International Women’s Day 2021, Jharkhand News, कुचाई (अजय महतो) : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई के जोबाजंजीर गांव की तीरंदाज मंजूदा सोय को लंबे संघर्ष के बाद मुकाम हासिल हुआ है. फिलहाल वह रेलवे में नौकरी कर रही है. मंजूदा को खेल कोटे से रेलवे में नौकरी मिली है, लेकिन इसके लिए उसे कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है. आर्थिक तंगी के बावजूद उसने तीरंदाजी नहीं छोड़ी. आज तीरंदाजी के क्षेत्र में देश में उसकी पहचान है.
तीरंदाज मंजूदा सोय शुरु से ही तीरंदाजी की शौकीन रही है. वर्ष 2003 में मंजूदा को टेलेंट हंट प्रोग्राम के तहत टाटा आर्चरी अकादमी में प्रवेश मिला था. टाटा आर्चरी अकादमी में रहते हुए मंजूदा को कई बार इंटर स्टेट चैंपियनशिप में भाग लेने का मौका मिला, परंतु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई मेडल नहीं जीत सकी. टाटा आर्चरी अकादमी से पास आउट होने के बाद वह सरायकेला-खरसावां तीरंदाजी संघ से जुड़ी. यहां से खेलते हुए मंजूदा सफलता की कई सीढ़ियां चढ़ती गई.
आर्थिक परेशानी के बावजूद मंजूदा ने तीरंदाजी नहीं छोड़ी और अपनी मंजिल के लिए संघर्ष करती रही. इस दौरान मंजूदा सोय का कई बार भारतीय तीरंदाजी टीम में चयन हुआ और वह मेडल जीतने में सफल रही. मेडल जीतने के साथ-साथ मंजूदा आर्थिक रुप से भी मजबूत होती गयी. 33 वें राष्ट्रीय खेल में स्वर्ण पदक जीत कर मंजूदा स्वयं को देश के सफल तीरंदाजों में शामिल कर ली.
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वह कॉमनवेल्थ गेम में व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक व एशियन आर्चरी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक भी जीत चुकी है. 25 से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग ले चुकी मंजूदा सोय फिलहाल रेलवे में कार्यरत है. मंजूदा सोय की गिनती आज देश के सफलतम तीरंदाजों में होती है.
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Posted By : Guru Swarup Mishra