Independence Day 2023: 15 अगस्त के दिन उत्तर प्रदेश के इन जगहों की करें सैर, आजादी की लड़ाई में है अहम योगदान

Independence Day 2023 up patriotic places: स्वतंत्रता दिवस कैलेंडर पर एक तारीख नहीं बल्कि यह स्मरण की एक सहानुभूति, बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि और एकता का उत्सव बन जाता है. आज हम आपको बताने वाले हैं कि इस खास मौके पर आप उत्तर प्रदेश के किन जगहों की सैर कर सकते हैं

By Shaurya Punj | August 14, 2023 10:06 AM

Independence Day 2023: इस वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्र भारत के 76 वर्ष पूरे होने के साथ, उत्तर प्रदेश इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाने के लिए तैयार है। इस खास दिन के भव्य जश्न की तैयारियां जोरों पर हैं. जैसे ही तिरंगा झंडा हवा में लहराता है और राष्ट्रगान की गूँज हवा में गूंजती है, स्वतंत्रता दिवस कैलेंडर पर एक तारीख नहीं बल्कि यह स्मरण की एक सहानुभूति, बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि और एकता का उत्सव बन जाता है. आज हम आपको बताने वाले हैं कि इस खास मौके पर आप उत्तर प्रदेश के किन जगहों की सैर कर सकते हैं

झांसी का किला

झाँसी का किला 17 वीं शताब्दी में बना एक किला है जिसे झाँसी का किला भी कहा जाता है, इसे राजा बीर सिंह देव ने बनवाया था। कुछ साल बाद, राजा गंगाधर राव ने इस स्थान पर शासन किया और विकास को स्थानीयता में लाया। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी मणिकर्णिका तांबे, अब झांसी की रानी के रूप में जानी जाती हैं, 1958 में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ वीरता से लड़ीं। अपने बेटे को उनकी पीठ से बांधकर, रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और बाद में उन पर कब्जा कर लिया गया।

चौरी चौरा, गोरखपुर

वर्ष 1922 में, भारतीय भीड़ ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी के अन्दर 23 पुलिसकर्मियों को जला दिया था। इस घटना के कारण महात्मा गांधी के हस्तक्षेप करना पड़ा, और उन्होंने असहयोग आंदोलन को बंद कर दिया, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया और 6 साल की सजा सुनाई गई।
 

चंद्रशेखर आज़ाद पार्क, इलाहाबाद

चंद्रशेखर आज़ाद 1931 में इस पार्क में ब्रिटिश सैनिकों के साथ लड़े गए थे. यह 133 एकड़ का पार्क है, जहाँ स्वतंत्रता सेनानी की मृत्यु 1931 में 24 साल की उम्र में आज़ादी की लड़ाई में हुई थी. इस स्थान पर बंदूक की लड़ाई के दौरान चंद्रशेखर आज़ाद ने खुद को गोली मार ली थी. उसने कसम खाई थी कि वह कभी भी पकड़ा नहीं जाएगा और ब्रिटिश सैनिकों की गोली से मरना पसंद नहीं करेगे, इसलिए उसने खुद को इस जगह पर गोली मार ली. इस जगह को अब चंद्रशेखर आज़ाद पार्क के नाम से जाना जाता है.

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