Jharkhand News, हजारीबाग न्यूज (सलाउद्दीन) : झारखंड के हजारीबाग जिले में पिछले एक साल में 384 लोगों को सांप ने डंसा है. इसमें लगभग दो दर्जन लोगों की मौत हो गयी है. जिले के 16 प्रखंडों में सर्पदंश के बाद ओझा-गुणी व झाड़-फूंक के कई मामले सामने आये हैं. झाड़-फूंक के चक्कर में अधिकतर लोगों की जानें चली गयी हैं, जबकि समय पर इलाज करानेवाले लोगों की जान बच गयी है. डॉक्टर बताते हैं कि सर्पदंश के बाद सभी लोग तत्काल इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें. सबसे नजदीक के अस्पताल में जाकर एंटी वेनम सिरम का इंजेक्शन लगवायें.
हजारीबाग जिले के टाटीझरिया में बुधवार को झांड़-फूंक का मामला फिर से सामने आया. सर्पदंश के बाद अंधविश्वास का एक उदाहरण देखने को मिला. टाटीझरिया प्रखंड की डूमर पंचायत अंतर्गत कोल्हू बेड़म गांव है. कोल्हू गांव निवासी छोटी मंडल का पांच वर्षीय पुत्र शंकर प्रसाद को सांप ने डंसा था. परिजनों ने इलाज कराने की जगह झाड़-फूंक कराने ओझा के पास ले गये. घंटों तक उसको ओझाओं ने झाड़-फूंक किया. गांव के बगल में करीब चार घंटे तक उक्त क्रिया चलती रही, लेकिन किसी ने भी बच्चे का इलाज डॉक्टर से कराना जरूरी नहीं समझा. बच्चे की किस्मत अच्छी थी कि उसकी जान बच गयी.
जहरीले सांपों के डंसने के बाद भी इलाज कराने की जगह झाड़-फूंक कराने ले जाते हैं. बेड़म गांव के लोगों ने बताया कि इस बच्चे को 15 जून 2021 की शाम को सियरचंदवा सांप ने डंसा था. जिसे रात लगभग 9:30 बजे बेड़म गांव लाया गया. रात से एक बजे तक झाड़-फूंक होते-होते वह बच्चा ठीक हो गया. लोगों ने यह भी बताया कि यहां पर जितने भी सर्पदंश के बाद लोग आये हैं 100 प्रतिशत सभी ठीक होकर गये हैं.
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हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड में पिछले सप्ताह धरमपुर निवासी कामेश्वर महली को करैंत सांप के डंसने के बाद मौत हो गयी क्योंकि परिवार के लोग अस्पताल में इलाज कराने के बजाय तांत्रिक के पास झांड़-फूंक कराने ले गये. 22 वर्षीय इस युवक की शादी होनेवाली थी. दुल्हन पक्ष के लोग तिलक चढ़ाने घर आये थे. तब लोगों को मौत की खबर लगी. सांप के डंसने और मौत के बाद भी गांव के लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं.
पिछले तीन माह के भीतर इचाक प्रखंड में सर्पदंश से एक युवती की मौत हुई है. मृतक युवती पूनम कुमारी (21 वर्ष) पिता महेंद्र पांडेय जो विनोबा भावे विश्वविद्यालय में एमए की छात्रा थी. जिसकी मौत 14 जून को करैंत सांप के डंसने से हो गयी थी. मृतक पूनम घर में सोयी हुई थी. रात में करीब दो बजे गर्दन में सांप ने डंस लिया था. अस्पताल ले जाने के दौरान उसकी मौत हो गयी थी.
पदमा प्रखंड के सरकारी अस्पताल पदमा और चंपाडीह में सर्पदंश पर लगने वाली सुई उपलब्ध नहीं है. चलकुशा प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र में भी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है. हालांकि बड़कागांव, बरही, विष्णुगढ़ और चौपारण समेत सदर अस्पताल में एंटीवेनम सिरम इंजेक्शन उपलब्ध है. बरही अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉ शशि शेखर ने बताया कि सर्पदंश के बाद सभी लोग तत्काल इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें. सबसे नजदीक के अस्पताल में जाकर एंटी वेनम सिरम का इंजेक्शन लगवायें.
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जिस व्यक्ति को सांप डंसा है. चलने फिरने नहीं दें. उसे जितना जल्दी हो सके एंटी वेनम सिरम इंजेक्शन लगाने के लिए अस्पताल ले जायें. शरीर में जिस जगह सांप ने डंसा है उसके उपर तक रस्सी घुमा-घुमा कर बांधना चाहिए. इससे शरीर में रक्त का संचार को धीमा करना है. व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक रूप से आत्म बल को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए. सोने नहीं देना है. चिरा वगैरह नहीं लगाना चाहिए. शरीर का कोई नस कट सकता है.
सांप प्रजाति के जानकार मुरारी सिंह ने बताया कि विषहीन सांप जब किसी को डंसते हैं तो गांव के लोग ओझा से झांड़-फूंक कराते हैं. चूंकि सांप का विष शरीर में नहीं था. जहरीला सांप ने नहीं डंसा था. इस कारण वह व्यक्ति ठीक होकर घर आ जाता है. इससे ओझा के झाड़-फूंक का प्रचार गांव में फैल जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि जहरीला सांप अगर किसी को डंसता है तो एंटी वेनम सिरम इंजेक्शन लगाकर ही बचाया जा सकता है. दूसरा कोई उपाय नहीं है.
Posted By : Guru Swarup Mishra