धनबाद के अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई से संस्थान को लाभ, पर रिजल्ट बेहतर नहीं

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने राज्य के अंगीभूत कॉलेजों में जारी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पर सवाल उठाया है. उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए कॉलेजों में अलग से शिक्षक नहीं रखने पर भी सवाल उठाया है

By Prabhat Khabar News Desk | November 21, 2022 12:56 PM
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झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने राज्य के अंगीभूत कॉलेजों में जारी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पर सवाल उठाया है. उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए कॉलेजों में अलग से शिक्षक नहीं रखने पर भी सवाल उठाया है. धनबाद में सभी सात अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई होती है. लेकिन इनमें से तीन कॉलेजों को छोड़ अन्य चार में इनकी पढ़ाई के लिए अलग से कोई शिक्षक नहीं हैं.

धनबाद में एसएसएलएनटी महिला कॉलेज, सिंदरी कॉलेज और आरएस मोर कॉलेज में इंटर की पढ़ाई के लिए कुछ शिक्षक रखे गये हैं. लेकिन अन्य चार पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज, आरएसपी कॉलेज, बीएसके कॉलेज मैथन और कतरास कॉलेज कतरास में इंटर के लिए अलग से एक भी शिक्षक नहीं हैं.

कॉलेजों के लिए फायदेमंद है इंटरमीडिएट की पढ़ाई

अंगीभूत डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई कॉलेजों के लिए फायदे का सौदा है. आम तौर पर कॉलेज अपने अकाउंट का संचालन विश्वविद्यालय के निर्देश पर ही करते हैं. इस अकाउंट में अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के छात्र- छात्राओं से विभिन्न मदों में लिया जाने वाला शुल्क जमा होता है. लेकिन 2020 में तत्कालीन कुलपति प्रो अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने कॉलेजों को इंटरमीडिएट कोर्स संचालन के लिए अलग बैंक खाता रखने की इजाजत दे दी. इसका संचालन कॉलेज अपने हिसाब से करते हैं. अभी हर अंगीभूत कॉलेज में इस बैंक खाते में 30 से 50 लाख रुपये तक हैं.

रिजल्ट में पीछे

धनबाद के सभी अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट के तीनों संकाय संचालित होते हैं. प्रत्येक कॉलेज के हर संकाय के लिए झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने 512 सीटों के लिए संबद्धता दे रखी है. ऐसे में सातों कॉलेजों में इंटरमीडिएट की कुल 10752 सीट हैं. जबकि इंटर कॉलेजों और जिले के प्लस टू सरकारी स्कूलों को हर संकाय में 128 या अधिकतम 256 सीटों के लिए संबद्धता दी गयी है. धनबाद में हर वर्ष औसतन 25 हजार छात्र-छात्राएं जैक इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं. इनमें 40 प्रतिशत केवल अंगीभूत कॉलेजों के होते हैं. इसके बाद भी बेहतर रिजल्ट देने के मामले में इंटर कॉलेज और प्लस टू उच्च विद्यालय अंगीभूत कॉलेजों से काफी आगे हैं.

जब अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई शुरू हुई थी, तब कहा गया था कि स्कूलों में 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. छठा वेतनमान लागू करते समय भी उच्च शिक्षा सचिव ने अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पर आपत्ति जतायी थी. लेकिन जब कॉलेजों ने इंटर की पढ़ाई बंद करने की बात की, तब राज्य सरकार ने इसे जारी रखने को कहा. अब एक बार फिर इसे बंद करने की बात हो रही है. लेकिन हर बार सरकार की ओर से इसे जारी रखने को कहा जाता है.

डॉ जेएन सिंह, प्राचार्य आरएसपी कॉलेज

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