IIT धनबाद में बनेगा डीप सी माइनिंग और हाइड्रोजन रिसर्च सेंटर, जानें क्या होगा इसका फायदा
आइआइटी आइएसएम अर्थ साइंस व मिनिरल के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता को और विस्तार देगा. संस्थान अब सागरों की गहराई में दुर्लभ और बेस धातुओं की खोज के क्षेत्र में शोध करेगा.
आइआइटी आइएसएम अर्थ साइंस व मिनिरल के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता को और विस्तार देगा. संस्थान अब सागरों की गहराई में दुर्लभ और बेस धातुओं की खोज के क्षेत्र में शोध करेगा. इसके लिए संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) ने संस्थान में सेंटर फॉर डीप सी बेड माइनिंग खोलने का निर्णय लिया है. माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग प्रो शिव शंकर रॉय इस सेंटर के को-ऑर्डिनेटर होंगे.
बीओजी ने भविष्य की ऊर्जा कहने जाने वाले हाइड्रोजन के दोहन प्रक्रिया को और सरल बनाने के लिए शोध को बढ़ावा देने का भी निर्णय लिया है. इसके लिए संस्थान में सेंटर फॉर हाइड्रोजन कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज खुलेगा. इस सेंटर के को-ऑर्डिनेटर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक प्रो संदीपन कुमार दास होंगे.
दो संस्थानों में होती है डीप सी माइनिंग की पढ़ाई
संस्थान के उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार ने बताया कि बोर्ड ने पिछली बैठक में इस सेंटर को खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसमें गहरे समुद्र के नीचे जमीन में दबे सोना, चांदी, प्लैटिनम व प्लैडिमम जैसे दुर्लभ व बेस मेटल की खोज के लिए शोध किया जायेगा. अभी देश में दो संस्थानों नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसेनोटेक्नोलॉजी, चेन्नई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसनोग्राफी गोवा में डीप शी माइनिंग की पढ़ाई व शोध होता है. भविष्य में संस्थान में डीप सी माइनिंग पर कोर्स शुरू किए जा सकते हैं. हालांकि इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
भविष्य की ऊर्जा पर शोध
आइआइटी आइएसएम में हाइड्रोजन के दोहन पर अत्याधुनिक सेंटर निरसा कैंपस में शुरू होगा. संस्थान के उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार ने बताया : वैकल्पिक ऊर्जा के तौर पर हाइड्रोजन में आपार संभावनाएं हैं. इसे देखते हुए संस्थान में हाइड्रोजन और कार्बन के दोहन पर शोध के लिए रिसर्च सेंटर शुरू करने का निर्णय लिया है. इसका नाम ‘सेंटर फॉर हाइड्रोजन कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज होगा, इसे शुरू करने का प्रस्ताव इसके को-ऑर्डिनेटर की ओर से लाया गया था. इसे बीओजी ने स्वीकार कर लिया है.