कानपुर: क्रिप्टोजैकिंग…टॉर्जन…फिशिंग.. पासवर्ड हैकिंग.. ऐसे 10 साइबर अपराध चिन्हित किए गए हैं, जिनसे देश को बड़ा खतरा है. अब इन खतरों को चुनौती के रूप में लेकर उनका समाधान आईआईटी कानपुर तलाशेगा. यह चुनौतियां हर क्षेत्र से जुड़ी हैं, जिन पर अक्सर साइबर हैकरों की नजर होती है. संस्थान में बनी देश की अत्याधुनिक लैब सी-3 आई हब में दस बिंदुओं का यह प्रोजेक्ट तैयार हुआ है, जिसका समाधान वैज्ञानिकों संग साइबर सुरक्षा पर काम कर रहे स्टार्टअप करेंगे. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग कर टूल व सिस्टम विकसित करेंगे.
साइबर सुरक्षा को लेकर सी-3 आई हब बना है, जहां वैज्ञानिक व स्टार्टअप की टीम नए-नए शोध कर टूल विकसित कर रहे हैं. संस्थान के वैज्ञानिक क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर (पावर प्लांट, हाईवे, एयरपोर्ट, पोर्ट, ऑयल रिफाइनरी आदि) को सुरक्षा प्रदान करने के लिए रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिल चुकी है. वैज्ञानिकों की टीम ने देश को साइबर हमलों से सुरक्षित रखने के लिए दस चुनौतियां चिन्हित की हैं. वैज्ञानिकों की टीम अगले एक साल में इन सभी चुनौतियां का समाधान विकसित करने का प्रयास करेगी, जिससे लोगों को साइबर फ्रॉड से छुटकारा मिल सके. ये सभी चुनौतियां आम जनमानस से जुड़ी हैं.
आईआईटी कानपुर सी-3आई हब के प्रोजेक्ट प्रभारी प्रो. मणींद्र अग्रवाल का कहना है कि संस्थान में साइबर सुरक्षा को लेकर काफी रिसर्च व प्रोजेक्ट चल रहे हैं. वर्तमान में हैकरों की गतिविधि और बढ़ती घटनाओं को देखते हुए दस चुनौतियां चिन्हित की गई हैं, जिनका समाधान अत्याधुनिक तकनीक से किया जाएगा. जल्द ही स्टार्टअप व वैज्ञानिक इन दस चुनौतियों मोबाइल अटैक्स, पासवर्ड चोरी, डाटा उल्लंघन, क्रिप्टोजैकिंग, मालवेयर, रेनसमवेयर, टार्जन, फिशिंग, एसक्यूएल इंजेक्शन, सोशल इंजीनियरिंग पर काम शुरू कर देंगे.
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● ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी यह टेक्नोलॉजी जरूरी दस्तावेजों व अभिलेखों को डिज़टिलाइज्ड रूप में सुरक्षित रखती है.इस टेक्नोलॉजी के प्रयोग से कोई भी हैकर दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता है.
● श्वासा मास्क कोविड जैसे संक्रमण से एन-95 मास्क ने लोगों को सुरक्षित रखा. यह धूल-धुआं, जहरीली गैसे के साथ बैक्टीरिया व वायरस से भी सुरक्षित रखता है.
● पोर्टेबल वेंटीलेटर नोकारोबोटिक्स का पोर्टेबल वेंटीलेटर सिर्फ 90 दिन में विकसित हुआ. कोविड संक्रमण में वैज्ञानिकों व स्टार्टअप ने मिलकर विकसित किया. 4000 से अधिक वेंटीलेटर अलग-अलग अस्पतालों में प्रयोग हो रहे हैं.
● कृत्रिम बारिश वैज्ञानिकों ने कृत्रिम बारिश की तकनीक खोजने के साथ सफल ट्रायल भी कर लिया है. जरूरत और सरकार के आदेश के बाद आईआईटी कभी भी, कहीं भी कृत्रिम बारिश कराने में सक्षम है.