Independence day 2023: केवल यहां बनता है हर सरकारी इमारत पर लहराने वाला तिरंगा, जानें कैसे पहुंचे यहां
Independence day 2023, Tiranga Interesting Facts: कर्नाटक में हुबली शहर के बेंगेरी इलाके में स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (KKGSS) ‘तिरंगा’ बनाता है. KKGSS खादी और ग्रामाद्योग आयोग द्वारा सर्टिफाइड देश की एकमात्र ऑथराइज्ड नेशनल फ्लैग मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है.
Independence day 2023, Tiranga Interesting Facts: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) एक बार फिर 15 अगस्त को दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे. इस 15 अगस्त को देश आजादी की 76वीं वर्षगांठ मनाएगा. मोदी सरकार इस मौके पर हर घर तिरंगा अभियान चला रही है. घर हो या ऑफिस, फैक्ट्री हो या शोरूम, राष्ट्रध्वज तिरंगा हर 10 में से 9 इमारतों पर फहरा हुआ दिख रहा है. किसी-किसी बिल्डिंग में तो एक से ज्यादा तिरंगे भी फहरे हुए देखे जा सकते है. लेकिन क्या आपको पता है कि कपड़े वाले तिरंगे देश में सिर्फ एक ही जगह पर बनते हैं. आइए जानते हैं तिरंगे से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें (Tiranga Interesting Facts).
तिरंगे के बारे में विस्तार से जानें
ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2 है. सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं. इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है.
केवल ये संस्था बनाती है तिरंगा
कर्नाटक में हुबली शहर के बेंगेरी इलाके में स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (KKGSS) ‘तिरंगा’ बनाता है. KKGSS खादी और ग्रामाद्योग आयोग द्वारा सर्टिफाइड देश की एकमात्र ऑथराइज्ड नेशनल फ्लैग मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है. यानी केवल इसी यूनिट को देश में आधिकारिक रूप से तिरंगा बनाने का हक हासिल है. इसे हुबली यूनिट भी कहा जाता है.
जानें हुबली के बारे में
हुबली नाम हुविना बल्ली शब्द से आया है जिसका कन्नड़ में अर्थ है ‘फूलदार लता’. हुबली, हुबली का अंग्रेजी संस्करण है. प्राचीन काल में हुबली के ऐतिहासिक शहर को राया हुबली और इलाया पुरवाड़ा हल्ली के नाम से जाना जाता था. विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल के दौरान यह शहर एक वाणिज्यिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ. आदिलशाहियों के शासन के तहत, अंग्रेजों ने यहां एक कारखाना खोला और 1673 में शिवाजी द्वारा इसे लूट लिया गया. मुगलों ने रायरा हुबली पर कब्जा कर लिया और फिर इसे 1755 में सावनूर के नवाब के शासन में रखा गया. हुबली को केवल हैदर अली ने जीता था 1790 में मराठों द्वारा पुनः कब्जा कर लिया गया. अंग्रेजों ने 1817 में पेशवाओं से पुराना हुबली ले लिया. बाद में 1880 में, अंग्रेजों ने रेलवे कार्यशाला शुरू की और इसके साथ, हुबली को भारत के इस हिस्से में एक औद्योगिक केंद्र के रूप में गिना जाने लगा.
कैसे पहुंचे हुबली
हुबली जंक्शन से लगभग 8 किमी दूर, हुबली हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है जिसकी बैंगलोर और मुंबई से सीधी उड़ानें हैं. गोवा हवाई अड्डा, लगभग 197 किमी, हुबली का निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. हुबली जंक्शन रेलवे स्टेशन की गोवा, हैदराबाद, बैंगलोर, कोल्हापुर, मनुगुरु, बीजापुर, बेलगाम, मैसूर, नई दिल्ली, मुंबई, गांधीधाम, तिरूपति, सोलापुर, उदयपुर, अजमेर, बल्लारी, चेन्नई, तिरुनेलवेली, पांडिचेरी, विजयवाड़ा, के साथ अच्छी ट्रेन कनेक्टिविटी है. और एर्नाकुलम. हुबली में मैंगलोर, बैंगलोर, पंजिम, कोल्हापुर, बल्लारी, बेलगाम, गोकर्ण, गडग और मैसूर से बसों द्वारा अच्छी सड़क कनेक्टिविटी है.
हुबली घूमने का सबसे अच्छा समय
हुबली घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक है. इन महीनों के दौरान मौसम सुखद होता है और शहर और इसके आसपास के स्थानों की खोज के लिए आदर्श होता है. भारी मानसून अवधि के दौरान हुबली की यात्रा करने से बचें क्योंकि यहां भारी वर्षा होती है. मार्च और मई के बीच गर्मी के महीने काफी गर्म और आर्द्र होते हैं.
अपने घर की छत पर भी फहरा सकते हैं तिरंगा
पहले आम लोगों को अपने घरों या प्रतिष्ठानों पर तिरंगा फहराने की अनुमति नहीं थी, वहीं रात के समय भी इसे फहराने की मनाही थी. आम लोगों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी इसकी अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली. वहीं रात में तिरंगा फहराने की अनुमति साल 2009 में दी गई. किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए. तिरंगे को किसी की पीठ की तरफ नहीं फहरा सकते.