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International Internet Day 2023: हैप्पी बर्थडे इंटरनेट! क्यों खास है आज का दिन? जानें

International Internet Day 2023 - इंटरनेट एक जादुई दुनिया की तरह है. यहां सबके लिए कुछ-न-कुछ रोचक व ज्ञानवर्धक है. आज के समय में अगर एक घंटे के लिए भी इंटरनेट बंद हो जाये, तो लोग परेशान हो जाते हैं. बीते वर्षों में इंटरनेट की दुनिया भी बदल रही है. जानिए इंटरनेट से जुड़ी रोचक बातें-

International Internet Day 2023 History Significance and Interesting Facts about Internet in Hindi : आज इंटरनेट संचार और सूचना प्राप्ति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण साधन बन गया है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां आज इंटरनेट की वजह से खड़ी हुई हैं. गूगल, अमेजन, मेटा, नेटफ्लिक्स, एक्स जैसी हजारों कंपनियों का पूरा कारोबार ही इंटरनेट पर खड़ा है. भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और ब्लॉक चेन जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी पूरी तरह से इंटरनेट पर ही टिका होगा. इंटरनेट ने दूर गांव में रहने वाले छात्रों के लिए भी बेहतर शिक्षा का विकल्प खोल दिया है. दुनियाभर की संस्कृति को एक-दूसरे के करीब लाने में भी इंटरनेट का अहम योगदान है .

इंटरनेट के निर्माण की कहानी

इंटरनेट के निर्माण का श्रेय कई लोगों को दिया जाता है. हालांकि, आधुनिक इंटरनेट का निर्माता अमेरिकी वैज्ञानिक विंट सर्फ और बॉब कान्ह को माना जाता है. 29 अक्तूबर, 1969 को अमेरिका के एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क (एआरपीएनइटी) द्वारा कैलिफोर्निया में पहली बार एक कंप्यूटर से इलेक्ट्रॉनिक मैसेज दूसरे कंप्यूटर पर भेजा गया था. यह संदेश लॉगइन (LOGIN) था, लेकिन इसने नेटवर्क को क्रैश कर दिया. बॉब कान्ह और विंट सर्फ ने इसके समाधान पर काम किया. दोनों वैज्ञानिकों ने एक ऐसी भाषा बनायी, जिसे नेटवर्क साझा कर सकते थे. यह ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (TCP) और इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) के रूप में जाना गया. एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क ने इसे 1 जनवरी, 1983 को अपनाया और मॉडर्न इंटरनेट का जन्म हुआ.

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अपने देश में इंटरनेट का प्रवेश

भारत में इंटरनेट के सफर की शुरुआत 1995 में 15 अगस्त से हुई. विदेश संचार निगम ने देश का पहला इंटरनेट कनेक्शन दिया था, जिसे चलाने के लिए एक लैंडलाइन फोन जरूरी था. खास बात है कि तब स्पीड मिलती थी सिर्फ 10 केबी प्रति सेकेंड. वहीं, आज 5जी का जमाना है.

वर्ल्ड वाइड वेब से मिला विस्तार

ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल और इंटरनेट प्रोटोकॉल नेटवर्क के सामने आते ही पूरी दुनिया के बहुत सारे नेटवर्क इससे कनेक्ट होने लगे. इसके बाद वर्ष 1989 में एक इंग्लिश वैज्ञानिक टिम बर्नर्स ली ने एक नया सिस्टम तैयार किया, जिसके जरिये दुनिया का हर इंसान कहीं से भी किसी भी चीज की जानकारी इंटरनेट पर एक यूआरएल के जरिये ढूंढ़ सकता था. इस सिस्टम को वर्ल्ड वाइड वेब (www) का नाम दिया गया. इसकी सफलता के बाद इसमें लगातार विस्तार किये गये. आज कंप्यूटर के साथ स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी, स्मार्ट वॉच, टैब, कैमरा जैसी चीजों से भी इंटरनेट को जोड़ दिया गया है.

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क्या है सैटेलाइट इंटरनेट?

अपने देश में इंटरनेट पाने के अब तक दो ऑप्शन उपलब्ध रहे हैं. पहला है ब्रॉडबैंड और दूसरा मोबाइल इंटरनेट. जल्द ही इंटरनेट पाने का एक और ऑप्शन उपलब्ध हो जाएगा. वह ऑप्शन होगा सैटेलाइट इंटरनेट का. इसकी मदद से बिना तार और बिना मोबाइल टावर के सीधे सैटेलाइट से इंटरनेट तुम्हारे घरों तक पहुंचेगा. दरअसल, ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क की भी अपनी सीमाएं हैं. यही वजह है कि सैटेलाइट इंटरनेट की जरूरत महसूस की गयी. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह दूर गांव के उन इलाकों तक भी इंटरनेट की सुविधा पहुंचा सकेगा, जो किसी भी वजह से अब तक इससे अछूते थे. भूकंप और बाढ़ जैसी आपदा या दूसरी किसी इमरजेंसी सिचुएशन में यह बहुत यूजफुल साबित होगा, क्योंकि ऐसे समय में केबल या मोबाइल टावर खराब हो जाते हैं. हालांकि, इसमें भी एक दिक्कत है, तेज बारिश, बर्फबारी और आंधी-तूफान में सिग्नल आने में रुकावट आ सकती है, जैसे डीटीएच टीवी सर्विस में थोड़ी परेशानी आती है.

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