Jharkhand news, Chatra news : चतरा (दीनबंधू /धर्मेंद्र कुमार) : चतरा जिला अंतर्गत सिमरिया प्रखंड के शिला इचाक, चोपे, हुरनाली एवं बानासाडी पंचायत की सखी मंडल की महिलाओं ने गेंदा फूल की खेती कर एक अलग पहचान बनायी है. गेंदा फूल की खेती से ग्रामीण महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं. साथ ही घर- परिवार का जीविकोपार्जन कर रही हैं. महिलाएं 29 डिसमिल जमीन पर गेंदा की खेती कर रही है.
29 डिसमिल जमीन पर 20 महिला कृषकों ने 20 हजार गेंदा फूल के पौधे लगाये हैं. 2 माह पहले इन पौधे को अपने- अपने खेतों में ग्रामीण महिलाओं ने लगायी. अब गेंदा का फूल खेतों से निकलकर बाजारों में आने लगा है. गेंदा फूल की मांग बढ़ गयी है. दीपावली एवं छठ पर्व को लेकर गेंदा फूलों की मांग काफी बढ़ी है. महिलाएं फूल को सिमरिया, शिला, हजारीबाग एवं चतरा के बाजारों में बेच रही हैं. बाजारों में फूल 40 से 50 रुपये किलो तक बिक रहा है. इससे महिलाओं को अच्छी आमदनी हो रही है. उक्त गांव की महिलाएं प्रखंड के अन्य गांव की महिलाओं को गेंदा फूल की खेती के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है.
चमेली आजीविका समूह, शिला की रिंकू देवी ने अपने खेत के 4 डिसमिल जमीन में गेंदा फूल की 600 पौधे लगायी है. इसके अलावा बबिता देवी ने 10 डिसमिल जमीन में 2200 पौधे, मां लक्ष्मी आजीविका समूह शिला की मालती देवी ने 5 डिसमिल में 1000 पौधे, रानी आजीविका समूह इचाक की प्रियंका देवी ने 5 डिसमिल में 1000 पौधे, चोपे की सरोज देवी ने 10 डिसमिल में 2200 पौधे, बड़गांव की लक्ष्मी देवी ने 10 डिसमिल में 2200 पौधे, चांदनी बाड़ा 10 डिसमिल में 2200 पौधे, हुरनाली की कुमारी सुषमा कुशवाहा ने 5 डिसमिल में 1000 पौधे, बानासाडी की आरती कुमारी ने 5 डिसमिल में 700 पौधे, तपसा की किरण देवी ने 5 डिसमिल में 1000 पौधे एवं उरूब गांव की कंचन देवी ने 5 डिसमिल जमीन पर1000 गेंदा फूल के पौधे लगाये हैं.
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चमेली आजीविका समूह, शिला की रिंकू देवी कहती हैं कि आलू, टमाटर, मटर आदि फसल की खेती में काफी मेहनत और पूंजी लगता है. लेकिन, फूल की खेती करने पर मेहनत एवं कम पूंजी लगी है. व्यापारी गांव फूल लेने आते हैं. कभी- कभार ही व्यापारी के गांव नहीं आने पर हजारीबाग एवं चतरा लेकर जाना पड़ता है. इससे 10 से 15 हजार रुपये की आमदनी हो रही है, जिससे घर- परिवार चलाने में सहूलियत हो रही है. वहीं, बबिता देवी ने कहा कि गेंदा फूल की खेती में समय के साथ- साथ पूंजी की बचत हुई है. फूल की खेती कर ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही है. मार्केटिंग को लेकर थोड़ी दिक्कत है. बाजारों में ले जाकर बेचना पड़ता है. इससे 20 से 25 हजार रुपये की आमदनी हो रही है. साथ ही परिवार का भरण पोषण भी हो रहा है. इसके अलावे दूसरे समूह की सखी मंडल की महिलाओं ने भी खेती कर जीविकोपार्जन का साधन अपनाया है.
बीपीएम राहुल रंजन पांडेय ने कहा कि जेएसएलपीएस द्वारा सखी मंडल की महिलाओं के बीच वैकल्पिक आजीविका उपलब्ध कराने के लिए गेंदा फूल की खेती करायी जा रही है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. समूह की महिलाएं फूल की माला बनाकर उचित मूल्य में बेच भी रही है. इस कार्य से महिला समूह से जुड़ी महिलाओं को आजीविका चलाने में काफी सहयोग मिल रहा है.
Posted By : Samir Ranjan.