गेहूं भेजता भारत
भारत ने खाद्यान्न क्षेत्र में जो आत्मनिर्भरता हासिल की है, उसकी शुरुआत 60 के दशक की बहुचर्चित हरित क्रांति से हुई थी. भारत आज दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है.
चाहे रोटी हो या ब्रेड, दुनिया में शायद ही कोई मुल्क होगा, जहां खाने में आटे से बनी चीजों का इस्तेमाल नहीं होता. ऐसे में अगर आटा मिलना बंद हो जाए, तो क्या असर होता है, यह हमने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में देखा है. वहां आटे की किल्लत से इसकी कीमत आसमान छूूने लगी. बदहवास लोग आटे की बोरियों से लदी ट्रकों के पीछे भागते नजर आये. अब भी खबर आ रही है कि वहां के बलूचिस्तान प्रांत से आटे की तस्करी को रोकने के लिए धारा 144 लगानी पड़ी है. ऐसी ही कुछ स्थिति पिछले साल कई अन्य देशों की हो सकती थी, जब दुनिया के कई मुल्कों में कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध जैसे कारणों से खाद्यान्न की कमी होने लगी, मगर भारत उनके लिए मददगार बन कर आया.
संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरनेशनल फंड ऑफ एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट के प्रमुख ने बताया है कि पिछले साल भारत ने गेहूं की भारी कमी झेल रहे 18 देशों को गेहूं भेजा. अधिकारी ने भारत को खाद्यान्न संकट का सामना करने वाले देशों के लिए एक आदर्श बताते हुए कहा कि जो देश कभी खाद्यान्न मांगता था, वह आज दूसरों की मदद कर रहा है. भारत ने खाद्यान्न क्षेत्र में जो आत्मनिर्भरता हासिल की है, उसकी शुरुआत 60 के दशक की बहुचर्चित हरित क्रांति से हुई थी. भारत आज दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. चीन पहले और रूस तीसरे नंबर पर है. हालांकि, भारत में पिछले वर्ष गेहूं की स्थिति को लेकर थोड़ी भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी थी, जब गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी गयी.
दरअसल, 2021-22 के मौसम में पंजाब और हरियाणा जैसे गेहूं के बड़े उत्पादक प्रदेशों में समय से पहले गर्मी की वजह से पैदावार घट गयी. ऐेसे में, सरकार ने गेहूं के दाम को नियंत्रित करने के लिए उनके निर्यात पर पाबंदी लगा दी. उसके इस निर्णय के बाद ऐसी भी आशंकाएं जतायी जाने लगीं कि भारत गेहूं का आयात करने वाला है, मगर सरकार ने उसका खंडन करते हुए कहा कि देश में गेहूं का पर्याप्त भंडार है. भारत ने स्पष्ट किया था कि निर्यात पर पाबंदी का मकसद देश में गेहूं का पर्याप्त भंडार बरकरार रखने के साथ-साथ जरूरतमंद देशों की भी मदद करना था. उम्मीद जतायी जा रही है कि इस साल स्थिति बेहतर रहेगी और देश में 11 करोड़ 20 लाख टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होगा. भारत की पैदावार पर दुनिया के कई और देशों की भी नजर टिकी रहेगी.