Jharkhand News, खरसावां न्यूज (शचिन्द्र कुमार दाश) : झारखंड में लघु वनोपज से लोगों को अच्छी आमदनी हो जाती है. सरायकेला-खरसावां जिला समेत पूरे कोल्हान में बड़ी संख्या में लोग वनोपज पर आश्रित हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जंगलों से लघु वनोपज को बाजार में बिक्री करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों की आजीविका को बढ़ाने में यह लघु वनोपज काफी मददगार है. भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय ने पिछले वर्ष ही लघु वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की है.
मालूम हो कि कोल्हान के जंगलों में बड़े पैमाने पर लाह, महुआ, साल का पत्ता, साल का बीज, इमली, कुसुम, करंज, जामुन, चिरायता, नीम बीज, चिरौंजी आदि का उत्पादन होता है. इससे कोरोना काल में कोल्हान समेत पूरे झारखंड के पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों को लाभ मिल रहा है. पिछले वर्ष कोल्हान के जंगलों में मिलने वाला साल पत्ता, साल का बीज, कुसुम, करंज, जामुन, चिरायता, नीम बीज, चिरौंजी, महुआ, लाह, इमली, मधु, वन तुलसी, गिलोय, अर्जुन झाली, आंवला, सतवरी, महेदा आदि के वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गयी थी.
इमली 36 रुपये, जंगली मधु 225 रुपये, चिरौंजी 126 रुपये, रंगीन लाह 200 रुपये, कुसुमी लाह 275 रुपये, गम कायरा 114 रुपये, करंज बीज 22 रुपये, साल बीज 20 रुपये, महुआ 29 रुपये, साल पत्ता 35 रुपये, कुसुम बीज 23 रुपये, नीम बीज 27 रुपये, सीकाकाई 50 रुपये, सतावरी 107 रुपये, मधुनासीनी 41 रुपये, कालमेघ 35 रुपये, महुआ का फूल 30 रुपये, तेजपत्ता 40 रुपये, जामुन का बीज 42 रुपये, आंवला 52 रुपये, अर्जुन छाली 21 रुपये, गिलोय 40 रुपये, चिरायता 34 रुपये, वन तुलसी 22 रुपये, बकुल 46 रुपये एवं नोनी 17 रुपये प्रति किलो तय किया गया है.
Posted By : Guru Swarup Mishra