भारत-नेपाल रेल सेवा: 1937 में जयनगर से चली थी ट्रेन, आज भी इन तसवीरों से झलकती है बदलाव की यात्रा
भारत व नेपाल के बीच फिर एकबार रेल सेवा शुरू हो रही है. आठ सालों के बाद ये रेल सेवा दोनों देशों के बीच शुरू हो रहा है. भारत नेपाल के बीच रेल यातायात आजादी मिलने से पहले के दौर से चला आ रहा है. जानकारी अनुसार 1937 में जयनगर से बिजलपुरा तक करीब 50 किलोमीटर की दूरी में रेल परिचालन की शुरूआत हुई थी.
2001 में आयी बाढ़ के कारण जनकपुर से बिजलपुरा के बीच रेल पुल ध्वस्त हो गया था. इससे इस रेलखंड पर रेल परिचालन बंद कर दिया गया. हालांकि जनकपुर से जयनगर के बीच 29 किमी लंबी लाइन 2014 तक रुक-रुक कर चलती रही.
भारत सरकार ने भारत नेपाल मैत्री रेल परियोजना के तहत 2010 में बड़ी लाइन में बदलने की योजना बनायी. इस योजना के तहत जयनगर से बर्दीवास तक 65 किलोमीटर में काम करने का निर्णय लिया गया.
2014 में मेंगा ब्लॉक लिया गया और काम चालू किया गया. प्रथम चरण में जयनगर से कुर्था तक 31 किलोमीटर में यह काम शुरू किया गया है. इसके लिये इरकॉन इंटरनेशनल कंपनी को जिम्मेदारी दी गयी. इसमें पांच स्टेशन जयनगर, इनरबा, खजुरी, बैदेही और कुर्था स्टेशन शामिल है. जनकपुर, महिनाथपुर, परवाहा तीन हॉल्ट आते हैं.
दोनों देशों के लोगों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार है. एक-एक दिन लोगों ने इस उम्मीद मेंं बिताया है कि आज नहीं तो कल नये तरीके से रेल सेवा बहाल होगी. इस बीच कई प्रकार की परेशानियों से लोगों को दो चार होना पड़ा है. खासकर आर्थिक रूप से व्यवसाय को भारी नुकसान उठाना पड़ा. सीमावर्ती इलाका होने के कारण जयनगर बाजार पर इसका सीधा असर देखा गया.
आठ साल बाद भारत और नेपाल के बीच रेल सेवा बहाल होगी. शनिवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के पीएम शेरबहादुर देउबा संयुक्त रूप से इसका शुभारंभ कर रहे हैं.
इस ट्रेन में एक एसी कोच भी रहेगा. ट्रेन में भारत व नेपाल को छोड़कर किसी अन्य देश के नागरिक सफर नहीं कर सकेंगे.
इस ट्रेन सेवा पर नियंत्रण नेपाल रेलवे का रहेगा. भारत और नेपाल के ही नागरिकों को यात्रा की अनुमति दी जाएगी. पासपोर्ट की जरुरत नहीं होगी लेकिन कुछ दस्तावेजों का साथ होना जरुरी है.
जयनगर से कुर्था तक सफर करने वाले यात्रियों को नेपाली 70 रुपये और भारतीय करेंसी के हिसाब से 43.75 रुपये खर्च करने होंगे. वहीं एसी में सफर करने के लिए 300 नेपाली रुपये लगेंगे.