Indira Ekadashi 2022: इस दिन है इंदिरा एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व इसका महत्व

Indira Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 20 सितंबर दिन मंगलवार को रात 09 बजकर 26 मिनट पर होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 21 सितंबर को रात 11 बजकर 34 मिनट पर होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2022 7:48 AM

Indira Ekadashi 2022: इस बार इंदिरा एकादशी 21 सितंबर को पड़ रही है. अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी पर अगर आप कुछ निर्धारित काम करें, तो कहा जाता है कि सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इस दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

इसे ‘एकादशी श्राद्ध’ भी कहा जाता है. एकादशी व्रत का मुख्य उद्देश पितरों को मोक्ष देना है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके. इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती हैं. इस व्रत के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए व व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व व शुभ मुहूर्त.

इंदिरा एकादशी व्रत 2022 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 20 सितंबर दिन मंगलवार को रात 09 बजकर 26 मिनट पर होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 21 सितंबर को रात 11 बजकर 34 मिनट पर होगा. वहीं उदयातिथि के अनुसार, इंदिरा एकादशी व्रत 21 सितंबर बुधवार को रखा जाएगा.

इंदिरा एकादशी 2022 पारण समय

जो लोग इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर को रखेंगे. उन्हें एकादशी व्रत का पारण 22 सितंबर को करना चाहिए. एकादशी व्रत का पारण 22 सितंबर को सुबह 6.09 से लकेर 8.35 तक किया जा सकता है.

इंदिरा एकादशी व्रत एवं पूजा विधि

एकादशी तिथि के दिन जल्दी उठकर स्नानादि करके निवृत्त हो जाएं. फिर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप का ध्यान करें और इंदिरा एकादशी व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. यदि आपके घर में शालिग्राम हैं, तो पूजा के स्थान पर स्थापित करें या फिर भगवान विष्णु की तस्वीर को स्थापित करें. इसके बाद गंगाजल, रोली, चंदन, धूप, दीप, फल, फूल आदि से पूजन करें.

इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि आप किसी वजह से पितृ पक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध न कर पाए हों, तो इंदिरा एकादशी का व्रत जरूर रखें, क्योंकि इंदिरा एकादशी का व्रत पूर्वजों को श्राद्ध के समान फल देता है तथा इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है.

Next Article

Exit mobile version