15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आइसीयू भर्ती पर निर्देश

भर्ती और छुट्टी के इन स्पष्ट निर्देशों से चिकित्सकों और मरीज के परिजनों के बीच भरोसा बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है.

अब अस्पताल किसी मरीज को उसकी या उसके परिजन की सहमति के बिना गहन चिकित्सा इकाई यानी इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में भर्ती नहीं कर सकेंगे. उल्लेखनीय है कि आइसीयू किसी अस्पताल का वह वार्ड होता है, जहां गंभीर रूप से बीमार, ऑपरेशन के बाद निगरानी की जरूरत वाले तथा बड़े आघात वाले रोगियों को रखा जाता है, जिन्हें 24 घंटे निरीक्षण और उपचार की आवश्यकता होती है. भारत में पहली बार आइसीयू भर्ती को लेकर सरकार ने निर्देश जारी किया है. निर्देश में कहा गया है कि जब किसी रोगी के अंग काम नहीं कर रहे हों या उसकी तबियत बिगड़ने का अंदेशा हो, तभी आइसीयू में उसे रखने का निर्णय लिया जाना चाहिए. इसके अलावा, आइसीयू में बिस्तरों की उपलब्धता और मरीजों की स्थिति के आधार पर तैयार प्राथमिकता को भी ध्यान में रखने को कहा गया है. इन निर्देशों में आइसीयू से बीमार को छुट्टी देने के लिए भी मानदंडों का निर्धारण किया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के ये निर्देश 24 प्रतिष्ठित चिकित्सकों द्वारा तैयार किया है. भर्ती और छुट्टी के इन स्पष्ट निर्देशों से चिकित्सकों और मरीज के परिजनों के बीच भरोसा बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है. निर्देश में डॉक्टरों को सलाह दी गयी है कि जोखिम और फायदे के आकलन के बाद ही वे मरीज को आइसीयू में भर्ती करें और स्थिति में अपेक्षित सुधार के बाद सामान्य वार्ड में स्थानांतरित कर दें.

ऐसी शिकायतें आती रही हैं कि अस्पताल अधिक पैसा कमाने के लिए मरीजों को मनमाने ढंग से भर्ती कर लेते हैं और जरूरत न होने के बाद भी उनकी छुट्टी नहीं करते. इससे मरीज पर आर्थिक बोझ पड़ता है और आइसीयू बिस्तरों की कमी भी हो जाती है. अब चिकित्सकों को परिजनों को स्पष्ट रूप से वे कारक बताने होंगे, जिनके चलते वे मरीज को आइसीयू में रखना चाहते हैं. उपचार में खर्च ऐसी चीज है, जो अस्पताल और रोगी के संबंधियों के बीच भरोसे को हानि पहुंचाती है. आइसीयू से मरीज को छुट्टी देने का निर्णय पूरी तरह रोगी की हालत पर निर्भर होना चाहिए, न कि परिवार की सहमति पर. निर्देश में यह भी कहा गया है कि जहां तक संभव हो, ऐसे फैसले इस आधार पर नहीं लिये जाने चाहिए कि परिजनों के पास उपचार के लिए पैसे नहीं हैं. विशेषज्ञों की राय है कि देश में आइसीयू संसाधन सीमित हैं, इसलिए उनका इस्तेमाल सोच-समझ कर किया जाना चाहिए. जब संसाधनों पर अधिक दबाव हो, तो महामारी और आपदा से त्रस्त लोगों को भी आइसीयू में भर्ती नहीं किया जाना चाहिए. चूंकि इन निर्देशों को प्रतिष्ठित चिकित्सकों ने सोच-विचार कर तैयार किया है, तो आशा की जानी चाहिए कि अस्पताल इन पर ठीक से अमल करेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें