Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान राम और कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी करने के मामले में अभियुक्त को जमानत देते हुए कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार किसी को नहीं है. कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है. हम जिस देश में रह रहे हैं, उस देश के धर्म, संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है.
कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं. उसी में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है. संविधान बहुत उदार है. धर्म न मानने वाला नास्तिक हो सकता है, लेकिन भी व्यक्ति को दूसरे की भावना को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि किसी व्यक्ति को मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
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कोर्ट ने कहा अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब राज्य में अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना नहीं है. कोर्ट ने कहा हिन्दुओं में ही नहीं, बल्कि मुसलमानों में भी रसखान, अमीर खुसरो, आलम शेख, वाजिद अली शाह, नज़ीर अकबराबादी, राम-कृष्ण भक्त रहे हैं. राम और कृष्ण का अपमान पूरे देश का अपमान है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट जस्टिस शेखर कुमार यादव ने भगवान राम व कृष्ण के खिलाफ सोशल मीडिया पर अश्लील पोस्ट करने के मामले में आकाश जाटव उर्फ सूर्य प्रकाश की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याची पिछले 10 माह से जेल में बंद है. सुप्रीम कोर्ट ने भी दाताराम केस में कहा है कि जमानत अधिकार है और जेल अपवाद और ट्रायल जल्द पूरा होने की संभावना नहीं है.
कोर्ट ने अभुक्त को दोबारा ऐसे अपराध न करने की चेतावनी देते हुए सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. यह आदेश जस्टिस शेखर कुमार यादव ने हिंदी में 12 पेज में टिप्पणी करते हुए दिया. अभियुक्त आकाश जाटव निवासी हाथरस पर आरोप है कि उसने आईडी से 28 नवंबर 2019 को भगवान राम-कृष्ण पर अश्लील पोस्ट डाली थी.
Posted By: Achyut Kumar