प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अवैध बालू खनन लगातार जारी है. गंगा में बालू खनन का आरोप लगाते हुए NGT में सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर अवधेश दीक्षित ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से याचिका दायर करायी है. सौरभ तिवारी ने दायर याचिका में बालू की लूट पर रोक और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अवधेश ने कहा है कि वर्ष 2021 में वाराणसी में गंगा घाटों की विपरीत दिशा में प्रशासन ने रेत में नहर का निर्माण कराया. प्रशासन का दावा था कि इससे गंगा घाटों पर पानी का दबाव कम होगा. बिना किसी विशेषज्ञ समिति की अनुशंसा के मनमाने ढंग से 11.95 करोड़ रुपए लगा कर खोदी गई नहर जून माह में पूरी हुई और बरसात आते ही अगस्त में डूब गई.
उन्होंने कहा कि जलप्रवाह के नैसर्गिक और स्वाभाविक वेग से बालू के बह कर गड्ढों में भरने से नहर ने पूरी तरह अपना अस्तित्व खो दिया. नहर ड्रेजिंग के समय ही जब इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए गए और पैसे की बर्बादी करार दिया गया था. जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा की ओर से इस मामले पर आनन-फानन निस्तारित बालू के उठान की निविदा जारी कर यह सिद्ध करने की कोशिश की गई कि ड्रेजिंग के एक हिस्से की लागत हम बालू उठान की निविदा से निकाल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ड्रेजिंग के नाम पर 12 करोड़ रुपए की लूट के बाद यह निविदा प्रशासनिक मनमानेपन और लूट की दूसरी किस्त थी, जिसमें व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ. जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जून 2021 में मात्र 6 महीने की अवधि के लिए रामनगर क्षेत्र में कुल 9 लाट बालू के उठान की निविदा जारी की थी, जिसमें तब केवल 3 लाट की निविदाएं ही स्वीकृत हुईं थी. जिन ठेकेदारों को निविदा प्राप्त हुई उन्होंने 1 महीने तक धड़ल्ले से किनारे खनन किया और ड्रेज मैटेरियल न उठाकर अपनी सुविधानुसार बालू की लूट शुरू कर दी. तब भी इसकी लिखित शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
उन्होंने कहा कि अगस्त माह में बाढ़ आने के बाद नहर पूरी तरह से डूब कर समाप्त हो गयी. नवंबर माह में पानी समाप्त समाप्त हो जाने और रेत उभर आने के बाद से पुनः ठेकेदारों ने मनमाने ढंग से किनारे बालू खनन को शुरू कर दिया. जबकि, न तो एक इंच भी नहर बची है और न नहर से निस्तारित बालू है, जिसके लिए निविदा हुई थी. इसकी शिकायत खनन अधिकारी से करते हुए हस्तक्षेप की मांग की गई, लेकिन वह हीला हवाली करते रहे. डॉ. अवधेश का आरोप है कि जून 2021 से जारी निविदा की अवधि दिसंबर 2021 में समाप्त हो चुकी है, लेकिन, तब से अभी तक लगातार मनमाने ढंग से दर्जनों जेसीबी और ट्रैक्टर लगा कर अवैध बालू खनन शुरू है. इसमें जिलाधिकारी की चुप्पी और जिला खनन अधिकारी की मिलीभगत से इन ठेकेदारों ने लूट मचा रखी है.
उन्होंने कहा कि निश्चित मात्रा में नहर से निस्तारित बालू को उठाने की बजाए अब तक उससे कई गुना ज्यादा बालू यहां-वहां खुदाई कर नदी के तट का स्वरूप विद्रूप कर दिया गया, जो आगामी बाढ़ में किनारे के कटान का सबब बन सकता है. साक्ष्य पूर्ण शिकायतों के बाद भी प्रशासन की तरफ से इस लूट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर इस पर अविलंब हस्तक्षेप करने, अवैध बालू खनन पर रोक लगाने और स्वतंत्र जांच समिति गठित करते हुए मामले कि उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कार्रवाई, गंगा और पर्यावरण की रक्षा की प्रार्थना की गई है. याचिका में वर्तमान बालू खनन को सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी द्वारा दिए गए फैसले के विरुद्ध बताया गया है.
रिपोर्ट- विपीन सिंह, वाराणसी