Varanasi News: काशी में 365 साल पुरानी परंपरा पर लकड़ी व्यापारियों का अवैध ‘कब्जा’, जानें क्या है मामला?

कार्यक्रम स्थल जहां मंच लगते हैं, वहीं अवैध रूप से लकड़ी रखकर कब्जा जमा लिया गया है. इस कारण सैकड़ों साल से चली आ परंपरा टूटने के कगार पर है. इसको हटाने को लेकर लोगों ने खुलेआम चेतावनी दी है कि यदि यहां से लकड़ियां नहीं हटाई गईं तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | March 22, 2022 11:41 PM

Varanasi News: महाश्मशान नाथ वार्षिक श्रृंगार कार्यक्रम स्थल पर लकड़ी व्यापारियों द्वारा कब्जा किये जाने को लेकर स्थानीय लोगो ने विरोध जताया. लोगों का कहना है कि प्रशासन को बताए जाने के बावजूद इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. दरअसल, कार्यक्रम स्थल जहां मंच लगते हैं, वहीं अवैध रूप से लकड़ी रखकर कब्जा जमा लिया गया है. इस कारण सैकड़ों साल से चली आ परंपरा टूटने के कगार पर है. इसको हटाने को लेकर लोगों ने खुलेआम चेतावनी दी है कि यदि यहां से लकड़ियां नहीं हटाई गईं तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.

प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा

चैत्र नवरात्र में सैकड़ों साल से चले आ रहे बाबा महाश्मशान वार्षिक श्रृंगार कार्यक्रम स्थल पर लकड़ी व्यापारियों द्वारा अवैध रूप से लकड़ी रख कब्जा करने को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है. लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रशासन के संज्ञान में मामला पहुंचने के बाद भी प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा है. बाबा श्मशान नाथ सेवा समिति के उपाध्यक्ष व पूर्व पार्षद दिलीप यादव ने बताया कि धर्मनगरी काशी में चैत्र नवरात्र पर सप्तमी के दिन महाश्मशान घाट पर अनूठी महफिल सजती है. धधकती चिताओं के बीच नगरवधुओं के पांव में घुंघरू रातभर इस महफिल में बजते रहते हैं तो वहीं कार्यक्रम स्थल पर जहां मंच लगते हैं. वहीं, अवैध रूप से लकड़ी रखकर कब्जा जमा लिया गया है. इस कारण सैकड़ों साल से चली आ परंपरा टूटने के कगार पर है.

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परंपरा करीब 365 साल पुरानी

काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच रातभर नगर वधुओं के डांस करने की परंपरा है. बता दें कि यह परंपरा करीब 365 साल पुरानी हो चुकी है. इसकी शुरुआत राजा मानसिंह ने करवाई थी. काशी के दशाश्वमेध घाट के करीब जब राजा मानसिंह ने अपने महल का निर्माण कराया था तो उन्होंने महाश्मशान पर महाकाल के मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया. जीर्णोद्धार के बाद राजा मानसिंह ने आयोजन की इच्छा रखते हुए तत्कालीन समय के कई नामचीन कलाकारों को निमंत्रण भिजवाया, लेकिन श्मशान पर कार्यक्रम की बात जान सभज ने मना कर दिया. इसके बात उस वक्त की नगर वधुओं ने महाश्मशान के आयोजन में अपना संगीत का कार्यक्रम पेश किया. इस परम्परा का निर्वहन आज भी किया जाता है. इस आयोजन में अब वाराणसी सहित, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली सहित कई राज्यों से नगर वधुएं आती हैं.

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नगर वधुएं बाबा के दरबार में लगाएंगी हाजिरी

दिलीप यादव ने बताया कि बाबा श्मशाननाथ का तीन दिवसीय श्रृंगार महोत्सव इस बार 6 अप्रैल से शुरू होगा. इसमें पहले दिन बाबा का रुद्राभिषेक पूजन हवन का कार्यक्रम है. दूसरे दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा. 8 अप्रैल को प्राचीन परंपरा को निभाते हुए नगर वधुएं बाबा के दरबार में अपनी हाजिरी लगाएंगी. मगर यदि इस बार कार्यक्रम स्थल से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया तो सैकड़ों साल से चली आ रही प्राचीन परंपरा इस बार टूट सकती है.

रिपोर्ट : विपिन सिंह

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