बरेली में बंद होगी ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें’ की आवाज, रेलवे ने साइलेंट स्टेशन पर मांगी अफसरों से राय
बरेली रेलवे स्टेशन पर पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम की व्यवस्था आने वाले दिनों में खत्म हो सकती है. रेलवे ने साइलेंट रेलवे स्टेशन बनाने को लेकर अफसरों से राय मांगी है. देश में चेन्नई रेलवे स्टेशन को सबसे पहले एयरपोर्ट की तरह साइलेंट बनाया जा चुका है, अब अन्य जगहों में भी इसकी तैयारी है.
Bareilly: भारतीय रेल करीब 170 वर्ष से दौड़ रही है. तब से लेकर अब तक ट्रेनों की गति, यात्री सुविधाओं से लेकर अन्य मामलों में रेलवे ने लंबा सफर तय किया है. लेकिन एक बात जो सबसे अहम है, वह रेलवे स्टेशनों पर सुनाई देने वाली आवाज ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें’ है.
पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम होगा खामोश
रेलवे स्टेशन कोई भी हो, इस आवाज के बिना वह अधूरा है. रेलवे स्टेशन में दाखिल होते ही यात्री इस आवाज के जरिए अपनी ट्रेन का प्लेटफार्म कन्फर्म करते हैं. हालांकि अब ये आवाज अतीत का हिस्सा बनती नजर आएगी, क्योंकि पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम (Public Announcement System) की व्यवस्था खत्म करते हुए साइलेंट रेलवे स्टेशन बनाने का काम शुरू कर दिया गया है.
साइलेंट रेलवे स्टेशन पर सफर करने वालों को ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें’ की आवाज सुनाई नहीं देगी. इसके लिए रेलवे अफसरों से राय मांगी गई है. इसमें बरेली के इज्जतनगर रेल मंडल के अफसरों को भी ईमेल और पत्र के माध्यम से सुझाव मांगे गए हैं.
पहले चरण में ए ग्रेड स्टेशन बनाए जाएंगे साइलेंट
रेलवे अफसरों के मुताबिक भारतीय रेलवे यात्रियों की सहूलियत को लेकर लगातार बदलाव कर रहा है. इसी में से एक यह भी है. पहले चरण में ए ग्रेड स्टेशन को साइलेंट स्टेशन बनाया जाएगा. यह स्टेशन एयरपोर्ट की तर्ज पर साइलेंट होंगे.
उन्होंने बताया कि इंडियन रेलवे चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन (डॉ. एमजीआर रामचंद्रन सेंट्रल रेलवे स्टेशन) को साइलेंट स्टेशन बना चुका है. यहां एयरपोर्ट की तरह पब्लिक अनाउसमेंट सिस्टम खत्म कर दिया गया है. इसके बाद अन्य रेलवे स्टेशनों को लेकर भी इसी तरह के कदम उठाए जाने की तैयारी है. इस तरह मंडलीय रेल अफसरों की राय आने के बाद यहां भी निर्णय किया जाएगा.
स्टेशनों पर एयरपोर्ट की तरह लगेंगे साइनबोर्ड
रेलवे स्टेशनों पर अनाउंसमेंट के लिए स्पीकर लगाए जाते हैं. साइलेंट स्टेशन पर किसी भी तरह का अनाउंसमेंट नहीं होगा. यहां एयरपोर्ट की तरह बड़े बड़े साइनबोर्ड लगाए जाएंगे. इनकी मदद से यात्रियों को ट्रेनों की जानकारी मिलेगी. इसके अलावा पैसेंजर की सुविधा के लिए पूछताछ केंद्र पर पर्याप्त कर्मचारी तैनात किए जाएंगे. रेलवे स्टेशन के एंट्री प्वाइंट पर बड़े डिस्प्ले बोर्ड और एलईडी लगाई जाएंगी. पूछताछ काउंटर भी बढ़ाए जाएंगे.
लोगों को बढ़ सकती है परेशानी
इस मामले में रेलवे अफसरों का कहना है कि ट्रेन में बड़ी संख्या में अशिक्षित यात्री सफर करते हैं. ऐसे में ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें’ की आवाज बंद होने से उनको दिक्कत हो सकती है. उनको डिसप्ले पढ़ने में भी दिक्कत होगी. इसलिए पैसेंजर ट्रेन का कुछ समय तक अनाउंसमेंट हो सकता है.
16 अप्रैल 1853 को चली थी पहली पैसेंजर ट्रेन
भारत में पहला रेलवे प्रस्ताव 1832 में मद्रास में बना था. रेड हिल रेलमार्ग नामक भारत का पहला रेल परिवहन (सड़क निर्माण के लिए ग्रेनाइट परिवहन के लिए आर्थर कॉटननिर्मित), 12 मद्रास सेरेड हिल्स से चिंताद्री पेटपुल तक था. एक ट्रेन सितम्बर 1837 में भारतीय उपमहाद्वीप में एक प्रयोगात्मक ट्रेन के के रूप में चली थी. मगर, उसका प्रयोग सिर्फ माल परिवहन के लिए किया गया.
1845 में गोदावरी बांध का निर्माण रेलवे राजमुंदरी केदौलेश्वरम में कपिस द्वारा बनाया गया था, जिससे बांध के निर्माण के लिए पत्थरों की आपूर्ति की गई. वहीं पहली पैसेंजर ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 को मुंबई में चली थी. उसमें 14 ट्रेन के डिब्बों में 400 यात्रियों ने सफर किया था. आज यह रेल भारत की लाइफ लाइन है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली