पश्चिम बर्दवान की ईमानी मुर्मू आदिवासी बच्चों को नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाकर संवार रही भविष्य
जंगलमहल के नन्हे-मुन्ने आदिवासी बच्चों को निशुल्क ट्यूशन पढ़ाकर उनकी जिंदगी उनका भविष्य सवार रही है. खुद गरीबी में रहने के बावजूद ईमानी मुर्मू जंगल महल के आदिवासी बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही है.
आसनसोल, मुकेश तिवारी : देश की आजादी के 76 वर्ष बीत जाने के बावजूद अब भी देश में सुदूर जंगल में रहने वाले आदिवासियों को अब तक उनके मूल अधिकार नहीं मिल पाए हैं .आज भी देश के कई प्रांतों में आदिवासियों की स्थिति जर्जर है. इन सब के बीच आज देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला है .देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से ही प्रेरित होकर पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा ब्लॉक के मलानदिघी ग्राम पंचायत के तहत मोलडांगा जंगलमहल में रहने वाली आदिवासी युवती ईमानी मुर्मू पढ़ी-लिखी है. उसे अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली, लेकिन आज जंगलमहल के नन्हे-मुन्ने आदिवासी बच्चों को नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाकर उनका भविष्य संवार रही है. खुद गरीबी में रहने के बावजूद ईमानी मुर्मू जंगल महल के आदिवासी बच्चों को नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ा रही है.
इस सराहनीय कदम को देख इलाके के लोग उसे सम्मान देते हैं. ईमानी मुर्मू आदिवासी बच्चों को पढ़ाकर संघर्ष कर रही है. देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी एक आदिवासी महिला हैं. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी एक महिला हैं. यही देख ईमानी मुर्मू को कुछ करने का हौसला मिलता है.
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आदिवासी युवती ईमानी मुर्मू कांकसा के सुदूर जंगल के बीच छोटे-से गांव मोल डांगा में रहती है. इस गांव में करीब 100 आदिवासी परिवार रहते हैं. आर्थिक रूप से सभी पिछड़े हैं. अधिकांश परिवार दैनिक मजदूरी में लगे हैं. ये लोग अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल नहीं भेज सकते, क्योंकि स्कूल की फीस चुकाने की इनकी हैसियत नहीं है. ऐसे में इलाके की पढ़ी-लिखी आदिवासी युवती ईमानी ने कठिन परिश्रम से अपनी पढ़ाई पूरी की. अब वह अपने जैसे बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित भी करती है और उनको पढ़ाती भी है.
वह बचपन से ही स्कूल शिक्षक बनना चाहती थी. उन्होंने कई बार टीचिंग जॉब के लिए परीक्षा भी दी है. लेकिन, परीक्षा में सफलता नहीं मिली. कांकसा के मलानदिघी गर्ल्स हाई स्कूल में शिक्षकों की कमी है. उस कमी को देखते हुए ईमानी ने उस स्कूल में भी छात्रों को एक छोटे से शुल्क पर पढ़ाने का काम कर रही है. ईमानी के इस कार्य को लेकर स्कूल के स्थाई शिक्षक ईमानी के इस सराहनीय कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा करते हैं. स्कूल से लौटने के बाद वह क्षेत्र के आदिवासी गरीब छात्रों को निशुल्क ट्यूशन पढ़ाती है. दीदी ईमानी की ट्यूशन कक्षा में छोटे छात्र नियमित रूप से उपस्थित होते है.
यदि कोई बच्चा बीमार हो गया और वह ट्यूशन पढ़ने नहीं पहुंचता है, तो ईमानी उस बच्चे के घर में भी पहुंच जाती है. आदिवासी छात्र-छात्राओं का भविष्य संवारने का जो बीड़ा ईमानी ने उठाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है. ईमानी मुर्मू कहती हैं कि नौकरी न मिले, तो भी समाज के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन वह करती रहेगी. ईमानी बताती है की वह देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और राज्य की मुख्यमंत्री से प्रेरित है. ईमानी कहती है कि समाज की हर महिला आगे आये और पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़े.