अनाज की खोज में हाथी ने गढ़वा में तीन घरों को तोड़ा, गेंहू की खड़ी फसल को रौंदकर किया बर्बाद
jharkhand news: गढ़वा में हाथियों का उत्पात रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इस बार बैरिया गांव में मिट्टी के बने गिरजाघर समेत कई घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. वहीं, खेत में लगे गेहूं की फसल को रौंदकर बर्बाद कर दिया.
Jharkhand news: खेत- खलिहानों में अब धान की फसल नहीं रहने के बाद हाथियों ने आक्रामक तरीके से नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. अनाज की खोज में हाथी अब घरों को क्षतिग्रस्त करने लगे हैं. गढ़वा जिला के बैरिया गांव में हाथी ने मिट्टी से बने एक गिरजाघर समेत बैरिया गांव निवासी बिशुन पासवान और विनय बाखला के घर को तोड़ दिया. इसके अलावा रामप्यारे साव के खेत में लगी गेहूं फसल को रौंदकर बर्बाद कर दिया.
गांव में हाथी के पहुंचने की जानकारी मिलते ही ग्रामीण एकजुट होकर टीना, थाली सहित अन्य बर्तन बजाकर भगाने का प्रयास करने लगे, लेकिन हाथी एक के बाद एक घर तोड़ता रहा. ग्रामीणों ने बताया कि जंगलों की ओर से निकला एक हाथी गांव में पहुंचकर अनाज की खोज में पहले गिरजाघर को क्षतिग्रस्त किया, लेकिन यहां अनाज नहीं मिलने के बाद बिशुन पासवान के घर पहुंचकर उसका घर तोड़कर मकई और धान खा गया.
यहां से भागने के बाद हाथी ने बरवा गांव पहुंचकर विनय बाखला का घर तोड़ दिया. यहां भी घर में अनाज नहीं मिलने पर बरवा गांव के एक अन्य गिरजाघर का दरवाजा क्षतिग्रस्त कर दिया. ग्रामीणों ने बताया कि इस हाथी को ग्रामीण गांव किनारे जंगलों में अक्सर देखते हैं. इस तरह की घटना के बाद ग्रामीण वन विभाग के प्रति आक्रोशित हैं. बताया कि इस तरह घरों को क्षतिग्रस्त होने का सिलसिला कब तक चलता रहेगा. वहीं, वन विभाग सिर्फ मुआवजा देने की बात कहकर हाथियों का स्थायी समाधान नहीं कर रहा है.
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बैल की तरह हांककर हाथी को भगा रहे थे ग्रामीण
गांव में हाथी के पहुंचने की जानकारी मिलने के बाद ग्रामीण उसे भगाने लगे, लेकिन आगे-आगे हाथी और पीछे-पीछे ग्रामीण चल रहे थे. ग्रामीण बताते हैं कि बैल की तरह हांककर उसे भगाया जा रहा था. इसके बावजूद हाथी अपने हिसाब से गांव में घरों को तोड़ता रहा. ग्रामीणों ने बताया कि भगाने के दौरान हाथी एक तालाब में घुस गया, लेकिन हाथी तालाब पार कर गांव किनारे एक पेड़ के नीचे जाकर रूक गया. लेकिन, जंगल की ओर नहीं भागा. काफी प्रयास के बावजूद नहीं भागने के बाद आखिरकार थक-हारकर ग्रामीण भी गांव वापस लौट गये.
ग्रामीणों के मुताबिक, गांव में घरों को तोड़कर अनाज खाने के आदि हो चुके हाथी अब मशाल, टीना बजाने सहित घरेलू जुगाड़ से भी नही डरते हैं. कभी-कभी तो हाथी इन सब जुगाड़ देखकर निर्भीक होकर चुपचाप अपना काम करते रहते हैं. इसी कारण रात में हाथी को भगाने के लिए उसे बैल की तरह हांकना पड़ रहा था.
दूसरे घर में रखने से बचा अनाज, नहीं तो खा जाते हाथी
जानकारी के अनुसार, हाथियों के उत्पात की घटना से आशंकित रमकंडा के बैरिया गांव निवासी विनय बाखला पड़ोसी के घर में अनाज रख दिया था. वहीं, घर बंद कर सपरिवार कमाने गया है. लेकिन, रात में हाथी ने अनाज की खोज में इसके घर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. ग्रामीण बताते हैं कि विनय अगर घर में अनाज छोड़ देता, तो हाथी उसे भी बर्बाद कर देते. गनीमत रही कि उसने अनाज को पड़ोसी के घर में रख दिया था.
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हाथियों को रोकने में सोलर फेसिंग योजना हो सकती है कारगर
गढ़वा जिले के दक्षिणी वन क्षेत्र वाले इलाकों में वर्षों से उत्पात मचा रहे हाथियों को रोकने में सोलर फेसिंग योजना कारगर हो सकती है. लेकिन, यह योजना गढ़वा जिले में फिलहाल नहीं है. यह योजना संताल के गोड्डा जिले के गांवों में शुरू हो रही है. इस योजना के तहत गांव के बाहर सौर ऊर्जा से प्रवाहित कम वोल्ट की तार बिछायी जायेगी. इससे हल्के करंट लगते ही हाथी गांव में नहीं घुस पायेंगे. हालांकि, इस झटके से हाथी या मनुष्य की मौत नही होगी. इस तरह की योजना गढ़वा जिले में आने से संभवतः हाथियों को गांवों में घुसने से रोकने के लिये कारगर हो सकती है.
इस महीने के अंत तक हाथियों के निकलने की संभावना : डीएफओ
इस संबंध में पूछे जाने पर गढ़वा डीएफओ शशि कुमार ने कहा कि इन दिनों हाथियों का उत्पात बढ़ गया है. प्रभावित किसानों को मुआवजा उपलब्ध कराया जा रहा है. बताया कि इस महीने के अंत तक हाथियों के अपने क्षेत्र में वापस लौटने की संभावना है.
रिपोर्ट : मुकेश तिवारी, रमकंडा, गढ़वा.