लॉकडाउन में जमाखोर व्यापारियों की पौ बारह, ना खाता, ना बही, लाला जी जो कहें, वही सही
नफा, जमाखोर व मुनाफाखोर उठा रहे हैं. लोगों की शिकायत है कि पुलिस और प्रवर्तन शाखा को इसकी जानकारी देने के बावजूद कालाबाजारिये और मुनाफाखोर अपनी कारस्तानी से बाज़ नहीं आ रहे हैं.
नवीन कुमार राय, कोलकाता : प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की बार- बार अपील के बावजूद ऐसे अनेक लोग हैं, जो लॉकडाउन में भी इसके लिए निर्धारित दिशानिर्देशों को नहीं मान रहे हैं. उनसे बार-बार कहा जा रहा है कि रोज़मर्रा के सामान पाने के लिए किसी अफरा-तफरी में ना रहें. लॉकडाउन में भी सारे सामान की आपूर्ति बाधित नहीं होगी और थोक में सामान खरीदने से बचें.
ऐसे सामान का संग्रह करने से अन्य ज़रूरतमंदों को तकलीफ होगी. परंतु लोग समझने को तैयार नहीं हैं. इसका नफा, जमाखोर व मुनाफाखोर उठा रहे हैं. लोगों की शिकायत है कि पुलिस और प्रवर्तन शाखा को इसकी जानकारी देने के बावजूद कालाबाजारिये और मुनाफाखोर अपनी कारस्तानी से बाज़ नहीं आ रहे हैं. इंटाली थाना इलाके के मौलाली में मजार के ठीक सामने एक नंबर कॉन्वेंट रोड पर आटा व मैदा के थोक विक्रेता के यहां कुछ ऐसा ही देखने को मिला.
रोज़ाना यहां पर गरीबों को 21 रुपये प्रति किलो के भाव से आटा मिलता था. इलाके के लोग यहां से सस्ते में आटा खरीद लेते थे. लेकिन गुरुवार से यहां पर आटा 30 से 32 रुपये किलो की दर से बिकने लगा. जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया, तो दुकान के कर्मचारी ने कहा कि आटा खत्म हो गया है. जब वहां मौजूद सफेद बोरों को दिखाया गया, तो उन्होंने कहा कि इनमें आटा नहीं मैदा है. जब आटा आयेगा, तभी मिलेगा. जितने दाम का आयेगा, उतने भी ही देना पड़ेगा.
उल्लेखनीय है कि लोगों के सामने फुटकर विक्रेताओं के लिए बोरो में लदा आटा जा रहा था. स्थानीय लोगों ने जब इसकी शिकायत इंटाली थाने में की, तो वहां किसी के कान पर जूं नहीं रेंगी.
इसके बाद स्थानीय लोगों ने प्रभात खबर के कार्यालय से संपर्क किया, तब प्रभात खबर की टीम मौके पर पहुंची. वहां पर उक्त व्यवसायी बेखौफ अपना धंधा जारी रखे हुए था. लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि उसकी कारगुजारी मोबाइल कैमरे में कैद हो रही है, वह अपना खाता-बही तिजोरी में रख कर आटे की बोरी को मैदा बताने लगा. इसके बाद प्रभात खबर की टीम ईएसडी के डीसी आइपीएस अधिकारी अजय प्रसाद के पास पहुंची, जिन्होंने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया.
इस बीच, प्रभात खबर की दूसरी टीम ने इस घटनाक्रम की शिकायत इंफोर्समेंट ब्रांच से की, तो वहां से भी वैसा ही आश्वासन मिला. लेकिन खबर लिखे जाने तक क्या कार्रवाई हुई, इस पर ना तो पुलिस से कोई सूचना मिली और ना ही इंफोर्समेंट ब्रांच से कोई जानकारी दी गयी. ऐसे समय में यह कहा जा सकता है कि कुल मिला कर पूरे कोलकाता में एक ही नारा चल रहा है – ना खाता, ना बही, लाला जी जो कहें, वही सही.