20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

NITI Aayog Meeting : नीति आयोग की बैठक राज्यों के लिए क्यों है जरूरी?

NITI Aayog Meeting : नीति आयोग का गठन बीजेपी सरकार ने 2015 में किया था. नीति आयोग केंद्र सरकार का थिंक टैंक है जो सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर अपना फीडबैक देता है. साथ ही यह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आने वाले वर्षों के लिए नीतियां बनाने की उचित सलाह भी देता है. भारत के प्रधानमंत्री इसकी अध्यक्षता करते हैं और वर्तमान में इसके उपाध्यक्ष प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुमन बेरी हैं

NITI Aayog Meeting : नीति आयोग की बैठक आज काफी चर्चा में है. इसकी वजह यह है कि इंडिया गठबंधन ने नीति आयोग की बैठक का बायकाॅट किया है. जिन प्रदेशों में बीजेपी की सरकार नहीं है, उनके मुख्यमंत्रियों ने यह कहते हुए बैठक का बहिष्कार किया कि बजट में उन राज्यों की उपेक्षा हुई है, जहां बीजेपी की सरकार नहीं है. इंडिया गठबंधन का कहना है कि केंद्र सरकार ने उन राज्यों के साथ बदला ले रही है जिन्होंने चुनाव में बीजेपी का साथ नहीं दिया. 

नीति आयोग की बैठक में गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में से सिर्फ ममता बनर्जी शामिल हुईं, जो एक तरह से विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, लेकिन बैठक के बाद वे भी नाराज नजर आईं और कहा कि बंगाल के साथ अन्याय हुआ है, मुझे अपनी बात रखने का समय नहीं दिया गया. तमिलनाडु, झारखंड, कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों द्वारा बैठक का बहिष्कार करने पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे केंद्र-राज्य संबंधों के लिए खतरनाक बताया है. 

क्या है नीति आयोग जिसकी बैठक को लेकर मचा है बवाल

नीति आयोग का गठन बीजेपी सरकार ने 2015 में किया था. नीति आयोग केंद्र सरकार का थिंक टैंक है जो सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर अपना फीडबैक देता है. साथ ही यह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आने वाले वर्षों के लिए नीतियां बनाने की उचित सलाह भी देता है.  भारत के प्रधानमंत्री इसकी अध्यक्षता करते हैं और वर्तमान में इसके उपाध्यक्ष प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुमन बेरी हैं. 

नीति आयोग में राज्य सरकारों की भागीदारी योजना आयोग की अपेक्षा अधिक है, राज्यों को सेंट्रल टैक्स में कितनी भागीदारी मिलनी चाहिए इसकी सिफारिश भी नीति आयोग करता है, साथ ही वह राज्यों के विकास के लिए सुझाव भी देता है.

नीति आयोग की बैठक में शामिल ना होना राज्यों का नकारात्मक रवैया : अयोध्या नाथ मिश्र

विधायी मामलों के जानकार अयोध्या नाथ मिश्र ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में बताया कि नीति आयोग की बैठक में शामिल ना होना, राज्यों की नकारात्मकता है. राज्यों को नीति आयोग की बैठक में अवश्य शामिल होना चाहिए और अपने हक की बात केंद्र से करनी चाहिए. साथ ही राज्यों को इस बात का आकलन भी करना चाहिए कि उन्हें केंद्र से जितना पैसा मिल रहा है क्या उसका वे सही उपयोग कर पा रहे हैं या नहीं? अगर पैसा वापस जाता है, तो उन्हें अपनी विकास योजनाओं की समीक्षा करनी चाहिए. आरोप-प्रत्यारोप से देश और राज्य का विकास नहीं होगा. 

Also Read : कश्मीरी पंडितों की घर वापसी से जुड़े हैं जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के तार, जानें अंदरखाने की बात

बांग्लादेश सिर्फ आरक्षण की आग में नहीं धधक रहा, ये राजनीतिक कारण भी हैं…

भारत में संघात्मक व्यवस्था है और ऐसा संभव नहीं है कि केंद्र और राज्य में हमेशा एक ही पार्टी की सरकार होगी, इसलिए देश और राज्य के विकास की अनदेखी किए बिना राज्यों को नीति आयोग की बैठक में जाना चाहिए और अपने हक के लिए आवाज उठानी चाहिए. अगर आप बैठक में जाएंगे ही नहीं, तो फिर आप कैसे यह कह सकते हैं कि केंद्र सरकार आपके राज्य की अनदेखी कर रही है? 

अयोध्या नाथ मिश्र ने कहा कि इतिहास में भी इस तरह की घटनाएं होती रही हैं जब राज्यों के मुख्यमंत्री योजना आयोग की बैठक में शामिल नहीं होते थे, लेकिन उससे कोई फायदा नहीं होता है, क्योंकि अगर आप जाएंगे नहीं, अपनी जरूरत बताएंगे नहीं तो आपको फंड किस आधार पर दिया जाएगा. 

योजना आयोग क्या था?

आजादी के बाद देश के चहुंमुखी विकास के लिए योजना आयोग का गठन किया गया था. इस आयोग का काम देश के विकास के लिए योजनाएं बनाना और उन्हें प्रभावशाली ढंग से लागू करवाना था. योजना आयोग इसके लिए रिसर्च भी करता था और उसके अनुसार विकास योजनाएं बनाता था और उन्हें कार्यान्वित करवाता था. योजना आयोग के पास यह अधिकार था कि वह इन विकास योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए फंड जारी करे. योजना आयोग पंचवर्षीय योजनाएं बनाता था और 1951 में पहली बार देश में पंचवर्षीय योजना लागू हुई थी.

नीति आयोग और योजना आयोग के बीच क्या है प्रमुख अंतर

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल ने बताया कि नीति आयोग और योजना आयोग के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि नीति आयोग फंड अलोकेट नहीं कर सकता है, जबकि योजना आयोग के पास यह अधिकार था. योजना आयोग कोई संवैधानिक संस्था नहीं थी लेकिन उसका जिक्र राज्य के राज्य के नीति निर्देशक तत्व में था. वहीं नीति आयोग फाइनांस कमीशन के साथ काम करता है. यह सेंट्रल टैक्स में राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार को सलाह दे सकता है. गौरतलब है कि 14वें वित्त आयोग ने सेंट्रल टैक्स में राज्यों की भागीदारी को 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया है. नीति आयोग राज्यों से परामर्श करके ही भविष्य के लिए रणनीतियां बनाता है, जबकि योजना आयोग नीतियां बनाने के बाद उसके कार्यान्वयन के लिए राज्यों से बात करता था.

Also Read : पॉलिटिकल चौकड़ी : पीएम मोदी ने कहा- राहुल गांधी बालक बुद्धि हैं, इस पर क्‍या कहते हैं 4 राजनीतिक पंडित

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें