मेरी फिल्म नायक सिंघम टाइप पुलिस की नहीं बल्कि रियल लाइफ पुलिस ऑफिसर की कहानी होगी – इमरान जाहिद
अभिनेता इमरान जाहिद अपनी अगली फिल्म नायक की तैयारी कर रहे हैं. नायक दिल्ली क्राइम ब्रांच में अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए जाने जाने वाले आईपीएस अधिकारी डॉक्टर राम गोपाल नाइक पर आधारित होगी. फिल्म को लेकर एक्टर ने कई बाते की.
अभिनेता इमरान जाहिद बीते साल बिहार के आईएएस ऑफिसर अभय शुक्ला के संघर्ष को फिल्म अब दिल्ली दूर नहीं से रुपहले पर्दे पर लेकर आये थे. इन-दिनों वह अपनी अगली फिल्म नायक की तैयारी कर रहे हैं. नायक दिल्ली क्राइम ब्रांच में अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए जाने जाने वाले आईपीएस अधिकारी डॉक्टर राम गोपाल नाइक पर आधारित होगी. एक बार फिर रियल किरदार से जुड़ने पर इमरान बताते हैं कि जो रियल लाइफ किरदार होता है. वो सोसाइटी से आता है, इसलिए वह सोसाइटी में बदलाव ला सकता है. वो सुपरहीरो नहीं है, लेकिन उसके काम सुपरहीरो से कम भी नहीं है. ऐसी कहानियों को बताना जरूरी है. इसके साथ ही मैं छोटे शहर बोकारो से आता हूं, तो मुझे लगता है कि मैं ऐसे रियल लाइफ के किरदार से ज्यादा अच्छे से कनेक्ट कर सकता हूं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत….
डॉक्टर राम गोपाल नाइक की कहानी में आपको सबसे ज्यादा अपीलिंग क्या लगा, जो आपने उनपर फिल्म बनाने का प्लान किया है?
डॉक्टर राम गोपाल नाइक की कहानी और उनका व्यक्तित्व दोनों बहुत ही रोचक है. उन्होंने देश के कई हाई प्रोफाइल केस सॉल्व किये हैं. क्रिकेटर सट्टेबाज संजीव चावला का प्रत्यर्पण हो, सीबीएससी पेपर लीक मामला हो या फिर 12 साल के एक बच्चे को अपहरणकर्ताओं से छुड़वाने का उनका कारनामा. अपने 20 साल के करियर में जिस तरह से उन्होंने बड़े-बड़े केसेज को अंजाम दिया था. सभी को लग सकता है कि वह सिंघम टाइप पुलिस वाले होंगे, लेकिन वे सिंघम टाइप के पुलिस वाले नहीं है. बहुत ही शांत और धैर्य रखने वाले इंसान हैं. इनका सोशल मीडिया में कोई प्रोफाइल नहीं है. गूगल पर मुश्किल से आपको उनकी तस्वीरें मिलेंगी. आज के समय में कोई इंसान एक छोटा काम भी करता तो उसे शोकेस करने से पीछे नहीं हटता है और ये इंसान इतना बड़ा काम कर गया, लेकिन सोशल मीडिया पर एक अकाउंट नहीं है. कमाल की बात ये है कि वे एमबीबीएस डॉक्टर भी हैं, वो क्रिमिनल की पिटाई तो करते थे पर्ची भी लिखकर देते हैं कि ये दवाई ले लेना है. ऐसे लोगों के बारे में बताना जरूरी है, जो असली नायक हैं, लेकिन लोग उन्हें जानते नहीं हैं. छह महीने उन्हें कन्विंस करने में गए कि आप पर फिल्म बननी चाहिए.
राम गोपाल नाईक की 20 साल की सर्विस को क्या ढाई घंटे की फिल्म में दर्शा पाना संभव होगा?
यह पहले दिन से तय है कि वेब सीरीज नहीं फिल्म फॉर्मेट पर ही मुझे ये कहानी कहना है. मुझे लगता है कि अभी भी गाँवों तक थिएटर की पहुंच है ,लेकिन ओटीटी की नहीं. वैसे इस फिल्म की कहानी का मुख्य फ़ोकस दिल्ली का चर्चित अपहरण केस होगा. जिसके लिये राम गोपाल नाइक को गैलेंट्री अवार्ड भी मिला था. यह फिल्म क्राइम थ्रिलर अन्दाज़ में उस घटना को सामने लेकर आएगी. 24 -25 जनवरी को दिल्ली में परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. ऐसे में एक बारह साल के बच्चे का अपहरण हो गया था. कैसे उन्होंने उस केस को सॉल्व किया था. हमारी फिल्म का मुख्य फ़ोकस वही होगा. उनकी ज़िंदगी के बाकी पहलुओं को भी जोड़ा जायेगा.
किरदार को आत्मसात करने के लिए आपकी क्या तैयारी चल रही है?
हम मिलते रहते हैं. मैं उनको सुनता रहता हूं. मुझे लगता है कि लुक से ज्यादा किरदार कोई सोच और उसके न्यूसेंस मायने रखते हैं. लुक की एक लिमिट होती है. आप मूंछ बढ़ाकर किसी किरदार को नहीं कर सकते हैं. उसके अलग-अलग पहलुओं को आपको समझना होगा. मैंने उनकी एक इंटरव्यू क्लिप भी देखी, जहां वह पत्रकारों के साथ अलग थे.
फिल्म की कास्टिंग में कौन से चेहरे जुड़ेंगे ?
इन-दिनों फिल्में नार्थ और साउथ के मेल से बन रही हैं, तो हमारी ये फिल्म भी हम इसी तर्ज पर बनाएंगे. वैसे डॉक्टर राम गोपाल नाइक साउथ से ही आये थे, तो हम साउथ को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. तेलुगू इंडस्ट्री से किसी परिचित अभिनेत्री से बातचीत चल रही है. इसके अलावा म्यूजिक में भी साउथ इंडस्ट्री से ही किसी को अप्रोच करने की तैयारी है. अक्तूबर और नवंबर में फिल्म शूटिंग फ़्लोर पर जाएगी.
फिल्म की शूटिंग की क्या प्लानिंग है?
फिल्म मुख्य रूप से दिल्ली में ही शूट होगी. हां सेंसिटिव एरिया है, लेकिन इतने सालों से दिल्ली में रहा हूं तो चीजें आसान हो जाती है. पिछली फिल्म दिल्ली दूर है के लिए हमने तिहाड़ जेल में शूटिंग की थी. इस फिल्म से भी हम अलग तरह से दिल्ली को एक्सप्लोर करेंगे. दिल्ली की फिल्म नीति भी है, जो हम जैसे मेकर्स के लिये अच्छा सपोर्ट सिस्टम है.