International Women’s Day 2021, Jharkhand News, Dhanbad News, धनबाद (अशोक कुमार) : हाल के रिसर्च में यह बात साबित हुई है कि छोटे बच्चे महिला टीचर्स की बात पुरुष टीचर्स के मुकाबले काफी बेहतर तरीके से समझते हैं, क्योंकि महिला टीचर्स में बच्चों को समझाने की क्षमता अपने पुरुष सहकर्मियों से बेहतर होता है. यही वजह है कि पब्लिक स्कूलों के प्राइमरी विंग में 90 प्रतिशत तक महिला टीचर हैं. इसी रास्ते पर अब सरकारी व्यवस्था भी चल पड़ी है. सरकार ने 2015 से ही प्रारंभिक और मध्य विद्यालयों में महिला टीचर्स के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित कर दिया है. धनबाद के सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक और मध्य विद्यालयों में स्थायी टीचर्स की वर्तमान संख्या 2991 है. इसमें महिला टीचर्स की संख्या करीब 40 प्रतिशत है. वहीं, 2610 पारा टीचर्स में महिलाओं की संख्या 30 प्रतिशत है. जिले में 1727 प्राथमिक व मध्य विद्यालय हैं. इनमें 90 प्रतिशत महिला टीचर्स की तैनाती शहरी स्कूलों में हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालय पूरी तरह से पुरुष टीचर्स के भरोसे हैं.
महिला टीचर के संबंध में विशेषज्ञ बताते हैं कि वे बच्चों को पुरुष टीचर्स के मुकाबले बेहतर समझती हैं. बच्चों को मातृत्व का एहसास कराती है. घर के बाहर बच्चे उनके सानिध्य में अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं. इस वजह से उनके द्वारा समझाने पर वे हर चीज को आसानी से समझ जाते हैं. वहीं, पुरुष शिक्षकों से बच्चे इतनी आसानी से नहीं घुल मिल पाते हैं. महिला टीचर्स की अधिक मांग पब्लिक स्कूलों में प्राइमरी और मिडिल सेक्शन में अधिक है. इसी को ध्यान में रखते हुए आज बीएड और प्राइमरी टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स करने वालों में स्टूडेंट्स की संख्या सबसे अधिक है. विनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी के अधीन 23 कॉलेजों में संचालित बीएड कोर्स में 70 प्रतिशत से अधिक स्टूडेंट्स छात्राएं हैं. यूनिवर्सिटी के 3 अंगीभूत कॉलेजों में संचालित बीएड कोर्स में 80 प्रतिशत छात्राएं हैं.
बीएसएस बालिका विद्यालय, प्राइमरी विंग की प्रभारी सरोज कुमारी कहती हैं कि महिला टीचर्स में बच्चों को समझने की क्षमता पुरुषों के मुकाबले काफी बेहतर होता है. यह बच्चों को होम फिलिंग का एहसास दिलाती हैं. इससे बच्चे उनसे आसानी से घुल- मिल जाते हैं. प्राइमरी सेक्शन बच्चों की मजबूत आधार तैयार की जाती है. इसमें ट्रेंड महिला टीचर्स की भूमिका सबसे अहम होती है.
बीएसएस बालिका विद्यालय की टीचर निक्की श्वेता सिंह ने कहा कि प्रारंभिक विंग में पढ़ने वाले बच्चे काफी छोटे होते हैं. उन्हेें हर समय मातृत्व का एहसास दिलाने की जरूरत होती है. यह काम एक महिला टीचर अपने पुरुष सहकर्मियों से बेहतर तरीके से कर सकती हैं. सरकारी स्कूलों में यह काम काफी अहम है, क्योंकि यहां पढ़ने वाले बच्चे कमजोर पृष्ठभूमि के होते हैं. वह पूरी तरह से स्कूल के टीचर्स पर निर्भर करता है.
एचई स्कूल, हीरापुर, धनबाद की टीचर सुचिता झा कहती हैं कि सरकारी स्कूलों में महिला टीचर्स की भूमिका काफी अहम हो जाती है. हमारे स्टूडेंट्स पूरी तरह से हम पर निर्भर करते हैं. ऐसे में हमें अपना 100 प्रतिशत इन छात्रों को देना होता है. चीजों को समझने के मामले में यह कहीं से भी पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से कम नहीं होते हैं. ऐसे में महिला टीचर्स की भूमिका काफी अहम हो जाती है.
एचई स्कूल, हीरापुर, धनबाद की टीचर अंजना कुमारी कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाने के मामले में महिला टीचर किसी से पीछे नहीं है. कुछ मामलों में तो महिलाएं पुरुषों से बेहतर हैं. बच्चे उनके समक्ष निर्भिक होकर अपनी बात रखते हैं. इसकी बड़ी वजह है कि महिलाओं की वात्सल्यता बच्चों को अधिक पसंद है.
Posted By : Samir Ranjan.