Jharkhand News: गढ़वा जिले में धान के बाद अब इस बार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की पैदावार भी अपेक्षाकृत कम होने की संभावना है. समय पर बारिश नहीं होने, नीलगाय, बंदर और हाथियों के उत्पात तथा सिंचाई की सीमित व्यवस्था की वजह से जिले में गेहूं की बुआई कम लोगों ने ही की है. कृषि विभाग के अनुसार, गढ़वा में गेहूं की खेती 18,500 हेक्टेयर भूमि पर की जाती है. दो जनवरी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल मात्र 11,377 हेक्टेयर में ही गेहूं की फसल लगायी गयी है. यह कुल लक्ष्य का 61.5 प्रतिशत है. यह धान के उत्पादन की तुलना में काफी कम है. गढ़वा जिले में धान का उत्पादन 55 हजार हेक्टेयर में किया जाता है. हालांकि, इस साल धान की रोपाई भी नहीं के बराबर हुई है.
मक्का का उत्पादन भी प्रभावित
इसी तरह गढ़वा जिले की प्रमुख फसल मक्का का उत्पादन भी इस बार मात्र 12.5 प्रतिशत ही हुआ है. कृषि विभाग के आंकड़ों के हिसाब से जिले के दो हजार हेक्टेयर भूमि पर मक्के की फसल लगायी जाती है, लेकिन बारिश से प्रभावित मौसम की वजह से इस बार मात्र 250 हेक्टेयर में ही मक्के की फसल लगायी गयी थी. इस वजह से गढ़वा जिले के वैसे किसान जिन्होंने इन फसलों को लगाया था, वे काफी मायूस हैं.
दलहनी फसल लगानेवाले किसान खुश
जिले में धान, गेहूं और मक्के की फसल लगाने वाले से किसानों को भले ही निराशा झेलनी पड़ी हो, लेकिन दलहनी और तेलहनी फसल लगानेवाले किसानों के चेहरे पर खुशी है. इनके संतोषजनक उपज की संभावना है. जिले में दलहनी फसलों का आच्छादन 90.3 प्रतिशत क्षेत्र में तथा तेलहनी फसलों का आच्छादन 90.9 प्रतिशत क्षेत्रों में किया गया है. दलहनी फसलों का आच्छादन का लक्ष्य 26,600 हेक्टेयर तय किया गया था, इसके खिलाफ जिले के 24,008 हेक्टेयर खेतों में इसे लगाया गया है. दलहनी फसलों में मुख्य रूप से चना का आच्छादन 16000 हेक्टेयर के खिलाफ 15760 हेक्टेयर, मसूर का आच्छादन 5100 हेक्टेयर के खिलाफ 4743 हेक्टेयर एवं अन्य दलहनी फसलों का आच्छादन 2000 हेक्टेयर के खिलाफ 910 हेक्टेयर में हुआ है, जबकि तेलहन फसलों में सरसों का आच्छादन 27,500 हेक्टेयर लक्ष्य के खिलाफ 25,975 हेक्टेयर, तीसी 3500 हेक्टेयर के खिलाफ 2625 हेक्टेयर में लगाया गया है.
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पानी की कमी से गेहूं का उत्पादन प्रभावित : डॉ अशोक कुमार
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार ने बताया कि गढ़वा जिले में प्राय: बारिश कम होती है. इसलिए यहां रबी के समय सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है, जबकि गेहूं की फसल को पांच-छह सिंचाई की जरूरत होती है. इस बार बारिश काफी कम हुई है. इस वजह से पूर्व के साल की तुलना में गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ है जबकि दूसरी तरफ अक्तूबर माह में बारिश होने से समय पर सरसों और चना की बुआई के लिए किसानों को जमीन में पर्याप्त नमी मिल गयी, इसलिए इन फसलों का संतोषजनक आच्छादन हुआ है.