खगड़िया के दिहाड़ी मजदूर को भेजा गया 37.50 लाख रुपये का नोटिस, पीड़ित ने थाने में लगाई गुहार

खगड़िया जिले में दिहाड़ी मजदूरी कर कमाई करने वाले गिरीश यादव को सेंट्रल जीएसटी डिपार्ट्मन्ट की तरफ से नोटिस मिला है जिसमें बताया गया है की गिरीश यादव ने नाम पर 37.50 लाख रुपये टैक्स का बकाया है जो की उसे भरना होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2022 5:27 PM
an image

बिहार के खगड़िया से बड़ा ही हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जिले के अलौली प्रखंड के मघौना गांव के रहने वाले एक दिहाड़ी मजदूर को सेंट्रल जीएसटी डिपार्ट्मन्ट की तरफ से भुगतान करने का नोटिस भेजा गया है. प्रतिदिन मजदूरी कर 500 रुपये कमाने वाले मजदूर गिरीश यादव को सेंट्रल जीएसटी डिपार्ट्मन्ट की तरफ से 37.50 लाख रुपये का बकाया जमा कराने के लिए डाक से नोटिस भेजा गया है. नोटिस मिलने के बाद मजदूर सहित उसका पूरा परिवार सदमे में है.

37.50 लाख रुपये बकाया टैक्स का नोटिस 

प्राप्त जानकारी के अनुसार मजदूर गिरीश यादव दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. अब उसे सेंट्रल जीएसटी डिपार्ट्मन्ट का नोटिस मिला है जिसमें बताया गया है की गिरीश यादव ने नाम पर 37.50 लाख रुपये टैक्स का बकाया है जो की उसे भरना होगा. प्राप्त नोटिस में यह भी लिखा गया है की गिरीश ने राजस्थान में एक कंपनी खोल रखी है जिसके जरिए वो कारोबार करते हैं. गिरीश के पैन नंबर पर चालीस लाख रुपया बकाया है जिसे लेकर उन्हें नोटिस भेजा गया है.

पीड़ित नहीं गया कभी राजस्थान 

वहीं इस मामले में मजदूर गिरीश का कहना है की वो कभी भी राजस्थान नहीं गया. गिरीश ने इस मामले को लेकर स्थानीय थाने में गुहार लगाई है. वहीं यह खबर जैसे ही गांव के लोगो को पता चली तो सभी लोग गिरीश यादव के घर पहुंचने लगे. झोंपड़ी में रहने वाले गिरीश यादव किसी तरह से मजदूरी कर घर परिवार को चला रहे है.

Also Read: पटना का होटल बना हुआ था जिस्मफरोशी का अड्डा, पुलिस ने मैनेजर सहित चार आरोपितों को किया गिरफ्तार
पुलिस कर रही जांच 

इस मामले में स्थानीय थाना प्रभारी ने बताया की शिकायत के आधार पर हमने मामला दर्ज कर लिया है. उन्होंने बताया की इस मामले में पुलिस द्वारा जांच शुरू कर दी गई है. थाना प्रभारी पुरेन्द्र कुमार ने बताया की शिकायतकर्ता के नाम से जारी पैन नंबर पर नोटिस मिला है. पीड़ित गिरीश ने पुलिस को बताया की उसने दिल्ली में काम करने के दौरान एक दलाल के जरिए पैन कार्ड बनवाने की कोशिश की थी. जो उसे फिर कभी नहीं मिला.

Exit mobile version