया, पर उन्हें आजतक पेंशन नहीं मिल पायी है.

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कहती हैं मुखिया : कई बार कहने पर भी पेंशन चालू नहीं हुई

पंचायत की मुखिया सुनीता देवी ने कहा कि हुरो हजाम को फिर से पेंशन दिलवाने के लिए नया बैंक खाता भी खुलवायी. इस संबंध में विभाग से संपर्क कर बताया भी, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. तकनीकी खराबी की बात कहकर तीन साल बाद भी पेंशन चालू नहीं हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण है.

कहते हैं बीडीओ : तकनीकी खराबी होगी, शीघ्र ठीक होगा

बीडीओ मो कयूम अंसारी ने कहा कि कोई तकनीकी समस्या रही होगी. यह भी हो सकता है कि सोशल ऑडिट में ग्रामीण गलत जानकारी दिये होंगे. हुरो हजाम एक आवेदन दें, संबंधित पंचायत सचिव व मुखिया से जांच रिपोर्ट लेकर शीघ्र पेंशन चालू करा दिया जायेगा.

आर्थिक स्थिति है बहुत खराब

हुरो हजाम की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है. दिव्यांग होने के कारण ठीक से चल भी नहीं पाते. पूछने पर कहा कि : बाबू सबके बोलते-बोलते थक गलियो, सबने खली भरोसा दलको, लेकिन आज तीन साल हो गलो, पेंशन नाय मिललो. परेशान होकर आस-उम्मीद छोड़ दलियो, बाकी भगवान मालिक. कहते हैं कि उनकी पत्नी की मृत्यु वर्ष 2020 में हो गयी. उनको कोई बेटा नहीं है. दो बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है. अभी एक बेटी को अपने यहां रखे हैं, ताकि उनकी देखभाल हो सके. वे चल पाने में असमर्थ हैं. कहा कि घर की माली स्थिति इतनी अच्छी नहीं कि आवश्यक दवा भी खरीद सकें.

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