मणिपुर पर जरूरी पहल
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने भी माना है कि मणिपुर में कानून के प्रति भरोसा पैदा करना अत्यंत जरूरी है.
देश के उत्तर-पूर्व के महत्वपूर्ण राज्य मणिपुर में शांति और सौहार्द कायम करने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने जरूरी पहल की है. शीर्ष अदालत ने राहत व पुनर्वास के लिए अवकाश प्राप्त तीन महिला जजों की समिति बनाने और हिंसा से जुड़े मामलों की जांच की खुद निगरानी करने को कहा है. अदालत की ओर से उठाये गये इन कदमों का मकसद मणिपुर में सामाजिक स्तर पर समुदायों के बीच विश्वास पैदा करना और हालात को सामान्य बनाना है. मणिपुर में हिंसा की पहली घटना तीन मई को हुई थी. उसके बाद से यह राज्य लगातार जलता रहा. सामुदायिक-जातीय हिंसा ने सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर दिया है. दो समुदायों के बीच ऐसी हिंसा शायद पहले कभी नहीं देखी गयी थी. बड़े पैमाने पर हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम दिया गया. इस विद्वेष का ग्लानि से भर देने वाला पहलू महिलाओं को निशाना बनाने का रहा.
जिस समाज में महिलाओं की पारंपरिक तौर पर सम्मान और प्रतिष्ठा रही है, वहां दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाना हमारी मनुष्यता पर भी सवाल खड़े करता है. बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने अभूतपूर्व हिंसा से दहकते मणिपुर में भरोसे का माहौल बनाने की ओर कदम उठाया है. हिंसा की आग में झुलसे लोगों के राहत व पुनर्वास, मुआवजे आदि की निगरानी के लिए अवकाश प्राप्त तीन महिला जजों की समिति बनाना सकारात्मक पहल है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता में बनी यह समिति उजड़े लोगों को बसाने और उनके जीवन को सामान्य बनाने में तेजी से काम करेगी, यह मणिपुर की जरूरत तो है ही, प्राथमिकता भी है. वहां हिंसा से जुड़े 6523 प्राथमिकी दर्ज हुई हैं.
इनमें 72 हत्याओं से जुड़े मामले भी हैं. दर्ज प्राथमिकी से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस व्यापकता में हिंसक घटनाएं हुईं. शीर्ष अदालत के निर्देश पर इन मामलों की जांच 42 एसआइटी (विशेष जांच टीम) करेंगी. इनमें वे 12 मामले शामिल नहीं हैं, जिसकी जांच सीबीआइ कर रही है. ये जघन्य अपराध से जुड़े मामले हैं. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने भी माना है कि मणिपुर में कानून के प्रति भरोसा पैदा करना अत्यंत जरूरी है. मैतेई और कुकी समुदायों के बीच घृणा-नफरत की जगह प्यार-मोहब्बत कायम करना, उनके बीच विश्वास जगाना ही अदालत की मंशा है. सुप्रीम कोर्ट की यह पहल भी अच्छी मानी जायेगी कि उसने मणिपुर में हिंसा के मामलों की जांच की निगरानी करने का वचन दिया है.