UP News : आईआईटी कानपुर कॉपर पेस्ट से फ्लेक्सिबल हीटर बनाएगा, हवा भी रहेगी साफ

इस विशेष कॉपर पेस्ट को डॉ. आशीष व प्रो. वाईएन महापात्रा की टीम ने तैयार किया. टीम को इस तकनीक का पेटेंट मिल गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 8, 2023 6:06 PM

कानपुर : आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित विशेष कॉपर पेस्ट से अब सर्किट बोर्ड और चिकित्सा क्षेत्र में प्रयोग होने वाले फ्लेक्सिबल हीटर तैयार होंगे. इस विशेष कॉपर पेस्ट को डॉ. आशीष व प्रो. वाईएन महापात्रा की टीम ने तैयार किया. टीम को इस तकनीक का पेटेंट मिल गया है.अब बाजार में उपलब्ध विभिन्न उत्पादों में इस कॉपर पेस्ट का प्रयोग किया जा सके, इसके लिए संस्थान ने लाइसेंस देने की अनुमति भी दे दी है.यह रिसर्च संस्थान के नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रानिक्स में हुई.आईआईटी में वैज्ञानिकों की टीम इनोवेशन कर नई-नई तकनीक विकसित करने के साथ उत्पादों की कीमत को कम करने का प्रयास करने में लगी है. संस्थान के डॉ. आशीष व प्रो. वाईएन महापात्रा की टीम ने मेंब्रन स्विच में कंडक्टिव लाइन बनाने के लिए ऑक्सीडेशन रजिस्टेंट कॉपर पेस्ट विकसित किया.

इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण की कीमत होगी कम

वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस कॉपर पेस्ट के प्रयोग से इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण की कीमत को कम किया जा सकता है. इसका उपयोग प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी), रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी), सोलर सेल, पॉलीमाइड आदि में किया जाएगा. वर्तमान में बाजार में उपलब्ध कॉपर पेस्ट की अपेक्षा आईआईटी का कॉपर पेस्ट अधिक सस्ता व प्रभावी है.इससे न सिर्फ उपकरणों की उम्र में इजाफा होगा बल्कि उनकी कीमतों में भी कमी आएगी संस्थान ने कॉमर्शियल उपयोग के लिए इस तकनीक का लाइसेंस उपलब्ध करा दिया है.

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वायुमंडल से केमिकल रिएक्शन नहीं होगा

वैज्ञानिकों ने बताया कि यह विशेष कॉपर पेस्ट की संरचना ऑक्सीकरण प्रतिरोधी है जो वातावरण में मौजूद किसी भी प्रकार के रासायनिक तत्व से रिएक्शन नहीं करेगा. इससे इसकी क्षमता अधिक प्रभावी होगी.

खगोलीय पिंडों पर हो रहा अध्ययन

आईआईटी कानपुर की आभासी प्रयोगशाला में सूर्य, तारों के साथ खगोलीय पिंडो पर अध्ययन व गणना चल रही है.कई रहस्यों को सुलझाने का प्रयास हो रहा है. यह बात आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. पंकज जैन ने कही. वह पीपीएन कॉलेज में आईक्यूएसी और भौतिक विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला कोलोक्वियम को संबोधित कर रहे थे.तीन दिवसीय कार्यशाला में दूसरे दिन उन्होंने कहा, वास्तविक प्रयोगशाला में सूर्य या तारों पर अध्ययन करना लगभग असंभव है.विशेषज्ञों ने ब्रह्माण्ड के साथ सूर्य, तारों को लेकर किए जाने वाले अध्ययन के बारे में जानकारी दी.

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