Independence Day : आजादी के साथ, जिम्मेदारी भी

आजादी अपने साथ कई जिम्मेदारियां भी लाती है. एक सजग और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक आजादी का सिर्फ आनंद ही नहीं लेता, बल्कि इसे अक्षुण्ण रखने के लिए अपनी जिम्मेदारियां भी पूरी करता है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 15, 2020 5:52 AM

आजादी अपने साथ कई जिम्मेदारियां भी लाती है. एक सजग और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक आजादी का सिर्फ आनंद ही नहीं लेता, बल्कि इसे अक्षुण्ण रखने के लिए अपनी जिम्मेदारियां भी पूरी करता है. आजादी एक गुलदस्ते की तरह है. इसमें अधिकारों और शक्तियों के साथ जिम्मेदारियां भी शामिल हैं. इस जिम्मेदारी को बखूबी कई लोग निभा रहे हैं. स्वतंत्रता दिवस पर हम अपने पाठकों को ऐसे ही दो शिक्षकों से रूबरू करा रहे हैं, जो नि:स्वार्थ रूप से अपनी ड्यूटी के अलावा भी समाज को बेहतर बनाने में लगे हुए हैं.

अपने पैसों से खोला पुस्तकालय, बच्चों को काउंसेलिंग की भी सुविधा

एसएस प्लस टू हाइस्कूल, चिलदाग (अनगड़ा) के पुस्तकालय में आसपास के आधा दर्जन से अधिक गांवों के बेरोजगार शिक्षित युवक प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने आते हैं. खास बात यह है कि यह पुस्तकालय स्कूल के प्रधानाध्यापक अवनींद्र सिंह की पहल पर खुला. श्री सिंह पूर्व में नवोदय विद्यालय में शिक्षक थे.

श्री सिंह बताते हैं कि विद्यालय के आसपास कई ऐसे विद्यार्थी थे, जो इसी स्कूल से पासआउट थे. लेकिन संसाधन के अभाव में वह अपना करियर नहीं बना पा रहे थे. श्री सिंह ने कुछ ऐसे विद्यार्थियों से बात की और सोच-विचार के बाद विद्यालय में एक पुस्तकालय बनाने का निर्णय लिया. उन्होंने पूर्ववर्ती छात्रों से विचार-विमर्श कर किताबों की सूची तैयार की. इसके बाद पुस्तकालय की स्थापना के लिए अपनी ओर से 10 हजार रुपये दिये.

श्री सिंह ने बताया कि उन्होंने मुंबई में रहनेवाले अपने एक पूर्ववर्ती छात्र से भी सहयोग मांगा. पूर्ववर्ती छात्र शाश्वत कुमार ने भी पुस्तकालय के लिए पांच हजार रुपये दिये. इस पुस्तकालय का नाम पंचायत पुस्तकालय रखा गया है. आज कोई भी विद्यार्थी अपना पंजीयन करा कर इस पुस्तकालय में पढ़ाई कर सकता है.

ऑनलाइन काउंसेलिंग की भी सुविधा : स्कूल के कई पूर्ववर्ती छात्र उच्च पदों पर कार्यरत हैं. आइपीएस अधिकारी कौशलेंद्र कुमार, सुजीत कुमार, एम्स के डॉक्टर मोनालिसा साहू, डॉ पीएनएस मुंडा तथा लेफ्टिनेंट कर्नल अमितेद्रम जैसे लोग विद्यार्थियों की काउंसेलिंग करते हैं. इस पुस्तकालय की व्यवस्था ग्रामीणों के ही हाथ में है. राम कृष्ण चौधरी और राजेंद्र मुंडा इसके संरक्षक हैं, जबकि उमेश नायक पुस्तकालय का संचालन करते हैं. इंजीनियर शकुंतला पाहन और पारा शिक्षक दुर्गा पाहन संयोजक बनाये गये हैं.

रिटायर होने के 12 साल बाद भी स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे विज्ञान

लू थरन उच्च विद्यालय, लोहरदगा के विज्ञान शिक्षक वैद्यनाथ मिश्र के लिए उनका पेशा जुनून की तरह है. सेवानिवृत्ति के 12 साल बाद भी वह स्कूलों में बच्चों को विज्ञान पढ़ा रहे हैं. श्री मिश्र की खगोल और पर्यावरण विज्ञान में विशेष रुचि है. इसलिए वह टेलीस्कोप के जरिये बच्चों को आकाशीय पिंड और खगोलीय घटनाएं बड़ी ही बारीकी और रोचक ढंग से समझाते हैं.

श्री मिश्र ने बताया कि वह वर्ष 2008 में सेवानिवृत्त हुए थे. उसके बाद भी बच्चों से जुड़े रहने की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने स्कूल-स्कूल जाकर बच्चों को विज्ञान पढ़ाना शुरू किया. वह चाहते हैं कि हर बच्चे में विज्ञान की समझ हो. वह मानते हैं कि झारखंड में विज्ञान पढ़नेवाले बच्चों की संख्या कम है. वहीं, दूसरे संकायों की तुलना में इनका रिजल्ट भी कम होता है. ये बात उन्हें हमेशा सालती रहती है. बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए श्री मिश्र ने वर्ष 2009 में एस्ट्रो एसोसिएशन का गठन किया.

इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत संचालित विज्ञान प्रसार नेटवर्क से भी मान्यता मिली है. भारत सरकार ने उन्हें कुछ उपकरण भी उपलब्ध कराये हैं. उनका परिश्रम रंग ला रहा है. आज कोई भी बच्चा विज्ञान से जुड़े प्रश्न पूछने के लिए बेहिचक उनके पास चला आता है. श्री मिश्र को वर्ष 2008 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

Post by : Pritish Sahay

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