कानपुर. संतान प्राप्त न होने पर एक महिला को शारीरिक पीड़ा से ज्यादा मानसिक तनाव से जूझना पड़ता है.लेकिन,अब जीएसबीएम मेडिकल कॉलेज ऐसी महिलाओं के चेहरे पर खुशी लौटाएगा. यहां जच्चा बच्चा अस्पताल में स्टेमसेल तकनीक से महिलाओं में बांझपन की समस्या दूर की जाएगी. अनियमित दिनचर्या ,गड़बड़ खान पान के साथ ओवुलेशन विकार,फैलोपियन ट्यूब में क्षति, एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा संबंधी दिक्कत महिलाओं में बांझपन की समस्या का कारण है. लेकिन जानकारी के अभाव में अक्सर महिलाएं समय पर इलाज नहीं कर पाती है और समस्या गंभीर रूप ले लेती है.
मेडिकल कॉलेज के जच्चा बच्चा अस्पताल में बांझपन की शिकायत दूर करने के लिए स्टेमसेल तकनीक का प्रयोग किया जाएगा.इसकी नोडल स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर नीना गुप्ता, डॉक्टर बी एस राजपूत और डॉक्टर उरूज को बनाया गया है.डॉक्टर उरूज के मुताबिक जिन महिलाओं में एंटीमुलेरियन हार्मोन कम हो जाता है,उनको बांझपन की शिकायत रहती है.स्टेमसेल से अंडे बनने की प्रक्रिया को बढ़ाया जाएगा,जिससे प्रजनन क्षमता बढ़ेगी.स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर नीना गुप्ता का कहना है कि बांझपन की समस्या अस्पताल में स्टेमसेल तकनीक से दूर की जाएगी. महिलाओं के खुद के ही स्टेमसेल का इस्तेमाल कर अंडाशय में डाला जाएगा. जिससे अंडे बनने की प्रक्रिया को बढ़ाया जाएगा.इसकी शुरुआत हो गई है.इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर ओटी और अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध है.
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जच्चा बच्चा अस्पताल की ओपीडी में बीते साल 2022 जुलाई से शुरू हुई इंफर्टिलिटी ओपीडी में अक्टूबर 2023 तक करीब 2000 महिलाओं ने पंजीकरण कराया है. इनमें 30 से लेकर 48 वर्ष तक की महिलाएं रही है, जो बांझपन की समस्या से जूझ रही है