गांवों में कोरोना से निबटने के लिए बंगाल ने उठाये ये कदम, अन्य राज्यों की तैयारी के बारे में भी जानें
गांवों में फैलने लगा है कोरोना का संक्रमण. बंगाल सरकार ने रोकने के लिए उठाये ये कदम.
कोलकाता/नयी दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी की लहर धीरे-धीरे शहरों के बाद अब गांवों को भी अपनी चपेट में लेने लगा है. गांवों में भी तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. इसे रोकने के लिए पश्चिम बंगाल समेत देश के तमाम राज्यों ने कदम उठाये हैं.
पश्चिम बंगाल में गैर सरकारी संगठनों और स्वयं सहायता समूहों की मदद से जागरूरता अभियान चलाया जा रहा है और इसके तहत स्थानीय बाजार और हाट को नियमों के तहत परिचालन करने के साथ-साथ सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न का वितरण कराया जा रहा है.
कई राज्यों ने पंचायती राज इकाइयों द्वारा स्वघोषित लॉकडाउन, प्रवासियों के आंकड़े जुटाने, बीमारों को मुफ्त ऑनलाइन परामर्श मुहैया कराने सहित कई पहल की हैं. सरकारी सूत्रों ने बताया कि गांवों में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए कई राज्यों ने केंद्र से मशविरा करके कदम उठाये हैं.
Also Read: भारतीय जनता पार्टी के सीनियर नेता मुकुल राय को हुआ कोरोना, पत्नी अस्पताल में भर्ती
उन्होंने बताया कि गुजरात के पंचायती राज संस्थानों द्वारा स्वघोषित लॉकडाउन, असम में राज्य के बाहर और भीतर से पंचायत क्षेत्र में आने वाले प्रवासियों के आंकड़े एकत्र करने के अलावा ग्राम सुरक्षा समितियों का गठन कुछ ऐसे ही उपाय हैं.
हिमाचल प्रदेश ने बीमार लोगों के परामर्श के लिए ‘ई-संजीवनी ओपीडी’ की शुरुआत की है जबकि केरल में कुडुम्बश्री सामुदायिक नेटवर्क का संयुक्त कार्यक्रम केरल सरकार द्वारा शुरू किया गया है. यह केरल सरकार का एक संयुक्त कार्यक्रम है, जिसे गरीब महिलाओं के सामुदायिक विकास सोसाइटी (सीडीएस) द्वारा लागू किया जा रहा है. सीडीएस स्थानीय सरकार की सामुदायिक इकाई की तरह काम करती हैं.
Also Read: West Bengal Coronavirus: आईआईटी खगड़पुर में 23 मई तक लगा पूर्ण लॉकडाउन, कुलसचिव ने कही ये बात
केरल सरकार ने स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एबुलेंस मुहैया कराने की एक परिवहन योजना शुरू की है. इसके अलावा जरूरतमंद के लिए दो चैम्बर वाली कार और ऑटो रिक्शा भी मुहैया करायी जा रही है.
गुजरात में घर-घर जाकर ऑक्सीमीटर, तापमान नापने वाली मशीन और एंटीजन जांच किट की मदद से लोगों की निगरानी की जा रही है. मरीजों के परिवार की मदद के लिए ग्राम योद्धा समिति गठित की गयी है. आंध्र जैसे राज्यों ने कोरोना कट्टाडी (निगरानी) समिति बनाने की घोषणा की है और राज्य के ग्राम पंचायतों ने ‘मास्क नहीं तो प्रवेश नहीं’ के लिए प्रस्ताव पारित किया है. इसके अलावा ग्राम पंचायत सफाई और घर-घर निगरानी का काम भी कर रहे हैं.
Also Read: पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 20,839 नये मामले, 24 घंटे में 129 की मौत
उत्तर प्रदेश ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में ‘निगरानी समिति’ गठित की है, जो सफाई पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि उत्तराखंड ने ग्राम निगरानी समिति गठित की गयी है और ब्लॉक स्तर पर ब्लॉक प्रतिक्रिया समिति का गठन किया है. इसके साथ ही उत्तराखंड ने सामान की आपूर्ति की उचित निगरानी की व्यवस्था की है.
मध्यप्रदेश के गांवों में निषिद्ध क्षेत्र
मध्यप्रदेश में अधिक संक्रमण के मामले आने पर गांवों में निषिद्ध क्षेत्र बनाया जा रहा है. उपचाराधीन मरीजों की संख्या के आधार पर गांवों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा जा रहा है. राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किये गये हैं.
बिहार में सभी परिवारों में मास्क वितरित करने और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्तर पर ही मास्क खरीदने की पहल की गयी है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अन्य राज्यों से भी कोरोना वायरस संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए इसी तरह के पहल करने का आह्वान किया है.
पंचायती राज मंत्रालय का राज्यों को परामर्श
केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने भी राज्यों को परामर्श जारी करके ग्राम स्तर पर कोविड-19 प्रबंधन करने और ग्रामीण इलाकों में महामारी को फैलने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का अनुरोध किया है.
Posted By: Mithilesh Jha