Kanpur News: कानपुर और कन्नौज में आयकर विभाग की कई टीमें छापेमारी में जुटी हैं. इस बीच टीम ने सपा एमएलसी पुष्पराज जैन के घर पर छापा मारा है. यहां दो इत्र व्यापारियों के घर छापा पड़ा है, दूसरे व्यापारी का नाम मलिक मियां है. फिलहाल, कानपुर और कन्नौज के कई व्यापारी टीम के निशाने पर हैं. पु्ष्पराज जैन पम्पी वही है जिसने समाजवादी इत्र लॉन्च किया था.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, सपा एमएलसी इत्र कारोबारी पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी जैन निवासी चिपट्टी और अयूब मियां के आवास और कारखानों में आयकर विभाग की टीमों ने छापा मारा है, पुष्पराज जैन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के करीबी हैं. हाल ही में उन्होंने समाजवादी इत्र लांच किया था, जिसके बाद से पुष्पराज काफी चर्चा में हैं.
आयकर विभाग की छापेमारी की बात सामने आते ही समाजवादी पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा कि, आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कन्नौज में प्रेसवार्ता की घोषणा करते ही भाजपा सरकार ने सपा एमएलसी पम्पी जैन के यहां छापामार की कार्रवाई करनी शुरू कर दी. भाजपा का डर और बौखलाहट साफ है, जनता भाजपा को सबक सिखाने के लिए तैयार है!
दरअसल, इससे पहले कन्नौज के इत्र व्यापारी पीयूष जैन के मामले में 30 दिसंबर की शाम एक नया मोड़ आया. गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) ने इस मामले में मीडिया में चल रही कई तरह की खबरों को एक सिरे से नकार दिया है. डीजीजीआई ने जानकारी दी है कि कन्नौज की इत्र बनाने की कंपनी मेसर्स ओडोकेम इंडस्ट्रीज की जांच की जा रही है.
महानिदेशालय ने बताया है कि उसके संदर्भ में मीडिया के कुछ वर्गों में ऐसी खबरें सामने आई हैं कि डीजीजीआई ने बरामद नकदी को विनिर्माण इकाई (Manufacturing Unit) के कारोबार के रूप में मानने का फैसला किया है. साथ ही, इस मसले पर उसके मुताबिक ही आगे की प्रकिया बढ़ाने का निर्णय लिया है. डीजीजीआई ने बताया है कि कुछ मीडिया घरानों ने यह भी खबर चलाई है कि पीयूष जैन ने अपनी देनदारी स्वीकार करने के बाद डीजीजीआई की स्वीकृति से कर बकाया के रूप में कुल 52 करोड़ रुपये जमा किए हैं. डीजीजीआई का कहना है कि ऐसी सभी खबरें पूरी तरह से काल्पनिक और आधारहीन हैं. डीजीजीआई इसका खंडन करती है.
महानिदेशालय के मुताबिक, कर छिपाने सरीखे अपराध की स्वैच्छिक स्वीकृति और रिकॉर्ड पर उपलब्ध सुबूतों के आधार पर पीयूष जैन को सीजीएसटी अधिनियम की धारा 132 के तहत निर्धारित अपराधों के लिए 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, 27 दिसंबर को सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था. माननीय न्यायालय ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
पीयूष ने कोर्ट के सामने 177 करोड़ रुपए के कर (टैक्स) न चुकाने की बात स्वीकार की है. हालांकि, पीयूष आय कहां से हुई और किससे हुई इनका किसी का कोई भी दस्तावेज DGGI के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाया है.