गिरिडीह में बालू के अवैध कारोबार पर पुलिस नहीं लगा पा रही नकेल, दिन में भी धड़ल्ले से जारी है उठाव

गिरिडीह के विभिन्न बालू घाटों से हर दिन अवैध बालू का कारोबार जारी है. अब तो दिन में भी बालू की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है. इन बालू तस्करों पर पुलिस प्रशासन की ओर से नकेल नहीं कसने से इनलोगों का मनोबल बढ़ गया है.

By Samir Ranjan | November 6, 2022 5:04 PM

Jharkhand News: गिरिडीह के उसरी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए एक ओर जहां जिला प्रशासन एवं स्वयंसेवी सक्रिय है, वहीं बालू माफिया लगातार इस नदी के घाट से बालू का उठाव धड़ल्ले से कर रहे हैं. जिला के अन्य नदी घाटों की भी यही स्थिति है. बालू तस्करी रोकने के लिए जिला टास्क फोर्स लगातार कार्रवाई भी कर रहे हैं, लेकिन इस पर पूरी तरह रोक नहीं लग पायी है.

धड़ल्ले से जारी है विभिन्न घाटों से बालू का उठाव

महापर्व छठ के खत्म होने के बाद बालू उठाव में तेजी आयी है. बड़े पैमाने पर रात के अंधेरे से लेकर दिन के उजाले में भी बालू की ढुलाई बेखौफ हो रही है. बालू माफिया नदी से अवैध रूप से बालू का खनन कर ट्रक और ट्रैक्टर पर लोड कर सुबह होते ही बिक्री के लिए भेज देते हैं. रोक का बहाना बनाकर बालू व्यवसायी ऊंचे दर पर बालू की बिक्री कर रहे हैं. मजबूरी में लोग बालू खरीद भी रहे हैं. शहरी क्षेत्र के विभिन्न बालू घाटों के अलावा जिला के सभी बालू घाटों से हर दिन बालू का उठाव खुलेआम हो रहा है.

बालू तस्कर वसूल रहे मनमाना दाम

बताया जाता है कि सरकारी योजनाओं की आड़ में बालू की तस्करी की जा रही है. शहरी क्षेत्र के सभी बालू घाटों पर यह खेल चल रहा है. वर्तमान में प्रति ट्रैक्टर 1000 से 1200 रुपये बालू बेची जा रही है. बालू का रेट बढ़ जाने के कारण लोगों में भी काफी आक्रोश है. लोगों का कहना है कि जब बालू के उठाव पर रोक है, तो फिर गिरिडीह में इस पर क्यों नहीं रोक लगायी जाती है. बालू माफिया खुलेआम मनमाना दाम वसूल रहे हैं.

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इन घाटों से होती है ढुलाई

गिरिडीह मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के जरियागादी, गरहाटांड़, उदनाबाद, अरगाघाट, शास्त्रीनगर, भंडारीडीह, सिहोडीह, रानीखावा, बनखंजो, मोतीलेदा बालू घाट के अलावा अन्य कई घाटों से प्रतिदिन ट्रैक्टर और ट्रक से अवैध बालू की ढुलाई की जा रही है. रात-दिन खुदाई कर नदी के घाट पर बालू पहले डंप किया जाता है, फिर उसे डिमांड के अनुरूप ट्रैक्टर एवं ट्रक के माध्यम से भेजा जाता है. मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गरहाटांड़ में तो बालू माफिया बड़े पैमाने पर खुले मैदान में बालू को डंप कर रखा गया है. प्रशासन की कार्रवाई होने पर डंप किये गये बालू की ही आपूर्ति ट्रैक्टर के माध्यम से की जाती है.

उसरी नदी के साथ-साथ कई पुलों पर मंडरा रहा है खतरा

गिरिडीह शहर में बहने वाली उसरी नदी यहां की जीवनरेखा मानी जाती है. बालू माफिया अपने स्वार्थ के लिए इस नदी का अस्तित्व ही खतरा में डाल दिया है. प्रतिदिन भारी मात्रा में नदी से अवैध ढंग से बालू निकालने का खेल चल रहा है. नदी पर बने पुल के नीचे से भी प्रतिदिन बालू की ढुलाई हो रही है. इसके कारण नदी पर बना पुल भी कमजोर हो रहा है.  बराकर व अन्य नदियों पर बने पुल का भी यही हाल है. 

सेटिंग-गेटिंग से होता है काम

पूरा व्यवसाय सेटिंग-गेटिंग के तहत संचालित हो रहा है. एक ट्रैक्टर मालिक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि नदी से बालू के उठाव करने के बाद चढ़ावा चढ़ाने के बाद ही गाड़ी नदी से निकलती है. बताया कि पुलिस पेट्रोलिंग टीम को 500-600 और पैंथर के जवान को सौ रुपये प्रतिदिन देना पड़ता है.  छापेमारी में ट्रैक्टर जब्त होने पर जुर्माना के अलावा  चढ़ावा भी चढ़ावा पड़ता है.

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विशेष टीम बनाकर होगी कार्रवाई : एसडीपीओ

एसडीपीओ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि नदी घाटों से अवैध रूप से बालू का उठाव होने की शिकायत लगातार मिल रही है. विशेष टीम बनाकर जल्द ही छापेमारी की जायेगी. इसके अलावा ट्रैक्टर मालिकों से जो कोई भी अवैध वसूली कर रहे हैं, उसकी जांच की जायेगी. बालू तस्करी को लेकर जिरो टोलरेंस के तहत लगातार कार्रवाई की जा रही है. तीन दिन पूर्व भी छह बालू लदे ट्रैक्टर जब्त किये गये थे. फिर से अभियान को चलाया जायेगा. किसी भी सूरत में नदी से बालू का उठाव नहीं होने दिया जायेगा. 

लगातार हो रही है कार्रवाई : जिला खनन पदाधिकारी

जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) सतीश नायक ने बताया कि बालू तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है. तीन दिन पूर्व ही डुमरी से पांच और मुफस्सिल थाना इलाके से छह बालू लदे ट्रैक्टर जब्त किये गये थे. इस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज की गयी है. सूचना मिलते ही कार्रवाई की जा रही है. कहा कि बालू घाटों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) में प्रक्रियाधीन है. डीसी लगातार पत्राचार कर रहे हैं. जल्द ही बालू घाटों की बंदोबस्ती प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है.

रिपोर्ट : मृणाल कुमार, गिरिडीह.

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