कोयले के फेज आउट व जस्ट ट्रांजिशन से देशभर में सर्वाधिक प्रभावित होगा धनबाद, परिचर्चा में सामने आई ये बात
Jharkhand News: वक्ताओं ने कहा कि झारखंड में कोयला खदानें बंद होंगी. सबसे अधिक प्रभावित होगा धनबाद, लेकिन कोल इंडिया नया व्यवसाय गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान में शुरू करेगा. आईआईटी कानपुर के जस्ट ट्रांजिशन रिसर्च सेंटर ने गैर सरकारी संस्था असर के सहयोग से दो दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया था.
Jharkhand News: भारत में जस्ट ट्रांजिशन एक नई अवधारणा है. कोयले के फेज आउट एवं जस्ट ट्रांजिशन से लाखों लोग प्रभावित होंगे. राज्यों एवं देश के राजस्व पर ये असर करेगा. झारखंड सबसे अधिक प्रभावित राज्य एवं धनबाद देश का सबसे अधिक प्रभावित जिला होगा. धनबाद की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है कोयला. जस्ट ट्रांजिशन एवं कोयला के फेज आउट शुरू करने के पहले प्रभावित होने वाली आबादी की आजीविका को लेकर एक सुदृढ़ योजना बनानी होगी. इस संभावित बदलाव का अध्ययन और पड़ने वाले प्रभाव को लेकर देशभर के मीडिया की टीम के साथ एक और दो अप्रैल को कानपुर आईआईटी में दो दिवसीय परिचर्चा हुई. आईआईटी कानपुर के जस्ट ट्रांजिशन रिसर्च सेंटर (जेटीआरसी) ने गैर सरकारी संस्था असर के सहयोग से इसका आयोजन किया था.
टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण रोल
परिचर्चा के पहले दिन आईआईटी कानपुर के ह्यूमैनिटिज़ एंड सोशल साइंस के प्रोफेसर एवं जेटीआरसी को-ऑर्डिनेटर प्रदीप स्वर्णकार, ह्यूमैनिटिज़ एंड सोशल साइंस के हेड प्रोफेसर ब्रज भूषण, असर के सीईओ विणुता गोपाल, प्रोफेसर आशीष गर्ग ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. आईआईटी कानपुर के डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमैनिटिज़ एंड सोशल साइंस के हेड ब्रज भूषण ने कहा कि संस्थान में जस्ट ट्रांजिशन रिसर्च लैब काम कर रहा है. यह लैब व्यापक पैमाने पर इस विषय को देखने की कोशिश कर रहा है. असर संस्था की सीइओ विनूता गोपाल ने कहा कि इस विषय पर आने वाला दशक काफी महत्वपूर्ण होगा. कई समस्याएं भी आयेंगी. इस पर अभी से ही गंभीरता से विचार होना चाहिए. इस दौर में कई बदलाव होंगे. इसका समाज पर बड़ा असर होगा. इससे सीखने की जरूरत होगी. आईआईटी कानपुर के सस्टनेबल एनर्जी डिपार्टमेंट के प्रमुख आशीष गर्ग ने कहा कि इस बदलाव में टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण रोल होगा. इसके अच्छे और बुरे प्रभाव का अध्ययन भी होते रहना चाहिए. कार्यक्रम के समन्वयक सह एसोसिएट प्रोफेसर प्रदीप स्वर्णकार ने कहा कि संस्थान कई स्टेक होल्डर्स से इस विषय पर चर्चा कर रहा है. सबका विचार समझने की कोशिश कर रहा है.
कोयले पर निर्भर लोग होंगे प्रभावित
परिचर्चा में यह बात भी सामने आई कि जस्ट ट्रांजिशन से सबसे अधिक प्रभावित वे होंगे जो कोयले पर निर्भर हैं. कोयला चोरी कर जो अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. ऐसे कितने लोग हैं, इसका कोई आंकड़ा नहीं है क्योंकि इनका कभी सर्वे हुआ ही नहीं. ये भी बात सामने आई कि कोयले के फेज आउट को देखते हुए कोल इंडिया ने अपना व्यवसाय बदलने का प्लान बनाया है. करीब 90 हजार करोड़ का बदलाव योजना है. जिसमें कोल गैसीफिकेशन, अलम्यूनियम, फर्टिलाइजर, सोलर पावर प्लांट आदि शामिल हैं. कुछ वक्ताओं ने कहा कि कोयला खदानें बंद होंगी झारखंड में. सबसे अधिक प्रभावित होगा धनबाद, लेकिन कोल इंडिया नया व्यवसाय गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान में शुरू करेगा. झारखंड को कोयले के कुल रॉयलटी का 60 प्रतिशत हिस्सा मिलता है. रॉयल्टी, सेस, जीएसटी बगैरह मिलाकर झारखंड के राजस्व में 17 प्रतिशत कोयले से मिलता है.
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ये हुए शामिल
इस दो दिवसीय परिचर्चा में जयश्री नन्दी, सहायक संपादक हिंदुस्तान टाइम्स, चैत्रली चांदोरकर, महाराष्ट्र टाइम्स, उर्मी गोस्वामी, सहायक संपादक इकोनॉमिक्स टाइम्स, मयंक अग्रवाल, कंट्रीब्यूटिंग एडिटर मांगोंबे, कृष्णेन्दू बंदोपाध्याय, टाइम्स ऑफ इंडिया, रोली श्रीवास्तव, थॉमसन रेउटर फाउंडेशन, मोहमद सरताज आलम, दी टेलीग्राफ ब्रिटेन, के ए शाजी, हफ़ पोस्ट, ललित खंभयता, गुजरात समाचार, बिनु करुणाकरन, दी न्यूज़ मिनट, एनिमा पूककुन्निईल टेरी, अलिऐना अली बेग दी इंडियन वायर, अपर्णा गणेशन, असियाविलिस्ट, प्रिया पिल्लई, असर, कुमार सत्येन्द्र सिंह, प्रभात खबर धनबाद, मनोज सिंह प्रभात खबर रांची, आनंद गुप्ता, जगत विश्वकर्मा (दोनों हिंदुस्तान ) राजनारायण गिरी, जागरण, परवीन पटेल , हिंदी खबर, साथीश लक्ष्मणन, पूवुलगु शामिल थे. इनके अलावा आईआईटी कानपुर के शोधार्थी छात्र-छात्राएं भी शामिल थे.
कानपुर से लौटकर सत्येंद्र सिंह