रमण कुमार मिश्र, मधुबनी: 85 साल पहले जयनगर से बिजलपुरा के बीच रेल सेवा शुरू हुई थी. तब देश आजाद भी नहीं हुआ था. नेरोगेज पर रेंगने वाली कोयला, लकड़ी से चलने वाली ट्रेन पटरी पर रेंगा करती थी. 29 किमी जनकपुर तक की दूरी उस जमाने में तीन से तीन घंटे में तय होती थी. तब यही रेंगती रेल सेवा दोनों देशों के संबंधों के बंधन को बांध कर चल रही थी.
बेटियां नेपाल और भारत के बीच बसे गांवों में अपने मायके से ससुराल तो ससुराल से मायके आया जाया करती थीं. यही सबसे सुगम रास्ता माना जाता था. अब देश आजाद है. भारत सरकार रेल युग की नयी कहानी लिख जा चुकी है. पटरी तैयार है, ट्रेन भी सज कर इस पुराने संबंध को नयी डोर से बांध कर रिश्ता निभाने को उत्सुक है.
एक बार फिर इतिहास के सुनहने पन्ने पर हम नयी कहानी गढ़ने को तैयार हैं. अपने पड़ोसी देश के साथ संबंधों को और अधिक मजबूती देने के उद्देश्य से जयनगर से कुर्था तक नयी रेल सेवा बहाल होना है. अब 140 किमी की रफ्तार से पटरी पर दोनों देशों के बीच ट्रेन दौड़ेगी.
प्रसिद्ध कारोबारी पंकज गुप्ता बताते हैं कि पहले जब ट्रेन चलती थी, तो कपड़ा खरीदार भी दूर-दूर से आते थे. खासकर नेपाल से. इस बीच में ग्राहकों का टोटा रहा. आर्थिक रूप से भारी नुकसान हुआ है. उम्मीद है कि नयी रेल सेवा बहाल होने से हर स्तर पर सुधार होगा और संबंध प्रगाढ़ होगा.
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बता दें कि भारत और नेपाल के बीच एक बार फिर ट्रेन सेवा शुरू की गयी है. आठ साल के बाद फिर से दोनों देशों के बीच ट्रेनें दौड़ेगी. पीएम नरेंद्र मोदी व नेपाली पीएम शेरबहादुर देउबा संयुक्त रूप से नयी दिल्ली से शनिवार को वर्चुअल के माध्यम से इसका शुभारंभ करने वाले हैं.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan