Hazaribagh News: उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडलीय मुख्यालय हजारीबाग के लगभग 1800 सरकारी स्कूलों में 10 वर्षों से तड़ित चालक नहीं लगा है. वर्ष 2007-12 के बीच तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी तुलसीदास के नेतृत्व में सभी स्कूलों में तड़ित चालक लगाया गया था. एक स्कूल में तड़ित चालक लगाने पर 34 हजार खर्च किया गया था. तड़ित चालक लगाने के लिए विद्यालय विकास समिति को पैसा आवंटित किया गया था.
कई शिक्षकों ने बताया है कि 10 वर्षों के अंतराल में अधिकांश स्कूलों में तड़ित चालक की चोरी कर ली गई है. वहीं कई स्कूलों में मरम्मत के अभाव में तड़ित चालक खराब पड़ा है. इधर 10 वर्षों के अंतराल में शिक्षा विभाग की ओर से किसी स्कूलों में तड़ित चालक नहीं लगाया गया है. मानसून शुरू है. व्रजपात आपदा स्थिति से निपटने के लिए शिक्षक चिंतित हैं. वहीं विद्यार्थी भगवान भरोसे है.
जिले में कक्षा एक से आठवीं तक 1400 एवं नौ से 12वीं तक मिलाकर स्कूलों की लगभग संख्या 1800 है. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले अधिकांश विद्यार्थी गरीब, निर्धन एवं असहाय परिवार से आते हैं. किसी स्कूल में वज्रपात जैसी आपदा की होने-अनहोनी की चिंता शिक्षकों को लगी रहती है. वहीं जिला प्रशासन शिक्षा विभाग इस ओर उदासीन है. मौसम विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2021-22 में झारखंड में वज्रपात की लगभग चार लाख 39 हजार 828 घटनाएं हुईं. हजारीबाग में दर्जनों घटनाएं शामिल है.
मानसून में व्रजपात आपदा स्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने गाइडलाइन जारी किया है. इससे निपटने के लिए सहायता केंद्र बनाया गया है. मानसून सीजन को देखते हुए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार की ओर से प्राकृतिक आपदा व्रजपात की आपात स्थिति में सहायता के लिए जनहित में सू्चना जारी की गई है. इसमें किसी भी आपदा की स्थिति में सहायता के लिए 112, पुलिस सहायता के लिए 100, अग्निशमन सहायता के लिए मोबाइल नंबर- 9304953423, एंबुलेंस सहायता के लिए 108 एवं कंपोजिट कंट्रोल रूम के लिए फोन नंबर 06546-264159, 265233 में सूचना देने को कहा गया है. जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार की अध्यक्ष सह डीसी नैंसी सहाय ने आमजनों से प्राकृतिक आपदा व्रजपात से हरसंभव बचने की सलाह दी है. व्रजपात से बचने के लिए कई सावधानी बरतने की अपील जनता से की गई है.
इसमें कहा गया है कि व्रजपात के समय बिजली से चलने वाले सभी तरह के यंत्र को बंद रखना है. वहीं को बिजली की चमक देख और गड़गड़ाहट की आवाज सुनकर उच्च एवं एकल पेड़ों के नीचे नहीं जाने की सलाह दी गयी है. यदि आप जंगल में है तो व्रजपात से बचने के लिए एकल पेड़ का इस्तेमाल नहीं कर घने पेड़ों की शरण में जाना है. व्रजपात किस समय जहां हैं वहीं रहे. हो सके तो पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख दोनों पैरों को आपस में सटा ले. हम पैर आपस में सट्टा लें, दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर अपने सिर को जमीन की तरफ यथासंभव झुका ले.
प्रभारी डीइओ पुष्पा कुजूर ने कहा कि प्राकृतिक आपदा व्रजपात से निपटने के लिए शिक्षकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है. जिले के अधिकांश स्कूलों में खराब तड़ित चालक मरम्मति एवं नये तड़ित चालक लगाने को लेकर सरकार को जानकारी उपलब्ध कराई गई.
रिपोर्ट: आरिफ, हजारीबाग