ममता बनर्जी के आह्वान पर अमर्त्य सेन के समर्थन में आये बंगाल के बुद्धिजीवी, विश्व भारती के व्यवहार पर जताया रोष
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आह्वान के बाद बुद्धिजीवियों का एक वर्ग नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के समर्थन में आ गये हैं. उन्होंने विश्व भारती विश्वविद्यालय के व्यवहार पर रोष जताया है.
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आह्वान के बाद बुद्धिजीवियों का एक वर्ग नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के समर्थन में आ गये हैं. उन्होंने विश्व भारती विश्वविद्यालय के व्यवहार पर रोष जताया है.
विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों ने रविवार को विश्व भारती विश्वविद्यालय की जमीन पर कथित अवैध कब्जे के मामले में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए आयोजित विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
बुद्धिजीवियों ने केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा सेन के साथ किये गये व्यवहार को ‘तानाशाही एवं निरंकुश’ करार दिया. इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाने के लिए कवि जॉय गोस्वामी एवं सुबोध सरकार, गायक कबीर सुमन, चित्रकार जोगेन चौधरी और रंगमंच से राजनीति में आये ब्रत्य बसु समेत अन्य कई हस्तियां ललित कला अकादमी के परिसर में एकत्र हुईं.
इन लोगों ने नारे लिखी तख्तियां थामी हुईं थीं, जिन पर लिखा था, ‘भाजपा द्वारा बंगालियों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे, अमर्त्य सेन का अपमान बंगालियों का अपमान है.’ श्री गोस्वामी ने कहा, ‘मैं अमर्त्य सेन जैसी शख्सीयत के साथ किये गये विश्व भारती के तानाशाही एवं निरंकुश व्यवहार का विरोध करता हूं. हम यहां अपना विरोध दर्ज कराने एवं सेन के प्रति समर्थन प्रदर्शित करने एकत्र हुए हैं.’
ब्रत्य बसु ने आरोप लगाया कि भाजपा हमेशा से स्वतंत्र विचार व्यक्त करने वालों को निशाना बनाती है. उल्लेखनीय है कि मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि विश्व भारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती परिसर में पट्टे की जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने की व्यवस्था करने में व्यस्त हैं और सेन नाम भी कब्जा करने वालों की सूची में रखा गया है.
मैं अमर्त्य सेन जैसी शख्सीयत के साथ किये गये विश्व भारती के तानाशाही एवं निरंकुश व्यवहार का विरोध करता हूं. हम यहां अपना विरोध दर्ज कराने एवं सेन के प्रति समर्थन प्रदर्शित करने एकत्र हुए हैं.
Joy Goswami, Poet
अमर्त्य सेन ने कहा है कि शांति निकेतन में उनके अधिकार वाली जमीन रिकॉर्ड में दर्ज है और पूरी तरह से लंबी अवधि के लिए पट्टे पर है. वहीं, विश्व भारती विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि अवैध रूप से जमीन कब्जा करने वालों की सूची में नोबेल विजेता अर्थशास्त्री का भी नाम है.
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Posted By : Mithilesh Jha