Indira Ekadashi 2023: पितृ पक्ष का आरंभ 29 सितंबर 2023 से हो रहा है. अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी 10 अक्टूबर 2023 को रखा जाएगा. इंदिरा एकादशी के दिन व्रत करने से मनुष्य को यमलोक की यातना का सामना नहीं करना पड़ता. इस दिन मघा श्राद्ध किया जाएगा.
यह व्रत श्राद्ध पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है. वैसे तो एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है मगर इस एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम की पूजा होती है. शालिग्राम को भगवान विष्णु का निराकार और विग्रह रूप माना जाता है. हर साल पितृ पक्ष के दौरान पड़ने वाला यह व्रत पितरों के मोक्ष के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है. पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से पितरों के पाप धुलते हैं और उन्हें मुक्ति मिल जाती है.
इंदिरा एकादशी 2023 कब है: एकादशी तिथि 09 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और 10 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि में इंदिरा एकादशी व्रत 10 अक्टूबर 2023, मंगलवार को रखा जाएगा.
इंदिरा एकादशी 2023 पूजन मुहूर्त
इंदिरा एकादशी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त 10 अक्टूबर 2023, मंगलवार को 10:41 am से 12:08 pm तक रहेगा. दूसरा पूजन का शुभ मुहूर्त 12:08 pm से 01:35 पी एम रहेगा. शाम का पूजन मुहूर्त 03:03 पी एम से 04:30 पी एम तक है.
इंदिरा एकादशी 2023 व्रत पारण समय
पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी व्रत का पारण 11 अक्टूबर 2023 की सुबह 06 बजकर 19 मिनट से सुबह 08 बजकर 39 मिनट तक किया जाएगा. इस दिन द्वादशी तिथि का समापन शाम 05 बजकर 37 मिनट पर होगा.
इंदिरा एकादशी व्रत कैसे करें ?
जैसा आपको पता है कि यह व्रत श्राद्ध पक्ष की एकादशी तिथि पर पड़ता है तो इसदिन हमें कुछ श्राद्ध के नियम भी करने पड़ेंगे. इस व्रत को करने से पहले पितृपक्ष की दशमी के दिन नदी में तर्पण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद आप खुद भी भोजन कर लें. मगर इतना जरूर ध्यान रखें कि दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण ना करें. फिर एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का पूजा करें. पबजा करने के बाद दोपहर में फिर से श्राद्ध-तर्पण करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं. फिर अगले दिन पूजा करने के बाद दान-दक्षिणा का काम करें और पारण कर लें.
इंदिरा एकादशी महत्व
इंदिरा एकादशी की खास बात यह है कि यह पितृ पक्ष में आती है. इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. पद्म पुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के सात पीढ़ियों तक के पितृ तर जाते हैं विधिपूर्वकपूर्वज के नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है और व्रत करने वाले को बैकुण्ठ प्राप्ति होती है. इस दिन विधि-विधान तर्पण और ब्राह्मण भोजन कराने, दान-दक्षिणा देने से पितर स्वर्ग में चले जाते हैं.
विष्णुजी की स्तुति
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।