संगम नगरी के इस गांव में होली के दिन निकाला जाता है विजय जुलूस, जफर सईद की कब्र पर लोग जताते हैं आक्रोश

मोहम्मद जफर सईद के आतंक का आलम यह था कि शादी किसी की भी हो, दुल्हन का डोला पहले उसकी हवेली पर ही जाता था. इतना ही नहीं, जो किसान लगान नहीं दे पाता था, उसकी बहन बेटियों को वह अपनी हवेली पर उठवा लेता था.

By Prabhat Khabar News Desk | March 19, 2022 3:37 PM
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Prayagraj News: होली के पावन पर्व पर देश में जहां उमंग और हर्षोल्लास का माहौल है. युवा बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं सभी प्रेम और भाई चारे के रंग में रंगे नजर आ रहे हैं. वहीं संगम नगरी प्रयागराज के गंगापार क्षेत्र के ककरा कोटवा गांव में होली के मौके पर अलग ही उल्लास देखने को मिला. यहां होली के मौके पर विजय जुलूस निकाल कर करीब 300 साल पुरानी परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है.

जानिए इस परम्परा का क्या है इतिहास

स्थानीय लोगों ने बताया कि मुगल शासनकाल के दौरान प्रयागराज अवध प्रांत में आता था. उस वक्त अवध प्रांत की बागडोर मुगल शासक नवाब वाजिद अली शाह के पास थी. वाजिद अली ने इस क्षेत्र की बागडोर अपने सिपहसालार मोहम्मद जफर सईद को सौंप दी थी. जफर सईद ही यहां लोगों से लगान वसूली करता था. वह किसानों से लगान वसूली के साथ ही साथ बहन बेटियों का भी शोषण करता था.

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मोहम्मद जफर सईद के आतंक से हर कोई परेशान था

मोहम्मद जफर सईद के आतंक का आलम यह था कि शादी किसी की भी हो, दुल्हन का डोला पहले उसकी हवेली पर ही जाता था. इतना ही नहीं, जो किसान लगान नहीं दे पाता था, उसकी बहन बेटियों को वह अपनी हवेली पर उठवा लेता था. मोहम्मद जफर सईद के आतंक से हर कोई परेशान था. उससे निजात पाने के लिए ग्रामीणों ने ठाकुर नजर सिंह ने मदद मांगी.

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होली के दिन मोहम्मद जफर का अंत

होली के दिन ग्रामीणों ने ठाकुर नजर सिंह की मदद से मोहम्मद जफर सईद की हवेली पर हमला बोल दिया. इसमें सैकड़ों ग्रामीण शहीद हो गए. ग्रामीणों ने मोहम्मद जफर सईद की भी हत्या कर लोगों को उसके जुल्म से निजात दिला दी. तभी से होली के दिन हर साल यहां विजय जुलूस निकाल कर लोग अपने पूर्वजों के बलिदान और शौर्य को याद करते हैं.

ग्रामीण विजय जुलूस निकाल जफर की कब्र पर जताते हैं आक्रोश

होली की सुबह ढोल और नगाड़े के साथ युवा साफा बांधे हाथ में बल्लम, तलवार, फरसा, लाठी लेकर बेलावर, जमुनीपुर कोटवा होते हुए विजय जुलूस लेकर दुर्वाषा आश्रम मंदिर पहुंचकर दर्शन पूजन किया. इसके बाद जफर की कब्र पर पहुंचकर अपना आक्रोश व्यक्त किया. शाम को एक बार फिर विजय जुलूस अन्नपूर्णा माता के मंदिर होते हुए इंद्रिय धाम मंदिर पर समाप्त हुई. इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजार किए गए थे. सरायइनायत पुलिस विजय जुलूस के दौरान पूरी तरह मुस्तैद नजर आई.

रिपोर्ट- एस के इलाहाबादी, प्रयागराज

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