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धनबाद IIT-ISM के शिक्षकों ने विकसित की तकनीक, लोड हॉल डंप की क्षमता बढ़ायेगा हाइड्रोलिक स्टीयरिंग सिस्टम

धनबाद IIT-ISM के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षकों ने तकनीक विकसित की. खनन कार्यों में उपयोग किए जाने वाले लोड हॉल डंप (एलएचडी) वाहनों के लिए एक बेहतर हाइड्रोलिक स्टीयरिंग सिस्टम विकसित किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 4, 2023 9:25 AM

धनबाद आइआइटी आइएसएम के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं ने खनन कार्यों में उपयोग किए जाने वाले लोड हॉल डंप (एलएचडी) वाहनों के लिए एक बेहतर हाइड्रोलिक स्टीयरिंग सिस्टम विकसित किया है. यह प्रणाली, ऊर्जा कुशल और लागत प्रभावी होने के अलावा, शुद्ध शून्य उत्सर्जन भी है. इस सिस्टम को मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर निरंजन कुमार व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अजीत कुमार ने मिलकर विकसित किया है. इस प्रोजेक्ट के लिए संस्थान ने खुद दोनों शिक्षकों को छह लाख रुपये का फंड दिया था. दोनों शिक्षक इस परियोजना पर 2019 से काम कर रहे थे. डॉक्टर अजीत कुमार बताते हैं कि हाइड्रोलिक स्टीयरिंग सिस्टम लोड हॉल डंप के लिए काफी मददगार साबित होगी.

यह वाहन फ्रंट एंड लोडर हैं, जिससे सबसे कठिन खनन कार्य लिया जाता है. यह वाहन के पंप फेलियर के समय काफी मददगार साबित होगी. विवरण देते हुए कहा कि एलएचडी वाहनों की पारंपरिक हाइड्रोलिक सर्किट व्यवस्था होती है. इसमें केबल रीलिंग ड्रम (सीआरडी) के संचालन के लिए एक अलग हाइड्रोलिक प्रणाली होती है. जिसके लिए कप्लर्स के साथ एक अतिरिक्त पंप की आवश्यकता होती है. जिससे वाहनों की समग्र बिजली आवश्यकता बढ़ जाती है. नए विकसित डिज़ाइन में, वाहन के स्टीयरिंग सिस्टम के एक साथ संचालन की सुविधा के लिए एलएचडी वाहन स्टीयरिंग सिस्टम और सीआरडी ड्राइव के लिए एक एकीकृत हाइड्रोलिक सर्किट सिस्टम विकसित किया गया है. इसमें एकल पावर पैक यूनिट का उपयोग करके सीआरडी ड्राइव वाहन के लिए आवश्यक समग्र शक्ति को कम करता है.

नये आविष्कार के पेटेंट के लिए दिया गया आवेदन

डॉक्टर अजीत ने बताया कि इस आविष्कार के पेटेंट के लिए आवेदन पहले ही दायर किया जा चुका है. वह वर्तमान में प्रयोगशाला चरण में है और इसका क्षेत्रीय परीक्षण जल्द ही आयोजित किया जाएगा.

फैकल्टी की कमी के कारण वर्ष 2018 में बंद कर दिया गया था कोर्स

धनबाद. आइआइटी आइएसएम में पांच वर्षों के बाद फिर से एग्जीक्यूटिव एमबीए प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है. यह कोर्स वर्ष 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन फैकल्टी की कमी के कारण वर्ष 2018 में इसे बंद कर दिया गया था. यह जानकारी गुरुवार को संस्थान के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर जेके पटनायक ने प्रेस वार्ता कर दी. प्रोफ़ेसर पटनायक ने प्रोग्राम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस कोर्स में नामांकन के लिए 31 जुलाई से आवेदन देने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. 17 अगस्त तक आवेदन की प्रक्रिया जारी रहेगी. टेस्ट और इंटरव्यू 20 अगस्त को लेने के बाद 23 अगस्त को वेबसाइट पर रिजल्ट प्रकाशित कर दिया जायेगा. नामांकन की प्रक्रिया 30 अगस्त को पूरी करने के बाद दो सितंबर से कक्षाएं शुरू कर दी जायेंगी.

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शनिवार व रविवार को होंगी कक्षाएं

प्रो पटनायक ने बताया कि यह प्रोग्राम शनिवार को शाम छह बजे से रात नौ बजे तक और रविवार को सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक चलाया जायेगा. इससे कि नामांकित अधिकारियों, कामकाजी लोगों और बिजनेसमैन को कोर्स पूरा करने में कोई परेशानी नहीं आये. कोर्स फीस पांच लाख छह हज़ार 600 तय की गयी है. जो कि देशभर के अन्य आइआइटी और आईएसएम से काफी कम है.

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