Independence Day 2023: इतिहास के पन्नों में अमर है चौरी चौरा कांड, हिल गयी थी ब्रिटिश साम्राज्य की नींव
Independence Day 2023: चौरी चौरा कांड गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय हुआ था. 4 फरवरी सन 1922 को जब देश भर में गांधी जी का असहयोग आंदोलन चल रहा था, उसी दौरान यह कांड हुआ.
Independence Day 2023: आज स्वतंत्रता दिवस पूरा देश हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. अनगिनत आजादी के दीवानों की शहादत के बाद यह आजादी मिली है. लोग शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, शहीद स्मारकों में श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं. अंग्रेजी शासन काल के काले दौर में स्वतंत्रता को लेकर कई ऐसी घटना हुई जो इतिहास के पन्नों में हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गई है. इतिहास के पन्नों में दर्ज एक चौरी चौरा कांड भी है.
गोरखपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर चौरी चौरा स्थित हैं. जहां पर 5 फरवरी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अहम दिन हैं. इसी दिन भारतीय क्रांतिकारियों ने सन 1922 में ब्रिटिश पुलिस चौकी को आग लगा दी थी. इस घटना में 22 पुलिसकर्मी जलकर मर गए थे. चौरी चौरा कांड के बाद से गांधी जी ने अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था.
सन 1922 में गांधीजी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सत्य और अहिंसा के दम पर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए एक विशाल जन आंदोलन की शुरुआत की. जो अहिंसा की शपथ लेकर चला जनांदोलन तत्कालिक संयुक्त प्रांत यानी वर्तमान में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के चौरी चौरा में हिंसक हो गया. जिसमें पुलिस कर्मियों के एक अमानवीय कृत से आहत होकर प्रदर्शनकारी उग्र हो गए और एक पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया. जिसमें 22 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. इस घटना को इतिहास के पन्नों में चौरी चौरा के नाम से जाना जाता है. इस कांड के बाद ऐसा पहली बार हुआ था कि ब्रिटिश सरकार की नींव हिल गई थी.
गांधीजी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी. इस आंदोलन को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की जनता का विशेष समर्थन भी मिला और यह जन आंदोलन देश की सभी प्रांतों में सफल साबित हो रही थी. 4 फरवरी सन 1922 को असहयोग आंदोलन के समर्थन में तैयारी के साथ कई जगह निकले आंदोलनकारियों ने यह तय किया था कि अंग्रेज कितना भी अत्याचार करें पीछे नहीं हटना है. जिसके बाद क्रांतिकारियों को अलग-अलग समूहों में बांट दिया गया था.
लोगों ने ब्राम्हपुर में स्थापित कांग्रेस कार्यालय से चौरी चौरा की ओर प्रस्थान किया. लगभग 1000 से ज्यादा लोग चौरी चौरा मार्केट की तरफ बढ़ रही थी. लोग अंग्रेज सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहें थें. इसी दौरान भीड़ गौरी बाजार स्थित शराब की दुकान के सामने विरोध प्रदर्शन करने लगी. देखते ही देखते भीड़ उग्र हो रही थीं. वहां दरोगा गुप्तेश्वर सिंह अपने सिपाहियों के साथ पहुंचे. पुलिस को देखकर भीड़ ने नारेबाजी तेज कर दी. देखते-देखते वहां माहौल गर्म होने लगा. भीड़ को डराने के लिए पुलिस वालों ने हवा में फायरिंग की इससे भीड़ और उग्र हो गई.
जिसके बाद भीड़ को उग्र होता देख हुए पुलिसकर्मियों ने भीड़ पर गोली चला दी जिससे 10 से ज्यादा आंदोलनकारी की मौत हो गई. पुलिस वालों की गोलियां खत्म हो गई तो वह थाने की और भागें. आंदोलनकारियों की भीड़ चौकी की तरफ बढ़ गई. पुलिस वालों ने खुद को बचाने के लिए चौकी में अपने आप को बंद कर लिया.
उधर भीड़ चौकी पर एकत्र होने लगी. पुलिस की गोलाबारी से उग्र भीड़ में से किसी ने मिट्टी का तेल डालकर चौकी को आग लगा दिया. पूरी चौकी धू-धूकर जलने लगी, जिसमें दरोगा समेत 22 पुलिसकर्मी जिंदा जल गए. इस घटना के बाद महात्मा गांधी ने इस घटना से विचलित होकर सत्याग्रह आंदोलन को स्थगित कर दिया था. लेकिन चौरी चौरा कांड में अंग्रेजों की नींव को हिला कर रख दिया.
रिपोर्ट–कुमार प्रदीप,गोरखपुर