UP News : जिस घटना में मां बेटी जिंदा जले उसकी जांच के लिये एसआइटी मांग रही आठ साल पहले मरे व्यक्ति के बयान
कानपुर देहात के मैथा तहसील के मड़ौली गांव में 13 फरवरी को अतिक्रमण हटाने आयी टीम को रोकने के लिये मां- बेटी ने खुद को घर में बंद कर दिया था. इसी दौरान घर में आग लगने से उनकी माैत हो गयी. सीएम के संज्ञान लिया और एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद और लेखपाल अशोक सिंह को सस्पेंड कर दिया गया.
कानपुर. अतिक्रमण विरोधी अभियान में अपना घर बचाने के लिये खुद को घर में बंद करने वाली मां (प्रमिला 50 वर्ष) और बेटी (नेहा 20 वर्ष) की आग से जलकर मौत होने के मामले में जिला प्रशासन ने एक मुर्दा से पूछा है कि आगजनी की घटना कैसे हुई थी. कानपुर देहात के मैथा तहसील के मड़ौली गांव में 13 फरवरी की घटना की जांच विशेष जांच दल (एसआइटी) कर रहा है. लेखपाल ने स्पॉट मेमो में जिन 12 के गवाह के हस्ताक्षर लिए थे उसमें आठ साल पहले मर चुके रामनारायण का भी हस्ताक्षर हैं. हस्ताक्षर के आधार पर ही नोटिस जारी कर दिया गया. मामला उजागर होने के बाद प्रशासन डैमेज कंट्रोल में जुट गया है.
आठ साल पहले मर चुके रामनारायण को देने है 20 फरवरी को बयान
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद कमिश्नर राजशेखर की अध्यक्षता में एसआइटी का गठन किया गया था.एसआइटी ने मड़ौली गांव के रामनारायण दीक्षित को 17 फरवरी को नोटिस दिया . नोटिस का जो मजमून है उसका सार यह है कि 14 जनवरी को अतिक्रमण हटाने गई टीम को अतिक्रमणकर्ता के द्वारा पांच दिन में अपनी झोपड़ी खुद हटाने का लिखित आश्वासन दिया था. बतौर गवाह रामनारायण के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हैं. इसी के आधार पर एसआइटी ने मामले की जांच के लिये राजनारायण को नोटिस दिया है. 20 फरवरी को बयान दर्ज कराने के लिये तलब किया है. प्रमिला के पति और मामले के वादी कृष्णगोपाल दीक्षित तथा उनके बेटे शिवम ने जांच पर सवाल उठाया है. उनका कहना है कि रामनारायण परिवार के ही सदस्य थे. करीब आठ साल पहले उनकी मौत हो चुकी है.
गलती को सुधार करते हुए नया नोटिस जारी :कमिश्नर
मंडलायुक्त डॉ राजशेखर का कहना है कि 14 जनवरी को झोपड़ी स्वयं हटाने के आश्वासन पर लेखपाल ने स्पॉट मेमो पर 12 लोगों को गवाह बनाया था. गवाहों के हस्ताक्षर लिए थे , इसी आधार पर रामनारायण को नोटिस दिया गया. इस नोटिस को तामील कराने के लिए कानूनगो गया तो वहां उसे राम नारायण की जगह जय नारायण दीक्षित की जानकारी मिली. जय नारायण के हस्ताक्षर ऐसा था कि उसे रामनारायण समझ लिया गया. इस गलती को सुधार करते हुए नया नोटिस जारी किया गया है.
जानिये क्या है पूरा मामला
दरअसल मैथा तहसील के मड़ौली गांव में कृष्णगोपाल दीक्षित की गांव की खाली भूमि पर पशुबाड़ा और झोपड़ी थी.गांव के एक व्यक्ति की शिकायत पर 13 जनवरी को स्थानीय प्रशासन ने झोपड़ी वाली जमीन को ग्राम समाज का बताते हुए कब्जा हटाने के आदेश दिये. 16 जनवरी को सरकारी जमीन कब्जे का केस दर्ज किया. 13 फरवरी को कब्जा हटाने के लिए प्रशासन पहुंचा तो कृष्णगोपाल दीक्षित की पत्नी प्रमिला (50 वर्ष) और बेटी नेहा (20 वर्ष) ने खुद को झोपड़ी में बंद कर लिया. कुछ देर बाद झोपड़ी में आग लग गयी. दोनों मां- बेटी की जलकर मौत हो गयी. मामले मे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसडीएम को निलंबित कर 24 पर एफआइआर दर्ज करायी गयी थी. जेसीबी चालक को गिरफ्तार किया गया था
रिपोर्ट: आयुष तिवारी