साहिबगंज में सीबीआइ की जांच लगातार तीसरे दिन भी जारी रही. सीबीआइ अवैध खनन व मनी लाउंड्रिंग मामले में इडी के गवाह विजय हांसदा के बारे में जानने की कोशिश की. इसी क्रम में गुरुवार की सुबह करीब सात बजे ही सीबीआइ की चार सदस्यीय टीम भवानी चौकी स्थित विजय हांसदा के घर पहुंच कर कई ग्रामीणों से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की. गांव के किसी करण नामक युवक से कई जानकारियां लीं. सीबीआइ कुछ ग्रामीणों को सर्किट हाउस बुलाकर भी पूछताछ की.
सूत्रों की माने तो विजय हांसदा और मांझीकोला व भवानीचौकी के ग्रामीण के बीच हुई भूमि विवाद को लेकर सीबीआइ जानकारी हासिल करना चाह रही थी. सीबीआइ को इस बात की भनक लगी थी कि दो गांवों के कुछ ग्रामीण व विजय हांसदा के बीच एक जमीन को लेकर कुछ विवाद हुआ था. एक जमीन के बड़े टुकड़े को विजय इस्तेमाल करना चाहता था. यह बात मांझीकोला व भवानी चौकी गांव के लोगों को नागवार गुजारी थी. क्योंकि जमीन के उस टुकड़े में गांव के कई लोगों की जमीन शामिल थी. हालांकि यह बात कहीं भी प्राथमिकी में नहीं आयी है.
जांच के क्रम में विजय हांसदा के केस की सूई दो अवैध खनन की कड़ी पर आकर रुक रही है. सीबीआइ ने दूसरे दिन जिस दो खदान की जांच की थी पूरी तरह अवैध है. खदान की स्थिति देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कई वर्षों से लगातार उस खदान से पत्थर निकाले जा रहे थे. खदान के इर्द-गिर्द बिजली के पतली तार पायी गयी, जिससे खदान में ब्लास्टिंग करवाने की बात सामने आ रही है. खदान के नजदीक कोई बोर्ड नहीं था. ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों अवैध खदान किसी बड़े राजनीतिक रसूख के दम पर बेधड़क चलवाये जा रहे थे. दोनों खदानों के क्षेत्रफल का पूरा ब्योरा सीबीआइ ने डीएमओ विभूति कुमार से मांगा है. विभाग से यह थी मांग की गयी है कि अब तक कितने पत्थर इन दोनों खदानों से निकाले गये होंगे. दोनों खदानों में 50 से 70 फीट गहराई हो गयी है. सीबीआइ इसकी जांच कर रही है कि दोनों खदानों का मालिक कौन है? खदानों से कितने पत्थर निकाले गये ?
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